24 जुलाई को रात 12 बजे से राजस्थान में नहीं चलेंगी रोडवेज की बसें।

24 जुलाई को रात 12 बजे से राजस्थान में नहीं चलेंगी रोडवेज की बसें। भाजपा समर्थित फैडरेशन हड़ताल में शामिल नहीं।


24 जुलाई की रात 12 बजे से राजस्थान में रोडवेज की बसें नहीं चलेंगी। बसों का यह चक्का जाम 26 जुलाई की रात 12 बजे तक रहेगा। कर्मचारियों को समय पर वेतन देने, रोडवेज के निजीकरण के विरोध तथा अन्य मांगों को लेकर राजस्थान स्टेट एम्प्लॉइज यूनियन (एटक), राजस्थान रोडवेज वर्क फैडरेशन (सीटू) तथा राजस्थान रोडवेज कर्मचारी संघ (इंटक कांग्रेस) के संयुक्त आह्वान पर रोडवेज के कर्मचारियों ने हड़ताल का ऐलान किया है। इन तीनों ही संगठनों के नेताओं ने आरोप लगाया है कि राज्य की भाजपा सरकार रोडवेज का निजीकरण कर रही है। अब तक कोई एक हजार अनुबंधित बसों को शामिल किया गया है। इसी प्रकार लोक परिवहन के नाम पर एक हजार प्राइवेट बसें भी शामिल कर दी गई है। रोडवेज में अब मात्र चार हजार बसें बची हैं। चूंकि नई बसों की खरीद बंद कर दी गई है इसलिए धीरे धीरे रोडवेज में निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार की नीतियों की वजह से कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। जो कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं उन्हें भी उनकी बकाया राशि नहीं दी जा रही है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी बकाया राशि का भुगतान नहीं हो रहा है। पिछले चार वर्ष से रिटायर कर्मचारी दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। लेकिन परिवहन मंत्री यूनुस खान पर कोई असर नहीं हो रहा। अब कर्मचारियों को मजबूरी में हड़ताल का सहारा लेना पड़ा है। तीनों संगठनों के नेताओं ने साफ कहा कि 24 जुलाई की रात 12 बजे से रोडवेज और अनुबंधित बसों का संचालन नहीं होगा। यदि अनुबंधित बस का संचालन होता है तो इसकी जिम्मेदारी स्वयं मालिक की होगी। राजस्थान के सभी 36 रोडवेज डिपो में चक्का जाम की पूरी तैयारी कर ली गई है। रोडवेज के अधिकारियों को चेताया गया है कि वे बसों के संचालन की कोशिश नहीं करें। जानकार सूत्रों के अनुसार इस बार हड़ताल में रोडवेज के सभी कर्मचारी एकजुट हैं। हालांकि इस हड़ताल में भाजपा समर्थित राजस्थान रोडवेज कर्मचारी संयुक्त फैडरेशन शामिल नहीं है। लेकिन फैडरेशन से जुडे़ कर्मचारी भी हड़ताल में बसों के संचालन के पक्ष में नहीं है। फैडरेशन भी समय-समय पर निजीकरण का विरोध कर चुकी है।

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