ब्यावर में इस बार शंकर सिंह रावत की राह आसान नहीं।

ब्यावर में इस बार शंकर सिंह रावत की राह आसान नहीं। उम्मीदवारी को लेकर ही विरोध।
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राजस्थान की औद्योगिक नगरी माने जाने वाले अजमेर उपखंड के ब्यावर विधानसभा क्षेत्र में भी चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है। वर्तमान भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत चाहते हैं कि उन्हें तीसरी बार भी भाजपा का उम्मीदवार बनाया जाए, लेकिन इस बार शंकर सिंह को अपनी रावत जाति में ही कड़ा विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही ब्यावर में शहरी उम्मीदवार का मुद्दा भी जोर पकड़ रहा है। ब्यावर में हमेशा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का विवाद बना रहता है। शंकर सिंह रावत की लगातार दो बार जीत में ग्रामीण क्षेत्र के रावत मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लेकिन इस बार शंकर सिंह को रावत समुदाय में ही चुनौती मिल रही है। राष्ट्रीय रावत सेना का एक सम्मेलन गत 7 अक्टूबर को उदयपुर के भिंडर में हुआ। इस सम्मेलन में ब्यावर से शंकर सिंह की उम्मीदवारी का खुला विरोध हुआ। सेना के संस्थापक महेन्द्र सिंह रावत ने सार्वजनिक मंच से कहा कि शंकर सिंह ने विधायक बनने के बाद रावत समुदाय को ही कुचलने का काम किया है। यदि भाजपा शंकर सिंह को उम्मीदवार बनाती है तो मैं स्वयं निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लडूंगा। महेन्द्र सिंह ने भाजपा उम्मीदवार के तौर पर स्वयं का नाम प्रस्तावित किया। महेन्द्र सिंह का कहना रहा कि ब्यावर के रावत बाहुल्य गांव में शंकर सिंह का लगातार विरोध हो रहा है। कई स्थानों पर तो पुतले भी जलाए जा रहे हैं। शंकर सिंह को जहां अपने समुदाय में ही चुनौती मिल रही है, वहीं ब्यावर में शहरी उम्मीदवार का मुद्दा भी जोर पकड़ रहा है। पूर्व विधायक देवी शंकर भूतड़ा, भरत मालानी, पवन जैन के बीच अब नगर परिषद की कार्यवाहक सभापति शशिबाला सोलंकी भी सक्रिय हो गई हैं। श्रीमती सोलंकी अपने चालीस दिनों के कार्यकाल को उपलब्धि पूर्ण बता कर दावेदारी जता रही है। सोलंकी की सक्रियता से शंकर सिंह रावत के साथ-साथ देवी शंकर भूतड़ा जैसे शहरी नेता भी आश्चर्य व्यक्त कर रहे है। भूतड़ा ने पूर्व में बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और भाजपा से निष्कासित हुए, लेकिन उनकी निष्ठा भाजपा के साथ रही, इसलिए लोकसभा के उपचुनाव में घर वापसी हो गई। भूतड़ा अब पूरी तरह सक्रिय होकर ब्यावर से दावेदारी जता रहे हैं। भूतड़ा के साथ ही पूर्व सांसद रासासिंह रावत के पुत्र तिलक रावत भी दावेदारी जता रहे हैं। इसके साथ ही संतोष रावत, श्रवण सिंह रावत, इन्द्र सिंह बागावत आदि भी लाइन में लगे हुए हैं। वहीं विधायक रावत के समर्थकों का कहना है कि राजनीति में विरोध तो चलता रहता है, लेकिन पिछले दस वर्षों से रावत ने आम आदमी बनकर ब्यावर के मतदाताओं की सेवा की है। रावत समाज में आज भी पकड़ बनी हुई है। ब्यावर को जिला घोषित करवाने के प्रयास में रावत ने आंदोलन तक किया।
एस.पी.मित्तल) (10-10-18)
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