काश! प्रधानमंत्री को पता होता कि अजमेर में तीन चार दिन में सिर्फ एक घंटा पेयजल की सप्लाई होतीे है।

काश! प्रधानमंत्री को पता होता कि अजमेर में तीन चार दिन में सिर्फ एक घंटा पेयजल की सप्लाई होतीे है।
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7 जुलाई को जयपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष सीएम वसुंधरा राजे ने राजस्थान की उजली तस्वीर प्रस्तुत की। यह बताने की कोशिश की कि केन्द्र और राज्य की सरकार की योजनाओं का लाभ नीचे के स्तर तक पहुंच रहा है। प्रधानमंत्री भी गद्गद थे कि उनकी मुद्रा योजना से लोग लेकर गरीब खासकर महिलाएं आत्म निर्भर हो रही है। लगे हाथ 21 सौ करोड़ के कार्यों का शिलान्यास भी पीएम से करा लिया गया। इसमें 97 करोड़ रुपए की अजमेर की पेयजल योजना भी शामिल थी। 5 वर्ष पहले जब वसुंधरा राजे ने सरकार हथियाने के लिए सुराज संकल्प यात्रा निकाली थी, तब वायदा किया कि सरकार बनते ही अजमेर को रोजाना पेयजल की सप्लाई की जाएगी। सरकार बनने के साढ़े चार साल गुजर गए और अब प्रधानमंत्री से 9 करोड़ की जलप्रदाय योजना का शिलान्यास करवाया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुराज संकल्प यात्रा के वायदों का क्या हुआ होगा? आज भी अजमेर में तीन चार दिन में एक बार मात्र एक घंटे के लिए बहुत कम प्रेशर से पेयजल की सप्लाई हो रही है। भीषण गर्मी में लोगों को कितनी परेशानी हुई होगी इसका भी अंदाजा लगाया जा सकता है। अच्छा होता कि प्रधानमंत्री को अजमेर की हकीकत बताई जाती है। प्रधानमंत्री बनने के बाद देश के जिन तीन शहरों को सबसे पहले स्मार्ट सिटी योजना में शामिल किया, उसमें अजमेर भी शामिल था। नरेन्द्र मोदी अजमेर के प्रति कितने संवेदनशील है, इसका अंदाजा इससे लगता है कि स्मार्ट सिटी के साथ-साथ अजमेर को हेरिटेज सिटी भी घोषित किया है। इतना ही नहीं केन्द्र सरकार की अमृत, प्रसाद जैसी योजनाओं में भी करोड़ों रुपया अजमेर को दिया गया है फिर भी यदि अजमेर वासियों को तीन चार दिन में एक घंटा पानी की सप्लाई हो तो इसे वसुंधरा सरकार की विफलता ही कहा जाएगा। ऐसा नहीं कि अजमेर के लिए पानी की कोई कमी है। पेयजल के मुख्य स्त्रोत बीसलपुर बांध में पर्याप्त मात्रा में पानी है,लेकिन पानी को अजमेर तक लाने और फिर वितरण करने के संसाधन नहीं है। इसलिए अजमेर में रोजाना पेयजल की सप्लाई नहीं हो रही है। यानि जो हालात पांच वर्ष पहले थे वो ही आज है। भाजपा के शासन में राजनीति दृष्टि से अजमेर बेहद मजबूत रहा। लोकसभा उपचुनाव से पहले तक अधिकांश विधायक, सांसद, मेयर, जिला प्रमुख सभी भाजपा के थे। आज भी सात विधायकों में चार राज्यमंत्री की सुविधा भोग रहे हैं। ऐसे राजनेताओं को भी शर्म आनी चाहिए। पांच माह बाद पानी के मुद्दे पर जनता के बीच कौन सा मुंह लेकर जाएंगे?
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