अजमेर दक्षिण से जिला प्रमुख वंदना नोगिया की दावेदारी ने भाजपा विधायक-मंत्री अनिता भदेल को चैंकाया।

अजमेर दक्षिण से जिला प्रमुख वंदना नोगिया की दावेदारी ने भाजपा विधायक-मंत्री अनिता भदेल को चैंकाया। कांग्रेस में घर में ही सिर फुटव्वल।
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कोई ढाई वर्ष पहले जब वंदना नोगिया अजमेर की जिला प्रमुख चुनी गई, तब वे एमडीएस यूनिवर्सिटी की छात्रा थीं। तब तीन बार की विधायक श्रीमती अनिता भदेल को उम्मीद नहीं थी कि मात्र ढाई वर्ष बाद ही नोगिया उन्हें राजनीतिक चुनौती देंगी। सब जानते हैं कि जिला प्रमुख के चुनाव के समय भाजपा विधायक और मंत्री वासुदेव देवनानी अजमेर के प्रभारी मंत्री थे। इस नाते जिला प्रमुख के उम्मीदवार का चयन देवनानी को ही करना था, तब दूर दृष्टि दिखाते हुए देवनानी ने अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में निवास करने वाली वंदना नोगिया को उम्मीदवार बनवाया। आज देवनानी कह सकते हैं कि उनकी राजनीतिक दूर दृष्टि सफल हो गई है। नोगिया ने विधिवत रूप से अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से अपनी उम्मीदवार जता दी है। यानि नोगिया ने भदेल के सामने दावेदारी जताई है। हालांकि लोकतंत्र में हर नेता को दावेदारी जताने का अधिकार है, लेकिन नोगिया की दावेदारी ने भदेल को चैंका दिया है। भदेल के समर्थक अब यह जानना चाहते हैं कि डाॅ. प्रियशील हाड़ा जैसे मजबूत दोवदरों का क्या होगा। पूर्व मंत्री श्रीकिशन सोनगरा के पुत्र विकास सोनगरा, पार्षद बीना सिंगारिया ने भी दावेदारी जताई है। प्रदेश की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री भदेल इस क्षेत्र से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुकी हैं। चैथी बार की जीत को लेकर भी भदेल के समर्थकों में उत्साह है। इसमें कोई दो राय नहीं कि भदेल ने अपने क्षेत्र के लोगों से जिस तरह सम्पर्क रखा और मंत्री बनने के बाद भी भजनगंज की सकड़ी गली के आवास को नहीं बदला। अजमेर में रहने पर भदेल पुराने आवास पर बैठ कर ही लोगांे की समस्याओं का समाधान करती है। भदेल विधायक बनने से पहले नगर परिषद की सभापति भी रही।
कांग्रेस में घर में ही सिर फुटव्वलः
बीड़ी उद्योगपति हेमंत भाटी ने गत बार कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, हारने के बाद भी भाटी ने संगठन में लगातार सक्रियता बनाए रखी। सचिन पायलट के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद तो भाटी का दबदबा और बढ़ गया, लेकिन टिकिट हासिल करने में हेमंत को अपने बड़े भाई पूर्व मंत्री ललित भाटी से कड़ी चुनौती मिल रही है। टिकिट कटवाने के लिए ललित भाटी और उनकी पांच बहनों ने हेमंत भाटी के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा तक दर्ज करवा दिया है। ललित भाटी को उम्मीद है कि हेेमंत का टिकिट कटने पर उन्हें ही उम्मीदवार बनाया जाएगा। ललित इस क्षेत्र से पहले भी एक बार विधायक रह चुके हैं। सम्पूर्ण विधानसभा क्षेत्र में ललित भाटी की लोकप्रियता आज भी है। वहीं हेमंत भाटी के समर्थकों का कहना है कि परिवार के सदस्यों के आरोप कोई मायने नहीं रखते हैं। समर्थकों को यकीन है कि टिकिट हेमंत भाटी को ही मिलेगा। 14 अक्टूबर की रात को नानकी पैलेस में अखिल भारतीय कोली समाज की एक बैठक हुई। इस बैठक में चुनिंदा प्रतिनिधियों को ही प्रवेश दिया गया। हालांकि यह बैठक समाज की थी, लेकिन इस बैठक में हेमंत भाटी की उम्मीदवारी का मुद्दा छाया रहा। बैठक में हेमंत भाटी का कहना रहा कि उनकी मुलाकात राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से भी हो चुकी है। राजस्थान में कोली मतदाताओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए पांच टिकिट कोली समाज ने मांगे हैं। 14 अक्टूबर को समाज की बैठक को भी दावेदारी के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दक्षिण क्षेत्र से पूर्व मेयर कमल बाकोलिया ने भी मजबूत दावेदारी जताई है। बाकोलिया का तर्क है कि मेयर का चुनाव उन्होंने आम मतदाता के वोट से जीता था, इसलिए उन्हें सब लोग जानते हैं। पांच वर्ष तक उन्होंने ईमानदारी के साथ मेयर की भूमिका निभाई। उन्हें अपने रैगर समाज में ही नहीं बल्कि सिंधी कोली, वाल्मीकि, ब्राह्मण, माली आदि समाजों में भी लोकप्रिय हैं। वह सिर्फ अपने रैगर समाज के मतदाताओं को लेकर दावेदारी नहीं जता रहे, चुनाव में हर समाज महत्वपूर्ण होता है। पूर्व विधायक डाॅ. राजकुमार जयपाल, डाॅ. राकेश सिवासिया, ईश्वर राजोरिया, नरेश सत्यावना आदि ने भी कांग्रेस से अपनी दावेदारी जताई है।
मिला जुला असरः
दक्षिण विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस और भाजपा का मिला जुला असर रहा है। पूर्व में यहां से डाॅ. राजकुमार जयपाल, ललित भाटी आदि कांग्रेस के विधायक रहे हैं तो श्रीकिशन सोनगरा, कैलाश मेघवाल भी विधायक चुने गए। श्रीमती अनिता भदेल एक मात्र भाजपा की नेता है जो लगातार तीन बार से चुनाव जीत रही हैं। हार का रिकाॅर्ड कांग्रेस के रामबाबू शुभम के नाम है तो तीन बार इसी क्षेत्र से चुनाव हारे हैं। डाॅ. जयपाल और उनकी माताजी श्रीमती भगवती देवी भी एक एक बार चुनाव हार चुके हैं। एक अनुमान के अनुसार दक्षिण क्षेत्र में रैगर समाज के मतदाता 30 हजार हैं, वहीं कोली समाज के मतदाताओं की संख्या 35 हजार मानी जाती है। सिंधी 25, माली 20 और मुसलमान 15 हजार मतदाता हैं। यहां वाल्मीकि समाज के मतदाताओं की संख्या भी प्रभावित करने वाली है। आरक्षित क्षेत्र में ब्राह्मण, वैश्य आदि के मतदाताओं की संख्या भी अच्छी है।
एस.पी.मित्तल) (15-10-18)
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