राजस्थान में तो प्रधानमंत्री स्कील डवलमेंट योजना में प्रशिक्षकों को वेतन तक नहीं मिल रहा है।

राजस्थान में तो प्रधानमंत्री स्कील डवलमेंट योजना में प्रशिक्षकों को वेतन तक नहीं मिल रहा है। 7 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने कौन सी उपलब्धियां दिखाई जाएगी।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 7 जुलाई को जयपुर आ रहे हैं। मोदी के सामने राजस्थान की उजली तस्वीर रखने के लिए वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। प्रदेश के जिला कलेक्टरों से लेकर विधायकों तक मोदी की सभा में भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी दी गई है। कहा गया कि केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में लाभ प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को सभा में लाया जाए। चूंकि सरकार का जश्न है तो इसलिए सफल हो ही जाएगा। लेकिन राजस्थान में स्थिति उलटी है। उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री सकील डवलमेंट योजना की स्थिति यहां लिखी जा रही है। इस योजना में राज्य के शिक्षा विभाग ने प्राइवेट कंपनियों और संस्थाओं से अनुबंध कर प्रशिक्षकों को लगाया। कोई 22 कंपनियों ने एक हजार से भी ज्यादा प्रशिक्षकों को उपलब्ध करवाया। अब ये प्रशिक्षक सरकारी स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को हेल्थकेयर, आईटी, ब्यूटी पार्लर सिलाई, नर्सिंग, सुरक्षा, कृषि, ऑटो मोबाइल आदि कार्यों की ट्रेनिंग दे रहे हैं। इस ट्रेनिंग के पीछे पीएम मोदी का उद्देश्य है कि स्कूली शिक्षा के बाद ही युवा वर्ग आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर हो जाए। सरकारी नौकरी के पीछे भागने के बजाए स्वरोजगार करें। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि स्कूलों में ट्रेनिंग देने वालों को पिछले कई माह से वेतन नहीं मिला है। एक प्रशिक्षक को 15 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलता है। यह सही है कि मानदेया के भुगतान की जिम्मेदारी संबंधित कंपनियों और संस्थाओं की है, लेकिन अनुबंध की शर्तों के मुताबिक कंपनी की ओर से एक माह का भुगतान किया जाएगा, इसके बाद सरकार कंपनी के खाते में राशि स्थानांतरित करेगी। लेकिन सरकार ने कंपनियों को 3 से 8 माह तक की अवधि का भुगतान ही नहीं किया है। ऐसे में हजारों प्रशिक्षक विद्यार्थियों को कैसे प्रशिक्षण दे रहे होंगे, अंदाजा लगाया जा सकता है। कंपनियों की ओर से लगातार पत्र व्यवहार हो रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जब प्रधानमंत्री की इतनी महत्वकांक्षी योजना का यह हाल है तो राजस्थान में अन्य योजनाओं का अंदाजा लगाया जा सकता है।
राजस्थान का बुरा हालः
नोएडा स्थित एक संस्था की ऑपरेशन हैड ने बताया कि उनकी संस्था की ओर से देश के 14 राज्यों में इसी योजना में प्रशिक्षक उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, लेकिन संस्था को राजस्थान में ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार ने मानदेया का जो फार्मेट दिया है उसी के अनुरूप बिल प्रस्तुत किए जाते हैं, लेकिन राजस्थान में भुगतान नहीं हो रहा है। भुगतान नहीं होने का कारण सरकार में बैठे अधिकारी ही बता सकते हैं। हम तो अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी के साथ कर रहे हैं। जब दूसरे राज्यों में भुगतान हो रहा है तो फिर राजस्थान में क्यों नहीं।
अनुभव प्रमाण पत्र भी नहींः
प्रशिक्षकों को अनुभव प्रमाण पत्र भी नहीं दिया जा रहा है। जबकि ऐसे प्रशिक्षक वर्ष 2016 से ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग में नर्सिंग पद की भर्ती के लिए 3 जुलाई तक आवेदन करना है, लेसकिन ऐसे प्रशिक्षकों को भी अनुभव प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा। ऐसे में अभ्यर्थी अनुभव वाले अभ्यर्थियों से पिछड़ जाएंगे, लेकिन सरकार को ऐसे अभ्यर्थियों की कोई चिंता नहीं है।

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