कांग्रेस ने किया शायर मजबूर साहब के शेर का उपयोग।

कांग्रेस ने किया शायर मजबूर साहब के शेर का उपयोग।
पर नाम नहीं लिया। डीडी न्यूज पर थी संसद सत्र की चर्चा।


18 जुलाई को शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र को लेकर 17 जुलाई की रात को 7ः30 बजे से डीडी न्यूज चैनल पर एक चर्चा हुई। इस चर्चा में कांग्रेस की ओर से प्रवक्ता जयवीर शेरगिल, भाजपा की ओर से तरुण विजय तथा कम्यूनिस्ट पार्टी की ओर से कामरेड तपन कुमार सेन ने भाग लिया। मानसून सत्र में हंगामे की आशंका के मद्देनजर जब एंकर ने कांग्रेस की राय जानी तो अपने कथन की शुरुआत शेरगिल ने सुप्रसिद्ध शायर आरके मजबूर के इस शेर से की -फलक पर तेरी हस्ती है, जमीं पर मेरी बस्ती है। कुछ मैं उठता हंू, कुछ तू झुक जा मिलने की सूरत यही निकलती है। कांग्रेस प्रवक्ता ने यह शेर सुनाकर वाहवाही तो लूट ली, लेकिन शेर को लिखने वाले मजबूर साहब का नाम नहीं लिया। हालांकि मजबूर साहब किसी नाम के मोहताज नहीं है, क्योंकि सुप्रसिद्ध कथावाचक संत मुरारी बापू अपने प्रवचनों में अकसर मजबूर साहब की शायरियों का उल्लेख करते हैं। स्वर्गीय मजबूर साहब से मुरारी बापू का विशेष लगाव रहा। अजमेर के जयपुर रोड वाले आवास पर जब मुरारी बापू मजबूर साहब से मिलने आए थे, तब मैं भी उपस्थित था। मेरे लिए वो क्षण ऐतिहासिक रहा, जब मैंने दो बड़ी हस्तियों को गले मिलते देखा।
डुबकियां का है शेरः
मजबूर साहब ने अपने जीवनकाल में उर्दू, अंग्रेजी, हिन्दी भाषा में शायरी की अनेक पुस्तकें लिखी। कांग्रेस ने मजबूर साहब के जिस शेर का उपयोग किया, वह डुबकियां नामक पुस्तक में लिखा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि कांग्रेस ने सही संदर्भ में मजबूर साहब के शेर का उपयोग किया। वर्तमान में संसद में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष में जो टकराव है उसे मजबूर साहब के शेर की भावनाओं से ही खत्म किया जा सकता है। बशर्ते दोनों पक्षों में झुकने और उठने की नियत है। यहां भाजपा को झुकने और विपक्ष के उठने की बात दिखनी चाहिए। यदि ऐसा होता है वो मानसून सत्र में कुछ कामकाज हो सकेगा। उम्मीद है कि देश के सभी राजनीतिक दल मजबूर के शेर पर अमल करेंगे। मजबूर साहब के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9414471059 पर उनके पुत्र सुहैल मजबूर से ली जा सकती है। सुहेल इन दिनों राजस्थान के उदयपुर में वन संरक्षक के पद पर कार्यरत है।

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