डाॅक्टरों की हड़ताल पर कांग्रेस की सरकार को सीख देने वाली वसुंधरा राजे अब खुद बात तक नहीं कर रहीं। कलेक्टर्स करेंगे नए डाॅक्टरों की भर्ती। =========

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डाॅक्टरों की हड़ताल पर कांग्रेस की सरकार को सीख देने वाली वसुंधरा राजे अब खुद बात तक नहीं कर रहीं। कलेक्टर्स करेंगे नए डाॅक्टरों की भर्ती।
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8 नवम्बर को राजस्थान में 10 हजार सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल को लगातार तीसरा दिन हो गया। प्रदेशभर में चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई है। सरकारी चिकित्सों की सेवाओं के अभाव में अब करीब एक दर्जन मरीजों की मौत हो गई है। पोस्टमार्टम के अभाव में लाशें मुर्दा घरों में सड़ रही हैं तो प्रसूताएं दर्द से कराह रही है। प्रतिघंटा हालात बिगड़ रहे हैं। इतनी बुरी दशा होने पर भी प्रदेश की सीएम वसुंधरा राजे हड़ताली डाॅक्टरों से संवादकरने को तैयार नहीं है। वार्ताओं में डाॅक्टरों के प्रतिनिधि कह चुके हैं कि यदि सीएम स्वयं आश्वासन दे दे तो वे काम पर लौट सकते हैं। डाॅक्टरों को स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ के कथन पर भरोसा नहीं है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सीएम द्वारा बात करना तो दूर बल्कि सरकार सख्ती के मूड़ में है। सरकार की ओर से 8 नवम्बर को अखबारों में तीन-तीन विज्ञापन दिए गए हैं। इन विज्ञापनों में कहा गया कि सेवारत चिकित्सकों की गिरफ्तारी और कानूनी कार्यवाही के लिए जिला एवं पुलिस प्रशासन को निर्देश दे दिए गए हैं तथा कलेक्टरों से कहा गया कि वे 56 हजार रुपए मासिक मानदेय पर नए डाॅक्टरों की भर्ती करें। सीएम वसुंधरा राजे का मानना है कि हड़ताल के लिए उनकी सरकार नहीं बल्कि डाॅक्टर्स जिम्मेदार हैं। गिरफ्तारी और नए डाॅक्टरों की भर्ती हड़ताली डाॅक्टरों पर कितना असर डालेगी यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा, लेकिन जो वसुंधरा राजे सीएम रहते हड़ताल के लिए सरकार को जिम्मेदार नहीं मान रही है। वे ही वसुंधरा राजे गत कांग्रेस के शासन में जब प्रतिपक्ष की नेता थीं तो उन्होंने कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को ही जिम्मेदार माना था। सोशल मीडिया में कोई छह साल पुरानाएक बयान वायरल हो रहा है, जिसमें राजे कह रही है कि सरकार की संवेदनहीनता का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। जब पूर्व में सरकार के साथ समझौता हो चुका है तो सरकार उस पर अमल क्यों नहीं करती। राजे ने कहा कि पहले तो राज्य सरकार सोती रही और अब डाॅक्टरों को गिरफ्तार किया जा रहा है। सरकार को समझाइश से समाधान निकालना चाहिए। रेस्मा लागू कर सरकार यह साबित कर रही है कि उसका लोकतंत्र में भरोसा नहीं है। तब वसुंधरा राजे ने सरकार से अपील की थी कि वह चिकित्सकों से तुरंत वार्ता कर हड़ताल खत्म करवावे। वसुंधरा राजे के 6 वर्ष पुराने इस बयान से साफ जाहिर है कि जब नेता विपक्ष में होता है तो उसकी सोच अलग तथा जब सत्ता में होती है तो उसकी राय अलग हो जाती है। 6 वर्ष पहले जिन तौर तरीकों को राजे ने अलोकतांत्रिक बताया था आज उन्हीं पर अमल कर रही है। वसुंधरा राजे का 6 वर्ष पुराना बयान मेरे फेसबुक पेज, ऐप, वेबसाइट आदि पर देखा जा सकता है।
एस.पी.मित्तल) (08-11-17)
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