मात्र 9 दिन में जेल से बाहर आ गए अजमेर नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष नरेन शाहनी।

मात्र 9 दिन में जेल से बाहर आ गए अजमेर नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष नरेन शाहनी। हाईकोर्ट से जमानत मंजूर।


20 जुलाई को अजमेर स्थित एसीबी कोर्ट के न्यायाधीश आलोक सिरोलिया के समक्ष हाईकोर्ट का वह आदेश प्रस्तुत कर दिया गया, जिसमें अजमेर नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष नरेन शाहनी को जमानत पर छोड़ने के लिए कहा गया। हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप एसीबी कोर्ट ने 50 हजार रुपए के व्यक्तिगत मुचलके और 25-25 हजार रुपए की दो जमानतों पर शाहनी को छोड़ने के आदेश अजमेर की सेंट्रल जेल में भिजवा दिए। इसी के साथ शाहनी के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया। 19 जुलाई को हाईकोर्ट में न्यायाधीश पंकज भंडारी के समक्ष जब शाहनी के जमानत याचिका पर सुनवाई हुई तो वकील दीपक पाराशर ने कहा कि एसीबी के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे साबित होता हो कि शिकायतकर्ता अजमत खान से रिश्वत मांगी गई। एसीबी के पास सिर्फ ऑडियो टेप है, जबकि यह टेप भी तब का बताया जा रहा है, जब शाहनी जयपुर में मौजूद थे। न्यायाधीश भंडारी ने जानना चाहा कि यह मामला कब का है तो बताया गया कि सात साल पुराना है। हालांकि सरकारी वकील आरआर सिंह राठौड़ ने भी अपना पक्ष रखा, लेकिन न्यायाधीश भंडारी ने शाहनी को जमानत पर छोड़ने के आदेश दिए।
मात्र 9 दिन जेल मेंः
एसीबी ने शाहनी की विरुद्ध भूमि के बदले भूमि के प्रकरण में दो भूखंड मांगने के आरोप का मुकदमा दर्ज किया था। अदालत से गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद कोई एक वर्ष तक शाहनी फरार रहे, लेकिन गत 11 जुलाई को शाहनी ने अदालत में सरेंडर कर दिया। चूंकि जमानत का प्रार्थना पत्र खारिज हो गया था, इसलिए शाहनी को 11 जुलाई को ही सेंट्रल जेल भेज दिया गया। यानि शाहनी मात्र 9 दिन ही जेल में रहे। उल्लेखनीय है कि एसीबी ने जो चालान पेश किया है उसमें शाहनी को मुख्य अभियुक्त माना है। इस मामले में दलाल मनोज गिदवानी की पहले ही हाईकोर्ट से जमानत हो चुकी है तथा एक अन्य आरोपी महेश अग्रवाल पहले ही दोष मुक्त हो चुके हैं।

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