फिर लगा विपक्ष की एकता को झटका।

फिर लगा विपक्ष की एकता को झटका। एनडीए के हरिवंश बने राज्यसभा के उपसभापति। पीएम ने पत्रकारों को दी सीख।

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9 अगस्त को राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव में एक बार फिर विपक्ष की एकता को झटका लगा है। भाजपा के गठबंधन वाले एनडीए सांसदों की संख्या कम होने के बाद भी कांग्रेस के गठबंधन वाले यूपीए के उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद चुनाव हार गए। एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह को 125 जबकि बीके को 105 मत ही मिले। इससे प्रतीत होता है कि नरेन्द्र मोदी के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए सार्वजनिक मंचों पर तो विपक्ष के नेता साथ दिख जाते हैं, लेकिन संसद के अंदर ऐसी एकजुटता नहीं दिखाई जाती। वैसे भी उपसभापति के चुनाव में जो रणनीति नरेन्द्र मोदी और अमितशाह ने दिखाई वैसी रणनीति कांग्रेस के राहुल गांधी और उनके खास सलाहकार संगठन महासचिव अशोक गहलोत नहीं दिखा सके। मोदी शाह को पता था कि राज्यसभा में भाजपा की स्थिति कमजोर है, इसलिए उपसभापति का उम्मीदवार बिहार के सीएम नीतिश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू के सांसद हरिवंश को बनाया। नीतिश की वजह से ही छोटे दलों के वोट मिल गए। यही वजह रही कि 244 वोटों में से हरिवंश ने 125 प्राप्त कर लिए। शिव सेना भले ही मोदी शाह को गालियां देती हो, लेकिन राज्यसभा में वोट तो भाजपा के समर्थन वाले उम्मीदवार को ही दिया। इसी प्रकार यूपी में भले ही अखिलेश यादव मायावती को बुआ मान रहे हों, लेकिन राज्यसभा चुनाव के मौके पर सपा सांसद रामगोपाल यादव का कहना रहा कि अब कांग्रेस को तय करना है कि वह कितनी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी है। यादव ने एक तरह से कांग्रेस के उम्मीदवार बीके का विरोध किया। यानि अपनी रणनीति से मोादी शाह शिव सेना का समर्थन पाने में सफल रहे, वहीं कांग्रेस से सपा जैसी पार्टी छिटक गई। शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने कांग्रेस के नेतृत्व को मानने से इंकार कर दिया, वहीं अरविंद केजरीवाल अपनी उपेक्षा से खफा नजर आए। कुल मिलाकर उपसभापति के चुनाव में विपक्ष का महागठबंधन बिखर गया। 2019 तक क्या स्थिति रहती है, यह आने वाला समय ही बताएगा।
पत्रकारों को सीखः
हरिवंश नारायण सिंह के उपसभापति बनने के मौके पर पीएम मोदी ने पत्रकारों को भी सीख दे दी। मोदी ने कहा कि हरिवंश लम्बे समय तक पत्रकारिता से जुड़े रहे। चन्द्रशेखर जब देश के प्रधानमंत्री थे, तब हरिवंश को पता था कि चन्द्रशेखर इस्तीफा दे रहे हैं और कोई पत्रकार होता तो फटाफट अपने अखबार में खबर छाप का वाह वाही लूट लेता, लेकिन हरिवंश ने चन्द्रशेखर जी के साथ मित्रता निभाते हुए इस्तीफे की खबर को गोपनीय बनाए रखा क्योंकि उस समय यह देशहित में था। पीएम का कहना रहा कि आज के पत्रकारों को भी देशहित में पत्रकारिता करनी चाहिए।
40 वर्ष तक पत्रकारिताः
राज्य सभा के उपसभापति चुने गए हरिवंश ने कोई चालीस बरस तक पत्रकारिता की है। बिहार के प्रमुख प्रभात खबर अखबार में सम्पादक के तौर पर कार्य किया और जब चन्द्रशेखर देश के प्रधानमंत्री बने तो हरिवंश ही सूचना सलाहकार रहे। जय प्रकाश नारायण के आंदोलन से भी हरिवंश जुड़े रहे। हरिवंश दो वर्ष पहले ही जेडीयू के राज्यसभा के सदस्य बने हालांकि इससे पहले कई वर्षों तक हरिवंश गुमनानी का जीवन व्यतीत करते रहे। इसे किस्मत ही कहा जाएगा कि सांसद बनने के दो वर्ष बाद ही देश के सर्वोच्च सदन के उपसभापति बन गए हैं।

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