कर्नाटक चुनाव परिणाम वाले दिन ही राजस्थान में गुर्जर ट्रेने रोकेंगे। 

कर्नाटक चुनाव परिणाम वाले दिन ही राजस्थान में गुर्जर ट्रेने रोकेंगे। 
क्या इसे भी भाजपा अध्यक्ष के विवाद से जुड़ा माना जाए?
मुख्यमंत्री ने उज्जैन में महाकाल की पूजा की।
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सब जानते है कि राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का मामला गत 16 अप्रैल से अटका हुआ है। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के विवाद से जो हालात उपजे हैं उसका असर संगठन के साथ-साथ राज्य की भाजपा सरकार पर भी पड़ा है। अब यह कहा जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव के बाद अध्यक्ष का मामला निपटेगा। कर्नाटक में 12 मई को मतदान तथा 15 मई को परिणाम आने हैं। इस बीच राजस्थान में गुर्जरों ने घोषणा की है कि पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण की मांग को लेकर 15 मई से ट्रेने रोकी जाएंगी। इस बार गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने नई मांग रखी है। उनका कहना है कि ओबीसी कोटे का विभाजन कर गुर्जरों को अलग से पांच प्रतिशत आरक्षण दिया जाएग। क्यों अब तक सरकारों ने आरक्षण देने की जो घोषणा की उस पर अमल नहीं हो सका है। संविधान के मुताबिक पचास प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। जबकि राजस्थान में इस समय एससी एसटी और ओबीसी की जातियों के लिए 49 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। हालांकि गुर्जर समुदाय आरक्षण के लिए पहले भी आंदोलन कर चुका है। लेकिन इस बार का आंदोलन राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। गुर्जर समुदाय ने जब जब भी आंदोलन की रणनीति बनाई है, तब तब सरकार की ओर से मनाने के विशेष प्रयास होते रहे हैं। लेकिन इस बार राज्य सरकार की ओर से ऐसे कोई प्रयास नहीं हो रहे। यहां यह भी महत्वपूर्ण बात है कि पूर्व में संघर्ष समिति ने 21 मई से आंदोलन की घोषणा की थी, लेकिन 6 मई को हुई बैठक में आंदोलन 15 मई से ही शुरू करने का ऐलान कर दिया गया। समिति के प्रतिनिधि बार बार ट्रेनों को रोकने की बात कह रहे हैं। चूंकि प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष का मामला भी भाजपा हाईकमान 15 मई के बाद ही सुलझाएगा इसलिए यह माना जा रहा है कि इस बार का आंदोलन भाजपा की राजनीति से भी जुड़ा हुआ है।
महाकाल की पूजाः
7 मई को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उज्जैन में महाकाल मंदिर में पूजा की। इस अवसर पर परिवार के सदस्य भी मुख्यमंत्री के साथ थे। आमतौर पर मुख्यमंत्री मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान करवाती रहती हैं। गत माह ही महाकाल के मंदिर में पूजा अर्चना की थी। इससे पहले भी लगातार त्रिपुरासुंदरी मंदिर से लेकर बैद्यनाथ तक के मंदिरों में पूजा अर्चना की है। सब जानते हैं कि इन दिनों राजस्थान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर राजनीतिक उथल पुथल हो रही है। गत 26 अप्रैल को मुख्यमंत्री राजे ने दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से कोई तीन घंटे तक वार्ता की, लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश अध्यक्ष का मामला नहीं सुलझा। इसके बाद मुख्य सचिव के एक्सटेंशन और आईएएस कैडर में वृद्धि के मामले से भी नकारात्मक संदेश सामने आए हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को प्रदेश अध्यक्ष बनवाना चाहता है। लेकिन शेखावत के नाम पर मुख्यमंत्री का कड़ा ऐतराज है। राजस्थान में राजपूत समुदाय पहले ही नाराज चल रहा है और अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के विवाद से नाराजगी और बढ़ी है
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