आखिर इतने विवादित क्यों हैं पुष्कर नगर पालिका के भाजपाई अध्यक्ष कमल पाठक। जनता के सेवक हैं या भू-कारोबारी?

आखिर इतने विवादित क्यों हैं पुष्कर नगर पालिका के भाजपाई अध्यक्ष कमल पाठक। जनता के सेवक हैं या भू-कारोबारी?


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं को जनता का प्रधान सेवक मानते हैं। यही अपेक्षा वे भाजपा के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों से भी करते हैं, लेकिन जब भाजपा का कोई निर्वाचित प्रतिनिधि जमीनों और कब्जों के कार्यो में उलझ जाए तो फिर पूरे भाजपा संगठन पर सवाल उठता है। 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर नगरी के नगर पालिका आध्यक्ष कमल पाठक की एक आठ बीघा विवादित कृषि भूमि का सीमाज्ञान करवाने के लिए भाजपा सरकार के प्रशासन ने पूरी ताकत लगा दी। पुष्कर के पंचकुंड रोड स्थित विवादित भूमि पर निर्मल आश्रम के संत भी अपना मालिकाना हक बता रहे हैं। साधु-संत विरोध की आशंका को देखते हुए भारी पुलिस बल के साथ पुष्कर के एसडीओ विष्णु कुमार गोयल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र कुमार, तहसीलदार विमलेन्द्र राणावत, डीएसपी राजेश वर्मा, थानाधिकारी महावीर शर्मा आदि मौजूद रहे। सवाल उठता है कि यदि कमल पाठक पालिकाध्यक्ष नहीं होते तो क्या प्रशासन का साधु संतों पर इतना डंडा चलता? गंभीर बात तो ये है कि जब गलत सीमाज्ञान हो रहा था, तब निर्मल आश्रम के प्रमुख डॉ. रामेश्वरानंद ने राजस्व मंडल से यथास्थिति के आदेश होने की बात भी कही। लेकिन साधु संतों की एक नहीं सुनी गई। हो सकता है कि करोड़ों रुपए की कीमत वाली 8 बीघा जमीन के कागजात कमल पाठक के नाम हो गए हों, लेकिन यह ताज्जुब की बात है कि मात्र सात वर्ष पहले पहले 8 बीघा भूमि को मात्र 11 लाख रुपए में खरीदा गया। यदि पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए तो कइयों के चेहरे से नकाब उतर जाएंगे। अब तो पूरा पंचकुंड क्षेत्र ही आबादी में आ गया है, ऐसे में सीमाज्ञान का अधिकार तहसील को है ही नहीं। कमल पाठक ने यह जमीन भी निर्मल आश्रम से जुड़े किसी व्यक्ति के परिजन से खरीदी थी, जबकि जानकारों का मानना है कि आश्रम की जमीन बिक ही नहीं सकती। वर्तमान में इस जमीन की कीमत करीब दस करोड़ रुपए आंकी जा रही है। इस जमीन पर पूर्व में वन विभाग भी अपना हक जता चुका है।
होटल की भूमि पर भी विवादः
पालिका आध्यक्ष कमल पाठक अजमेर रोड स्थित चुंगी नाके के निकट करीब दो बीघा भूमि पर शानदार होटल बना रहे हैं। यह भूमि भी पुष्कर गौ शाला की बताई जा रही है। गौशाला के ट्रस्ट ने पाठक के खिलाफ अदालत में मुकदमा कर रखा है। दो बीघा भूमि की खरीद पर भी वैधानिक आपत्ति है। लेकिन फिर भी नगर पालिका से 900 वर्गगज भूमि को व्यावसायिक करवा कर होटल का निर्माण करवाया जा रहा है। आरोप है कि होटल का निर्माण भी स्वीकृत नक्शे के अनुरूप नहीं हो रहा है। अब चूंकि पालिकाध्यक्ष की होटल है, इसलिए प्रशासन के किसी भी कारिंदे की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह मौके पर जाकर जांच कर सके।
ब्रह्मा मंदिर की तीन दुकानों पर भी विवादः
पालिका अध्यक्ष कमल पाठक की तीन दुकानें संसार प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर के परिसर में भी संचालित हैं। इन दुकानों की किरायदारी को लेकर भी विवाद चल रहा है। कमल पाठक का कहना है कि ये दुकानें पूर्व के किरायेदार भीकमचंद खत्री से ली गई है, जबकि ब्रह्मा मंदिर के सूत्रों का कहना है कि दुकानें पूर्व में कोलकाता के बाबूलाल बंगाली को 6 किरायेदारी पर दी गई थी। बंगाली की मृत्यु हो जाने के बाद खत्री दुकानों की देखभाल करने लगे। ऐसे में खत्री को किसी समझौते के तहत तीसरी पार्टी (कमल पाठक) को दुकानें किराये पर देने का कोई हक नहीं है। चूंकि इस समय ब्रह्मा मंदिर का प्रबंधन जिला कलेक्टर की अध्यक्षता वाली कमेटी के पास है। इसलिए दुकानों के प्रकरण में पाठक के विरुद्ध कोई कार्यवाही हो ही नहीं सकती। यही वजह है कि अब तक पाठक ने अपने पुत्र संदीप पाठक के नाम से बिजली का कनेक्शन भी ले लिया है। करोड़ों रुपए की कीमत वाली दुकानों को लेकर कोई बवाल न हो इसलिए फिल्हाल दुकानों को बंद कर रखा है। लेकिन दुकानों के बाहर सजावटी हथियार बेचने वालों को बैठा रखा है। इनसे रोजाना वसूली की जाती है। चूंकि पालिकाध्यक्ष की दुकानों के बाहर बैठे हैं, इसलिए कोई हटाने वाला भी नहीं है।
राजनीतिक द्वेषता की वजह से मुकदमे-पाठकः
विवादों के संबंध में कमल पाठक का कहना रहा कि राजनीतिक द्वेषता की वजह से मुकदमेबाजी हो रही है। मैंने सभी सम्पत्तियां नियमों के अनुरूप खरीदी है। सम्पत्तियों के नामांतरण पालिका स्वीकृत करना आदि के कार्यों में पालिकाध्यक्ष के पद के प्रभाव का उपयोग नहीं किया गया। मेरी लोकप्रियता के बारे में पुष्कर के नागरिकों से जानकारी ली जा सकती है। मैंने अपनी जमीनों का कारोबार भी नियमों के अनुरूप ही करता हंू।

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