अजमेर में अग्रवाल परिवारों के समारोहों में पानी सहित 31 वस्तुएं ही परोसने की पहल शुरू। प्रमुख पदाधिकारियों ने लिया संकल्प।

अजमेर में अग्रवाल परिवारों के समारोहों में पानी सहित 31 वस्तुएं ही परोसने की पहल शुरू। प्रमुख पदाधिकारियों ने लिया संकल्प।


अजमेर में अग्रवाल समाज के परिवारों में होने वाले विवाह, जन्म दिन, शादी की वर्षगांठ आदि के समारोहों में फिजुल खर्ची को रोकने के लिए अब एक सकारात्मक पहल शुरू की गई है। समाज के जागरुक प्रतिनिधि दिनेश जैन गोयल ने समाज की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों से सम्पर्क साधा और उन्हें फिजुल खर्ची व दिखावा रोकने के लिए प्रेरित किया। पिछले कई दिनों की मेहनत के बाद अब सफलता मिलना शुरू हुई। गोयल ने बताया कि अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के जिला अध्यक्ष गिरधारी मंगल, अजमेर अग्रवाल समाज के अध्यक्ष शैलेन्द्र अग्रवाल, तुलसी सेवा संस्थान के संयोजक ओम प्रकाश मंगल, अग्रोहा बंधु पश्चिमी क्षेत्र के अध्यक्ष राजेन्द्र मित्तल, सचिव धनेश गोयल, कोषाध्यक्ष नंदकिशोर गर्ग, ओम प्रकाश गर्ग, जयशिव अग्रवाल, द्वारका अग्रवाल, बद्री प्रसाद कंदोई, सौरभ गोयल कांचवाले, नया बाजार के सर्राफ व्यापारी दिनेश परनामी, अनूप गोयल रंगवाले, कृष्ण गोपाल गोयल, अजमेर जिला वैश्य महासम्मेलन के महामंत्री उमेश गोयल, श्याम प्रेम मंडल के लिए कमल गर्ग, विमल गर्ग, गोकुल अग्रवाल, श्यामा ज्वैलर्स के राकेश डीडवानिया आदि ने संकल्प लिया है कि उनके परिवार में होने वाले सभी प्रकार के समरोह में मात्र 31 वस्तुएं ही खाद्य सामग्री के तौर पर परोसी जाएगी। इसमें पानी से लेकर मिठाई तक शामिल हैं। यहां तक की अचार को भी एक खाद्य सामग्री गिना जाएगा। समाज के पदाधिकारियों और प्रभावशाली व्यक्तियों ने माना है कि यह कार्य जोर जबर्दस्ती या किसी जुर्माने से संभव नहीं है। यह तो आपसी समझ और पहल से ही होगा। दिनेश जैन गोयल ने उम्मीद जताई कि अजमरे में यह पहल सफल होगी, क्योंकि संकल्प लेने वाले प्रभवाशाली और संस्थाओं के प्रतिनिधि हैं। जब धनाढ्य और सम्पन्न परिवार पहल करते हैं तो सम्पूर्ण समाज पर असर होता है। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9829054155 पर दिनेश जैन गोयल से ली जा सकती है।
सकारात्मक पहलः
इसमें कोई दो राय नहीं कि सामाजिक सरोकार से जुड़ी यह पहल अच्छी है। आज कल विवाह समारोह आदि में 100 आइटम रखे जाने लगे हैं। इससे खाद्य सामग्री की बर्बादी होती है। कई बार धनाढ्य परिवारों में प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाती है जिसका खामियाजा मध्यम वर्गीय परिवार को उठाना पड़ता है।

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