यूनिवर्सिटी से अपने इस्तीफे पर कायम हैं अजमेर भाजपा के देहात अध्यक्ष बीपी सारस्वत। उपचुनाव में भी हो सकते हैं उम्मीदवार।

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यूनिवर्सिटी से अपने इस्तीफे पर कायम हैं अजमेर भाजपा के देहात अध्यक्ष बीपी सारस्वत। उपचुनाव में भी हो सकते हैं उम्मीदवार।
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अजमेर जिला देहात भाजपा के अध्यक्ष प्रो. बीपी सारस्वत ने स्पष्ट किया है कि एमडीएस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के पद से उन्होंने जो इस्तीफा दिया है, उस पर वे आज भी कायम हैं। उन्होंने इस्तीफा वापस लेने की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की है। मेरे इस्तीफे के प्रार्थना पत्र पर यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति भागीरथ सिंह को निर्णय लेना है। मैंने पूर्व में भी कहा है कि भाजपा संगठन का काम करने के लिए इस्तीफा दिया है। चूंकि अजमेर देहात क्षेत्र में 6 विधानसभा आती हैं, इसलिए संगठन का काम ज्यादा है। कुछ लोग मेरे इस्तीफे को अजमेर में होने वाले लोकसभा के उपचुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। जबकि यूनिवर्सिटी के नियमों के तहत मैं प्रोफेसर के पद पर रहते हुए भी उपचुनाव लड़ सकता हंू। चुनाव लड़ने के लिए यूनिवर्सिटी की नौकरी कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन मैंने पहले भी कहा है कि मैं किसी चुनाव में अपनी उम्मीदवारी नहीं जताऊंगा। प्रदेश की सीएम वसुंधरा राजे जो कहेंगी वो मैं करुंगा। फिलहाल मेरे सामने उपचुनाव और अगले वर्ष विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत का लक्ष्य है। हालांकि मेरी सेवानिवृत्ति वर्ष 2020 में है, लेकिन यदि मेरा इस्तीफा मंजूर होता है तो मुझे पेंशन आदि के सभी लाभ मिलेंगे। इसलिए मैं इस्तीफे के विधिवत तौर पर मंजूर होने के इंतजार कर रहा हंू। अब मैं अपने स्तर पर इस्तीफा वापस नहीं लूंगा। जब मैं राजनीति में उच्च और स्वच्छ मापदंड अपनाने की बात करता हंू तो फिर इस्तीफा वापस कैसे ले सकता हंू?
हो सकते हैं उम्मीदवार:
हालांकि प्रो. सरस्वत किसी भी उपचुनाव में उम्मीदवारी जताने से इंकार करते रहे हैं, लेकिन सब जानते हैं कि उन पर प्रदेश की सीएम वसुंधरा राजे का हाथ है। सीएम का संरक्षण होने की वजह से ही सारस्वत लगातार तीसरी बार भाजपा के देहात जिलाध्यक्ष बने हैं। यूनिवर्सिटी में भी पीटीईटी जैसीे राज्य स्तरीय प्ररीक्षाओं की जिम्मेदारी सारस्वत को दी गई। हाल ही में सीएम राजे ने अजमेर संसदीय क्षेत्र में जो जनसंवाद किया, उसमें भी सारस्वत की सक्रिय भागीदारी रही। कांग्रेस विधायक वाले नसीराबाद क्षेत्र की जिम्मेदारी सीएम की ओर से सारस्वत को ही दी गई। कई बार सीएम राजे सारस्वत से ही अजमेर जिले की राजनीति का फीडबैक लेती हैं। भले ही सारस्वत के पास सत्ता का कोई पद नहीं हो, लेकिन सीएम के संरक्षण की वजह से सारस्वत का प्रशासन में खास रुतबा है। हर सरकारी समारोह में सारस्वत को खासतौर से बुलाया जाता है। ऐसे में लोकसभा के उपचुनाव में सारस्वत की उम्मीदवारी का दावा अपने आप बन जाता है। भले ही सारस्वत उम्मीदवारी न जताएं, लेकिन सीएम राजे सब समझती हैं। शायद ही कोई राजनेता होगा जो चुनाव न लड़ना चाहता हो। तीन बार देहात अध्यक्ष बनने से सारस्वत की लोकप्रियता जिलेभर में बनी हुई है। भाजपा के विधायक भी सारस्वत के पक्ष में बताए जाते हैं। सारस्वत पहले ही कह चुके हैं कि यदि सीएम राजे कहेंगी तो वे उपचुनाव लड़ लेंगें।
एस.पी.मित्तल) (12-11-17)
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