जब कोटा में ंिबजली के स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लग सकती है तो अजमेर में क्यों नहीं?

जब कोटा में ंिबजली के स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लग सकती है तो अजमेर में क्यों नहीं? खपत से ज्यादा बिजली के बिल की शिकायत।

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राजस्थान के कोटा शहर में अब बिजली के स्मार्ट मीटर नहीं लगेंगे। स्मार्ट मीटरों के विरोध में 10 अगस्त को कांग्रेस और व्यापारिक संगठनों की पहल पर कोटा बंद रहा। हालांकि जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने 9 अगस्त की शाम को ही कोटा मंे बिजली प्रबंधन संभालने वाली कोलकाता की निजी कंपनी को मीटर न लगाने के लिए पाबंद कर दिया था। कलेक्टर की पहल पर यह भी आदेश जारी हुए कि जिन उपभोक्ताओं के घरों पर स्मार्ट मीटर लग गए हैं उनके घर पर सरकारी बिजली कंपनी के मीटर नहीं लगेंगे। जिस मीटर में बिल कम आएगा उसी का भुगतान उपभोक्ता को करना होगा। जो स्थिति कोटा में है वो ही अजमेर में भी है। अजमेर में भी निजी क्षेत्र की कंपनी टाटा पावर शहर में बिजली प्रबंधन का कार्य कर रही है।
उपभोक्ताओं की शिकायत है कि जब से स्मार्ट मीटर लगे हैं तब से बिल ज्यादा आने लगा है। उपभोक्ताओं की शिकायत पर टाटा पावर कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। कंपनी के अधिकारी अपने स्मार्ट मीटर की रिडिंग को ही सही मान रहे हैं। अजमेर में भी इन दिनों स्मार्ट मीटर लगाए जाने से उपभोक्ताओं में भी रोष व्याप्त है। अजमेर में भी कांग्रेस ने टाटा पावर के कार्यों का विरोध किया, लेकिन इस विरोध का न तो टाटा पावर और न सरकार पर कोई असर हुआ, जबकि कोटा में कांग्रेस ने कोलकाता की कंपनी के विरुद्ध आंदोलन में आम लोगों को भी जोड़ लिया। तीन माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान न हो, इसलिए प्रशासन ने स्मार्ट मीटरों पर रोक लगवा दी है। सवाल उठता है कि जब कोटा में रोक लग सकती है तो फिर अजमेर में स्मार्ट मीटरों पर रोक क्यों नहीं लग रही? कोटा की तरह अजमेर के भी उपभोक्ता बिजली का अधिक बिल आने से बेहद परेशान है। टाटा पावर उपभोक्ताओं के घरों पर जबरन स्मार्ट मीटर लगा रही है।

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