कफ्यू में दो घंटे की ढील के दौरान मालपुरा में शांति रही।

कफ्यू में दो घंटे की ढील के दौरान मालपुरा में शांति रही।
दोनों समुदायों से वार्ता के बाद 27 अगस्त को ढील की अवधि बढ़ सकती है, पर इंटरनेट सेवाएं बंद रहेगी।
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राजस्थान के टोंक जिले के मालपुरा कस्बे में 26 अगस्त को प्रातः 11 से दोपहर 1 बजे तक दो घंटे के लिए कफ्यू में ढील दी गई। इस अवधि के दौरान पूरे कस्बे में शांति बनी रही। 23 अगस्त को कावड़ियों पर हमले के बाद 24 अगस्त को मालपुरा में कफ्यूू लगा दिया गया था। अतिरिक्त संभागीय आयुक्त केके शर्मा ने बताया कि दो घंटे की ढील में लोगों ने आवश्यक सामग्री खरीदी। दोनों समुदायों की ओर से शांति बनाए रखी गई। हालांकि बाजारों में सशस्त्र सुरक्षा बल तैनात थे, दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों से वार्ता के बाद 27 अगस्त को कफ्यूू में ढील के बारे में निर्णय लिया जाएगा। लेकिन फिलहाल इंटरनेट सेवाएं बंद रहेंगी।
कफ्यू से लोग परेशानः
26 अगस्त को मालपुरा में कफ्यू का लगातार तीसरा दिन था। इन तीन दिनों में लोग बेहद परेशान हो गए। इसलिए जब दो घंटे के लिए कफ्यूू हटाया गया तो लोग सड़कों पर आ गए। लोगों ने आवश्यक सामग्री खरीदी। सभी लोग कफ्यू की पाबंदियों से परेशान नजर आए। हालांकि कावड़ियों पर हमले को लेकर विवाद कायम रहा। कफ्यूू की वजह से 27 अगस्त सोमवार को मालपुरा कस्बे के सरकारी दफ्तर, बैंक शिक्षण संस्थाओं आदि में भी अवकाश रहेगा। प्रशासन ने कुछ आवश्यक सेवाओं के लिए पास जारी किए हैं। प्रशासन उन क्षेत्रों में लगातार नजर बनाए हुए हैं, जहां हालात बिगड़ सकते हैं। लेकिन 26 अगस्त को दो घंटे की ढील में कोई अप्रिय घटना नहीं होने से प्रशासनिक अधिकारी संतुष्ट हैं। रेंज के आईजी, संभागीय आयुक्त, एसपी, कलेक्टर आदि वरिष्ठ अधिकारियों ने मालपुरा में ही डेरा जमा रखा है।
कावड़ियों पर हमले को माॅब लिंचिंग माना जाएः
सत्तारूढ़ भाजपा के विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने कहा कि जिस प्रकार गौ तस्कर की पिटाई को माॅब लिंचिंग माना जाता है उसी प्रकार कावड़ियों पर हमले की घटना को भी माॅब लिंचिंग मान कर पुलिस को मुकदमा दर्ज करना चाहिए। कावड़ियों पर भी एक समूह विशेष के द्वारा जानलेवा हमला किया जाता है। राजस्थान में कावड़ियों पर लगातार हमले हो रहे हैं। आहूजा ने कहा कि अलवर जिले के उनके विधानसभा क्षेत्र में हुई एक घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने संज्ञान लिया है। उसी प्रकार अब मालपुरा में कावड़ियों पर हुए हमले पर भी संज्ञान लिया जाना चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (26-08-18)
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