राजनीति के हमाम में सभी दलों के नेता नंगे हैं।

राजनीति के हमाम में सभी दलों के नेता नंगे हैं।
कर्नाटक में धरा रह जाएगा दल-बदल कानून।
नंगे होने की मची है होड़।

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सवाल यह नहीं है कि राज्यपाल वजूभाई वाला कर्नाटक में किसकी सरकार बनवाते है? अहम सवाल यह है कि राजनीति के हमाम में सभी दलों के नेता नंगे हो गए हैं और अब तो पहले नंगा होने की होड़ मची हुई है। 16 मई को कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेता हमारे विधायकों को खरीद रहे है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और अभी कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत भी कर्नाटक के गठबंधन की सरकार बनवाने में सक्रिय हैं। आज गहलोत भाजपा पर विधायकों को तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं। ये वो ही गहलोत हैं जिन्होंने वर्ष 2008 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार के लिए बसपा के सभी 6 विधायकों को रातों रात दल बदल करवा दिया। बाद में इन विधायकों को मंत्री स्तर की सुविधाएं दी गई। इसी प्रकार उत्तर पूर्व के जिन राज्यों में कांग्रेस को बहुमत मिला है उन राज्यों में आज भाजपा की सरकार है, इसलिए कर्नाटक में स्वच्छ राजनीति के दावे बेमानी है। कांग्रेस अपने 78 और जेडीएस 38 विधायकों को एकजुट रखने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। लेकिन ऐसा संभव नहीं है। सब्जी मंडी में जब सब्जियों की खुली बोली लग रही हो तो खरीददार का क्या दोष है। 15 मई को जब चुनाव आयोग की ओर से परिणाम घोषित नहीं किया गया, तब कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत ने 38 विधायकों वाले दल के नेता को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी। अब यदि 104 विधायकों वाली भाजपा सरकार बनाने का दावा कर रही है तो फिर ऐजरात क्यों? कुछ लोग राज्यपाल वजू भाई की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। कहा जा रहा है कि वजू भाई तो गुजरात में नरेन्द्र मोदी और अमितशाह के दोस्त हैं। सवाल उठता है कि क्या यूपीए के 10 वर्ष के शासन में भाजपा नेता को राज्यपाल बनाया? केन्द्र में सत्तारूढ़ हर दल अपने ही नेताओं को राज्यपाल नियुक्त करता है। यूपीए की चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी ने जब प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति बनवाया था, तब प्रतिभा पाटिल ने अपनी क्या योग्यता बताई थी, यह पूरा देश जानता है। हमारे लोकतंत्र में कोई भी राज्यपाल बन सकता है, कांग्रेस के नेता माने या नहीं लेकिन नरेन्द्र मोदी बहुत एडवांस प्लानिंग करते है। वजू भाई की एक वर्ष पहले कर्नाटक में नियुक्ति कांग्रेस की अब समझ में आ रही है। ऐसे में यदि येदुरप्पा को भाजपा के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलवाई जाती है तो कांग्रेस को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। जहां तक दल बदल कानून का सवाल है तो ऐसा कानून चांदी के जूते के नीचे दब जाता है। कांग्रेस और जेडीएस को सरकार बनाने के बजाए अपने विधायकों को संभाल कर रखना की जरूरत है।

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