वसुंधरा राजे और केन्द्रीय नेतृत्व के टकराव में भी विवादों से दूर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव।

वसुंधरा राजे और केन्द्रीय नेतृत्व के टकराव में भी विवादों से दूर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव। यही है जन्म दिन का तोहफा।
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अजमेर से जुडे़ भाजपा के राष्ट्रीय महासाचिव और राज्यसभा सांसद भूपेन्द्र यादव ने 30 जून को उनके जन्म दिन पर शुभ कामनाएं देने वाले सभी लोगों का आभार प्रकट किया है। यादव ने उम्मीद जताई है कि लोगों का स्नेह भविष्य में भी इसी प्रकार मिलता रहेगा। यादव को जन्मदिन का सबसे बड़ा तोहफा यही है कि राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे और भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के बीच प्रदेशाध्यक्ष को लेकर जो टकराव हुआ उससे यादव बचे रहे। सब जानते है कि राजस्थान की राजनीति में यादव सक्रिय हैं। गत विधानसभा चुनाव में भी यादव सक्रिय रहे हैं। दो बार से यादव राजस्थान से ही राज्यसभा के लिए चुने जा रहे हैं। राजस्थान में सत्ता और संगठन की जो हाई पावर कमेटी बनी हुई है यादव उसके भी सदस्य हैं। इतनी सक्रियता के बाद भी विवादों में न जाना यादव की राजनीतिक सूझबूझ हो दर्शाता है। सब जानते हैं कि अशोक परनामी के इस्तीफे के बाद पिछले ढाई माह राजस्थान की राजनीतिक में उथल पुथल रही है। सीएम राजे के इशारे पर प्रदेश के मंत्री और वरिष्ठ नेता दिल्ली में डेरा डाले रहे। स्वयं राजे ने दो बार राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह से मुलाकात की। सीएम राजे और केन्द्रीय नेतृत्व के बीच जो टकराव हुआ उससे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर भी चपेट में आए गए। इस बीच प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भूपेन्द्र यादव के नाम की चर्चा हुई तो ऐसी चर्चाओं को यादव ने सख्ती के साथ कुचल दिया। राजनीतिक में ये बात बहुत महत्व रखती है कि सक्रियता और बड़े पद पर होने के बाद भी आप विवाद में न आए। यादव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह के भरोसे के हैं। लेकिन राजस्थान के विवाद में यादव ने कोई भूमिका नहीं निभाई यानि राष्ट्रीय नेतृत्व को भी यादव यह समझाने में सफल रहे कि फिलहाल राजस्थान की राजनीति से दूर रखा जाए जब टकराव चरम पर था, तब भूपेन्द्र यादव ने अपनी ड्यूटी कर्नाटक के चुनाव में लगवा ली। आज सीएम राजे भी ये मानती है कि यादव विवादों से दूर रहते हैं। यादव बेवजह की बयान बाजी भी नहीं करते। यादव में सांसद के तौर पर अजमेर जिले के दो गांव को गोद ले रखा है। इसके अतिरिक्त सांसद कोष की राशि भी अजमेर के जनप्रतिनिधियों के कहने से आवंटित करते हैं। अजमेर के भाजपा कार्यकताओं से यादव का खास लगाव है। लेकिन यादव अजमेर में भी कोई दखलांदाजी नहीं करते। इसमें कोई दो राय नहीं कि यादव ने अपनी राजनीतिक सूझबूझ से स्वयं को संगठन के शीर्ष स्तर पर तक पहुंचाया है। ऐसा नहीं कि यादव का कोई विरोधी नहीं है। यादव अपने विरोधी को पहचानते भी है, लेकिन विरोधी के विरोध को सार्वजनिक नहीं होने देते। ये बात प्रदेश अध्यक्ष के विवाद में यादव ने साबित की है। 30 जून को भी जब जयपुर में नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी ने भाजपा मुख्यालय में पद संभाला तो सीएम राजे और ओम माथुर मौजूद थे। लेकिन यादव ने अपनी भूमिका को सीमित रखा।
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