अपने ही लोग बता रहे हैं पुष्कर को गंदा और खराब। 

अपने ही लोग बता रहे हैं पुष्कर को गंदा और खराब। 
तो फिर भाजपा कैसे जीतेगी?
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17 सितम्बर को लगातार दूसरा दिन रहा जब भाजपा सरकार से जुड़े प्रतिनिधियों ने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर को गंदा और खराब बताते हुए यहां के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को गैर जिम्मेदार बताया। अपने लोग जब पुष्कर को खराब बता रहे हैं तो सवाल उठता है कि नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत कैसे होगी? यह आलोचना तब हो रही है जब सीएम वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा के समापन समारोह में पुष्कर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आएंगे। 16 सितम्बर को पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान के ब्रांड एम्बेसेडर डाॅ. डीपी शर्मा ने पुष्कर का दौरा किया। डाॅ. शर्मा को इस बात की हैरानी हुई कि पुष्कर नगर पालिका ने प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ा रखी हैं। उक्त कचरा पात्रों के पास ही गंदगी फैली है तथा बाजारो ंमें आवारा जानवर धड़ल्ले से घूम रहे हैं। श्रद्धालुओं और विदेशी पर्यटकों को बच कर निकलना पड़ता है, फिर भी आए दिन लोग इन जानवरों के शिकार होते हैं। गंभीर बात तो यह रही कि डाॅ. शर्मा के दर्द को सुनने वाला कोई नहीं था, इससे नाराज होकर डाॅ. शर्मा ने मीडिया को बुलाकर पुष्कर की दुर्दशा दिखाई। डाॅ. शर्मा ने कहा कि वे एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री के सामने प्रस्तुत करेंगे, जिसमें पुष्कर की दुर्दशा के फोटो भी होंगे। डाॅ. शर्मा का आरोप रहा कि पुष्कर नगर पालिका और यहां के जनप्रतिनिधि प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को पलीता लगा रहे हैं। जबकि पुष्कर से  देश-विदेश में स्वच्छता का संदेश दिया जा सकता है। यहां देश भर के श्रद्धालुओं के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी आते हैं।
बाल संरक्षण आयोग भी खफाः
राज्य की भाजपा सरकार की जबर्दस्त पैरोकार राजस्थान बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी और आयोग के सदस्य एसपी सिंह, उमा रत्नू, जयश्री गर्ग, सीमा जोशी, साधना सिंह, वी सरवन कुमार आदि ने भी पुष्कर के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को गैर जिम्मेदार माना है। असल में आयोग की बैठक 17 सितम्बर को पुष्कर में होनी थी, इसी बैठक में पुष्कर के बाल श्रम पर महत्वपूर्ण निर्णय होना था। बैठक के बारे में आयोग ने विधिवत सूचना दे दी, लेकिन न तो उपखंड प्रशासन और न नगर पालिका की ओर से बैठक की तैयारी की गई। जबकि आयोग की अध्यक्ष चतुर्वेदी और सदस्य तय समय पर पुष्कर पहुंच गए। जब बैठक का कोई इंतजाम नजर नहीं आया तो चतुर्वेदी ने सीधे कलेक्टर आरती डोगरा के समक्ष नाराजगी जताई। आयोग की अध्यक्ष इतनी खफा हुई कि पुष्कर को छोड़कर अजमेर के सर्किट हाउस आ गई और यहीं पर बैठक की। पुष्कर में बैठक नहीं होने का खामियाजा पुष्कर के लोगों को ही उठाना पड़ा, क्योंकि बैठक में चाइल्ड इको फैंडली मेले की शुरुआत, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण, अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार, आंगनबाड़ी केन्द्रों पर उपलब्ध करवाए जाने वाले पोषाहार की स्थिति, गैर राजकीय संस्थाओं, ग्राम पंचायत ईकाइयों के गठन आदि कार्यों की समीक्षा होनी थी। बैठक में इन योजनाओं से जुड़े विभागों के अधिकारियों को भी आना था, लेकिन इसे गैर जिम्मेदाराना रवैया ही कहा जाएगा कि कोई भी अधिकारी नहीं आया। चूंकि मनन चतुर्वेदी भी भाजपा से जुड़ी रहीं हैं, इसलिए उनका मकसद भी पुष्कर के लोगों को अधिक से अधिक लाभ दिलवाना था।
कैसे जीतेगी भाजपा?ः
जब अपने ही लोग खफा हैं तो सवाल उठता है कि पुष्कर तीर्थ से भाजपा कैसे जीतेगी? पुष्कर नगर पालिका पर भी भाजपा के कमल पाठक विराजमान हैं। पुष्कर में जिस तरह अतिक्रमण की बाढ़ आई है उससे आम लोगों का प्रमुख मार्गों पर चलना भी मुश्किल है। गंभीर बात तो यह है कि आस्थायी अनुमति देकर पालिका ने खुद अतिक्रमण करवाएं हैं। पुष्कर में भाजपा संगठन तो सत्ता के अहसानों से दबा हुआ है।
एस.पी.मित्तल) (18-09-18)
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