शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी को हराने के लिए स्कूल शिक्षा परिवार का अजमेर में डेरा।

शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी को हराने के लिए स्कूल शिक्षा परिवार का अजमेर में डेरा। उत्तर क्षेत्र में हैं 162 हमारी स्कूल-प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा।
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राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी को नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव में हराने के लिए स्कूल शिक्षा परिवार के प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा के नेतृत्व में अनेक शिक्षा कर्मियों ने अजमेर में डेरा जमा लिया है। शर्मा ने कहा कि हमारे परिवार से प्रदेश की 45 हजार निजी स्कूलों के करीब 10 लाख शिक्षा कर्मी जुड़े हुए हैं। इन स्कूलों में 91 लाख से भी ज्यादा विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। देवनानी के उत्तर विधानसभा क्षेत्र में ही 162 स्कूलों संचालित हैं। चूंकि देवनानी ने मंत्री रहते छोटी स्कूलों के संचालकों को बहुत तंग किया है, इसलिए अब शिक्षा कर्मी एकजुट होकर देवनानी को चुनाव में सबक सिखाने का काम करेंगे। हमारा प्रदेश की सीएम वसुंधरा राजे और भाजपा से कोई विरोध नहीं है। परिवार की ओर से गत 6 सितम्बर को ही जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में प्रदेश स्तरीय सम्मेलन किया था। इस सम्मेलन में सीएम राजे के निर्देश पर परिवहन मंत्री यूनुस खान ने भाग लिया। मंत्री खान की पहल पर ही हमारे प्रतिनिधि मंडल की मुलाकात सीएम राजे से हो सकी। इस वार्ता में निजी स्कूलों के शिक्षा कर्मियों को भी पेंशन, बीमा, मेडिकल आदि की सुविधाएं देने पर सहमति हुई है। शर्मा ने कहा कि देवनानी ने अपने स्वार्थों की खातिर निजी स्कूलों की इमेज खाराब कर रखी है। जबकि सरकारी स्कूलों में हालात ज्यादा खराब हैं। देवनानी छोटी निजी स्कूलों के संचालकों को तो बेईमान बताते हैं, लेकिन अजमेर के मेयो काॅलेज, मिशनरीज स्कूल एवं अन्य बड़ी पब्लिक स्कूलों की लूट खसोट पर कोई कार्यवाही नहीं करते। प्रदेश में अधिकांश निजी स्कूलों की वार्षिक फीस पांच हजार रुपए से भी कम है। जबकि मेयो काॅलेज और मिशनरीज स्कूलों में पांच लाख रुपए सालाना तक फीस वसूली जाती है। लेकिन देवनानी मेयो काॅलेज और बड़ी पब्लिक स्कूलों के विरुद्ध कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं करते। पिछले दिनों ही मेयो काॅलेज में एक विद्यार्थी के साथ यौन शोषण की जो घटना हुई उस पर देवनानी ने एक शब्द भी नहीं बोला। यदि किसी छोटे स्कूल में ऐसी वारदात हो जाती तो अब तक देवनानी उस स्कूल पर ताले लगवा देते। देवनानी का यह दावा खोखला है कि सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधरी है। प्रदेश की 63 हजार सरकारी स्कूलों में 60 लाख विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। इन पर सरकार 42 हजार करोड़ रुपया सालाना खर्च करती है। यानि एक विद्यार्थी पर 70 हजार रुपए वार्षिक खर्च किए जाते हैं। जबकि 45 हजार निजी स्कूलों में करीब दस लाख विद्यार्थी अध्ययन करते हैं और सरकार को एक रुपया भी खर्च नहीं करना पड़ता। देवनानी ने शिक्षा में ही भेदभाव कर रखा है। सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी को 21 प्रकार की सुविधाएं दी जाती है। जबकि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थी को सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिलती। इतना ही नहीं आरटीई में पढ़ने वाले बच्चों की फीस भी सरकार समय पर नहीं दे रही है। सरकार ने वर्ष 2018 में भी 2012 के मापदंड निर्धारित कर रखे हैं, जिनकी वजह से निजी स्कूलांे के संचालकों को बहुत कम फीस मिलती है। देवनानी ने राजस्थान में शिक्षा का जो बंटाधार किया है उसी का जवाब अब स्कूल शिक्षा परिवार के शिक्षा कर्मी देंगे। शर्मा ने कहा कि आवश्यकता होने पर देवनानी के खिलाफ चुनाव भी लड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि देवनानी की वजह से प्रदेश भर में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ेगा। अच्छा हो कि देवनानी को टिकिट ही न दिया जाए। यदि देवनानी को अजमेर उत्तर क्षेत्र से लगातार चैथी बार उम्मीदवार बनाया जाता है तो प्रदेशभर के शिक्षा कर्मी घर-घर जा कर देवनानी को हरवाने का काम करेंगे। छोटे निजी स्कूल की दुर्दशा के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9983333844 पर अनिल शर्मा से ली जा सकती है।
एस.पी.मित्तल) (22-09-18)
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