वसुंधरा सरकार फतेहपुर के थानाधिकारी और सिपाही की हत्या पर गंभीरता क्यों नहीं दिखाती?

वसुंधरा सरकार फतेहपुर के थानाधिकारी और सिपाही की हत्या पर गंभीरता क्यों नहीं दिखाती? यदि पुलिस की गोली से कोई मर जाता तो अंतिम संस्कार से पहले मुआवजा भी मिल जाता।

राजस्थान के सीकर के फतेहपुर के थानाधिकारी मुकेश कानूनगो और सिपाही रामप्रकाश 6 अक्टूबर की रात को बदमाश अजय च ौधरी को पकड़ने के लिए गए थे। अजय च ौधरी ने फायर कर दोनों को मौत के घाट उतार दिया। थानाधिकारी और सिपाही की हत्या हुए दो दिन गुजर गए, राज्य की वसुंधरा राजे सरकार की ओर से अभी तक भी कोई गंभीरता नहीं दिखाई है। परिजनों ने जब विरोध करते हुए शवों का अंतिम संस्कार करने से इंकार किया तो बड़े अधिकारियों का दबाव डलवाकर 7 अक्टूबर की रात को शवों का अंतिम संस्कार करवा दिया। परिजन मुआवजा आदि के लिए गिड़गिड़ाते ही रह गए और पुलिस अधिकारियों ने जबरन अंतिम संस्कार करवा दिया। सवाल उठता है कि सरकार अपने थाना अधिकारी और सिपाही की हत्या को गंभीरता से क्यों नहीं हो रही है?
क्या पुलिस कर्मियों की हत्या, हत्या नहींः
कल्पना कीजिए की यदि पुलिस की गोली से किसी की मौत हो जाती है तो अब तक पूरा थाना और बड़े अधिकारी संस्पेंड हो जाते। अंतिम संस्कार तभी होता जब परिजन को नौकरी मुआवजा आदि मिल जाता। किसी की भी हिम्मत नहीं होती की जबरन अंतिम संस्कमार करवा दें। मंत्री और सभी दलों के नेता लाइन बना कर मृत के घर के बाहर खड़े होते, लेकिन थानाधिकारी और सिपाही की मौत पर किसी भी दल के नेता ने संवेदना तक प्रकट नहीं की है। पुलिस में अनेक खामिया हो सकती है। लेकिन 6 अक्टूबर की रात तो थानाधिकारी मुकेश कानूनगो और सिपाही राम प्रकाश बेवजह मारे गए। थानाधिकारी के पास तो अपनी रिवाल्वर तक नहीं थी। सूचना मिली थी कि बदमाश अजय च ौधरी अपनी गेंग के साथ चुनाव में वसूली करने के लिए आया हुआ है। पुलिस को भनक न लगे इसलिए थानाधिकारी सिविल ड्रेस में ही मौके पर चले गए। अजय च ौधरी ने जो गोली चलाई वह थानाधिकारी के गले में तथा सिपाही राम प्रकाश के सीने में घुस गई। यानि पुलिस को तो मुठभेड़ का मौका भी नहीं मिला। सरकार से इन हत्याओं के प्रति जो बेरूखी दिखाई है उसको लेकर प्रदेश भर के पुलिस कर्मियों में नाराजगी है। अपराधी की मौत को मानवाधिकार से जोड़ते हुए सरकार मृतक के परिजन को सबकुछ देती है। ल्ेकिन पुलिस कर्मियों की हत्या पर सरकार कोई गंभीरता नहीं दिखाती।

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