आखिर पद्मावती फिल्म के विरोध में राजस्थान के राज घराने सामने आए। अब भाजपा के विधायकों, सांसदों और मंत्रियों को पहल करनी चाहिए। तभी भस्मासुर भंसाली पर असर होगा। =

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आखिर पद्मावती फिल्म के विरोध में राजस्थान के राज घराने सामने आए। अब भाजपा के विधायकों, सांसदों और मंत्रियों को पहल करनी चाहिए। तभी भस्मासुर भंसाली पर असर होगा।
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जो पाठक मेरा ब्लाॅग पढ़ते हैं, उन्हें पता होगा कि गत 4 नवम्बर को मैंने पद्मावती फिल्म के विरोध में राजपूत घराने सामने क्यों नहीं आते शीर्षक से ब्लाॅग लिखा था। इस ब्लाॅग का नम्बर 3233 है जो आज भी मेरे फेसबुक पेज, ऐप, बेवसाइट आदि पर देखा जा सकता है। मैं यह दावा नहीं करता कि मेरे ब्लाॅग के बाद ही राजस्थान के राजघराने इस फिल्म के विरोध में आए हैं, लेकिन यह सही है कि 9 नवम्बर को देश के सबसे बड़े अखबार दैनिक भास्कर के प्रथम पृष्ठ पर राजस्थान के प्रमुख राजघराने के प्रतिनिधियों के बयान छपे हैं जिसमें चित्तौड़ की रानी पद्मावती पर फिल्म बनाए जाने का विरोध किया गया है। जो घराने विरोध में आए हैं उनमें मेवाड़ केे महेन्द्र सिंह मेवाड़, जोधपुर के गज सिंह, जयपुर की दीया कुमारी, भिंडर के रणधीर सिंह भिंडर,बीकानेर की सिद्धि कुमारी, करौली की अंशिका कुमारी आदि शामिल हैं। यानि राजस्थान के पूर्व राजघरानों ने तो विरोध की शुरुआत कर दी है। अब भाजपा से जुड़े विधायकों, सांसदों और मंत्रियों की बारी है। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि इस राजस्थान की सीएम की कुर्सी पर वसुंधरा राजे बैठीं हुई हैं और राजे भी ग्वालियर तथा धौलपुर के राजघरानों से सीधा संबंध रखती हैं। राजस्थान की राजनीति में राजे को बोल्ड राजनेता माना जाता है। एक बार ठान ली तो फिर वे पीछे नहीं हटती हैं, भले ही कितना भी नुकसान हो जाए। भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष का पद हो या कांग्रेस के शासन में प्रतिपक्ष के नेता का । ऐसे पदों को हासिल करने में दिल्ली तक मोर्चा खोलने की हिम्मत वसुंधरा राजे में ही हैं। अपने जुझारू रवैए की वजह से ही राजे दूसरी बार सीएम बनी हैं। इसलिए आम राजपूत और देशभक्त का मानना है कि यदि वसुंधरा राजे विरोध करेंगी तो भस्मासुर संजय लीला भंसाली की हिम्मत नहीं की,वह एक दिसम्बर को फिल्म रिलीज कर दें। राजस्थान में इस समय सत्तारुढ़ भाजपा के 24 राजपूत विधायक हैं। इनमें से पांच सीधे तौर पर मंत्री हैं। ये हैं राजेन्द्र सिंह राठौड़, राजपाल सिंह शेखावत, गजेन्द्र सिंह खींवसर, पुष्पेन्द्र सिंह राणावत व प्रेम सिंह बाजौर, जबकि शंभु सिंह खेतासर तथा महेन्द्र सिंह राठौड़ राज्यमंत्री की सुविधा ले रहे हैं। इसी प्रकार लोकसभा के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ केन्द्रीय मंत्री तथा हरिओम सिंह राठौड़ लोकसभा तथा हर्षवर्धन सिंह राज्यसभा के सांसद हैं। इतना ही नहीं राव राजेन्द्र सिंह राजस्थान विधानसभा के उपाध्यक्ष हैं। यानि केन्द्र और राज्य में राजपूत समाज का जबरदस्त दबदबा है। समाज की ताकत पर सत्ता का सुख भोग रहे भाजपा मुख्यमंत्री, मंत्री सांसद और विधायक विरोध करने लगे तो फिर राजपूत समाज के आम व्यक्ति को विरोध करने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। इस सारे प्रकरण में सीएम वसुंधरा राजे की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। यदि सीएम राजे इशारा करेंगी तो राजपूत मंत्री और विधायक भी विरोध करने लगेंगे, लेकिन यदि राजे का इशारा नहीं होगा तो किसी भी राजपूत मंत्री अथवा विधायक में इतनी हिम्मत नहीं कि वह फिल्म पद्मावती का विरोध कर दे। भले ही जयपुर ग्रामीण के सांसद राज्यवर्धन सिंह केन्द्र में सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री हों। उम्मीद की जानी चाहिए कि मेरे इस ब्लाॅग के बाद भाजपा में खास कर राजपूत जनप्रतिनिधियों में कोई हलचल होगी। सीएम राजे माने या नहीं, अभी इस फिल्म को लेकर राजस्थान के सम्पूर्ण राजपूत समाज में जोरदार गुस्सा है। राजपूत और रावणा राजपूत समाज में भाजपा सरकार को लेकर नाराजगी है।
एस.पी.मित्तल) (09-11-17)
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