4 हजार वर्ग फीट भूमि पर 30 हजार दुर्लभ पुस्तकों के साथ ई-लाइब्रेरी का शुभारंभ अजमेर में 5 सितम्बर को होगा।

4 हजार वर्ग फीट भूमि पर 30 हजार दुर्लभ पुस्तकों के साथ ई-लाइब्रेरी का शुभारंभ अजमेर में 5 सितम्बर को होगा।
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अजमेर शहर के बीचों बीच बने टाउन हाॅल (गांधी भवन) में गत वर्ष जब वरिष्ठ नागरिकों को लाइब्रेरी की सुविधा से वंचित कर नगर निगम के पार्षदों के लिए सभा कक्ष बनाया गया तो मैंने ब्लाॅग में निगम प्रशासन की आलोचना की थी। मेरा तर्क रहा कि अंग्रेजों के शासन से वर्ष 1905 में इस टाउन हाॅल का शुभारंभ शहर के नागरिकों के लिए लिया गया था। ऐसे में 106 वर्ष बाद निगम प्रशासन को यह अधिकार नहीं के वह नागरिकों को सुविधाओं से वंचित करे। लेकिन अब मुझे इस बात का संतोष है कि शहर के नागरिकों के लिए निगम प्रशासन ने इसी टाउन हाॅल में चार हजार वर्ग फीट भूमि पर कम्प्यूटराइज्ड लाइब्रेरी का निर्माण कर दिया है। इस लाइब्रेरी का शुभारंभ देश के जाने माने साहित्यकार पद्मश्री चन्द्र प्रकाश देवल 5 सितम्बर को सायं पांच बजे करेंगे। चार सितम्बर को मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, निगम के आयुक्त हिमांशु गुप्ता (आईएएस) और लाइब्रेरी में नए नए आइडिया देने वाली आरएएस ज्योति ककवानी ने मुझे टाउन हाॅल में ही इस लाइब्रेरी के बारे में विस्तृत जानकारी दी। यहां टेगौर संदर्भ, एपीजे अब्दुल कलाम वाचनालय, डाॅ. राधाकृष्ण, मां सरस्वती आदि नामों के पांच कक्ष बनाए गए हैं, यह सभी वातानुकूलित हैं। लाइब्रेरी में रखी तीस हजार पुस्तकों का कम्प्यूटर पर डाटा उपलब्ध करवाया गया है। विशेष तौर से तैयार करवाए गए साॅफ्टवेयर में पुस्तक के लेखक और वर्ष दर्ज करने के साथ ही पुस्तक लाइब्रेरी की किस आलमारी में रखी है। इसका पता चल जाएगा। मुख्य कक्ष में वरिष्ठ नागरिकों के बैठने के लिए आरामदायक टेबल कुर्सी रखी है, तो वहीं प्रतियोगी परीक्षाओं अथवा अन्य शोध कार्यों के लिए पुस्तकों को पढ़ने के लिए अलग कक्ष में सोफे लगाए गए हैं। जरुरतमंद युवा पुस्तकों को लाइब्रेरी में बैठकर भी पढ़ सकते हैं तथा जरुरत होने पर 15 दिन के लिए घर पर भी लेजा सकते हैं। 100 रुपए में लाइब्रेरी की सदस्यता दी जाएगी। यदि कोई व्यक्ति पुस्तक को अपने घर ले जाना चाहता है तो उसे 500 रुपए का शुल्क जमा करवाना होगा।
आॅन लाइन की सुविधाः
गांधी भवन की इस आधुनिक लाइब्रेरी में आॅनलाइन ई-लाइब्रेरी की भी सुविधा होगी। यहां दो तीन कम्प्यूटरों पर जरुरत मंद युवा और प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थी आॅनलाइन पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं। गूगल एप के जरिए सभी पुस्तकें आॅन लाइन उपलब्ध करवाई जाएगी, इसके लिए लाइब्रेरी परिसर में फ्री वाईफाई सुविधा होगी।
दुर्लभ संकलनः
नगर निगम की इस ऐतिहासिक लाइब्रेरी ने पुस्तकों का दुर्लभ संकलन है। हिन्दी और अंग्रेजी की प्राचीन पुस्तकों के साथ-साथ उर्दू भाषा की भी हजारों पुस्तकें हैं। इनमें अकबरनामा और बाबरनामा तक शामिल है। निगम को एक ऐसे मुस्लिम विद्वान की जरुरत है जो इस ऐतिहासिक उर्दू भाषा की पुस्तकों का हिन्दी और अंग्रेजी में अनुवाद कर सके, इसके लिए कोई भी मुस्लिम विद्वान अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत से सम्पर्क कर सकता है। मुझे बताया गया कि लाइब्रेरी में अजमेर राज्य से जुड़ी पुस्तकें भी रखी हुई है। अंग्रेज शासकों ने भी अजमेर का खास महत्व माना था। यही वजह है कि कर्नल जैम्स टाॅड जैसे लेखकों की पुस्तकें भी लाइब्रेरी में है। सौ वर्षों से प्राचीन पुस्तकों का कागज आज भी ऐसा बना हुआ व छपाई भी ऐसी की आज की आॅफसेट को मात दे।
प्रदेश में संभवतः पहली लाइब्रेरीः
यूं तो प्रदेश के कई शहरों में स्थानीय निकाय संस्थाओं के द्वारा लाइब्रेरी चलाई जा रही है। लेकिन निगम प्रशासन ने अजमेर में जिस तरह लाइब्रेरी का शुभारंभ किया है। यह पहली लाइब्रेरी होगी, जहां एक ही छत के नीचे शहरवासियों को इतनी सुविधा उपलब्ध होगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि इसका श्रेय मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का है। माना लाइब्रेरी को तैयार करने में निगम के कार्मिकों की भूमिका भी है, लेकिन चार हजार वर्ग फीट स्थान को वातानुकूलित बनवाना और फिर लाइब्रेरी को कम्प्यूटराइज्ड करवाने की इच्छा शक्ति गहलोत ने ही दिखाई है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इस लाइब्रेरी पर मात्र 25 लाख रुपए की राशि खर्च हुई है। इस लाइब्रेरी के लिए मोबाइल नम्बर 8058933666 पर मेयर गहलोत को बधाई दी जा सकती है।
ककवानी की भी भूमिकाः
आरएएस अधिकारी ज्योति ककवानी यहां से एपीओ है, लेकिन ककवानी जब निगम की उपायुक्त थीं, तब लाइब्रेरी का काम शुरू करवाया था। लेकिन उपायुक्त के पद से हटने के बाद भी ककवानी ने लाइब्रेरी के काम से हाथ नहीं खींचा। आरएएस के किसी भी पद पर न रहते हुए भी निगम की लाइब्रेरी के लिए पूरा समय दिया। पुराने फर्नीचर का ही उपयोग कर लाइब्रेरी को आधुनिक रूप दिया है। निगम के मेयर गहलोत और आयुक्त गुप्ता भी मानते हैं कि लाइब्रेरी में ककवानी की महत्वपूर्ण भूमिका है। ककवानी का कहना है कि सरकारी पद का कार्य तो अपनी जगह है, लेकिन यह लाइब्रेरी स्थाईतौर पर शहरवासियों के काम आएगी। मुझे इस बात का संतोष है कि लाइब्रेरी में मेरी भी भूमिका है।
एस.पी.मित्तल) (04-09-18)
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