चलो! भाजपा के कार्यकर्ता को सम्मान तो मिला।

चलो! भाजपा के कार्यकर्ता को सम्मान तो मिला। सभी 200 सीटों पर फीड बैक।
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7 दिसम्बर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए इन दिनों राजस्थान में भाजपा के बड़े नेता मजमा लगाकर फीडबैक ले रहे हैं। अभी यह मजमा रणकपुर में लग रहा है तो 16 को कोटा में लगेगा। ऐसा ही मजमा जयपुर में भी लगना है। सीएम वसुंधरा राजे से लेकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर तक विधानसभा वार जानकारी एकत्रित कर रहे हैं। चूंकि फीडबैक की इस प्रक्रिया में भाजपा के जिलाध्यक्ष से लेकर मंडल तक के प्रमुख पदाधिकारी शामिल है, इसलिए छोटे कार्यकर्ताओं को भी अपनी राय देने का अवसर मिल गया है। पंचायत समिति के सदस्य तक की मिजापुर्सी होने लगी है। जो दावेदार हैं वे अपने क्षेत्र के संबंधित कार्यकर्ता को फीडबैक वाले स्थान पर ले जाने और लाने का इंतजाम तो कर ही रहे हैं साथ ही उसे सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। चूंकि एक विधानसभा क्षेत्र से 15-15 नेता दावेदारी जता रहे हैं, इसलिए इन दिनों छोटे कार्यककर्ता के घर के बाहर बड़े नेताओं की लाइन लगी है। चूंकि चुनाव लड़ना बल और धनशाली नेताओं का काम है इसलिए छोटे कार्यकर्ता के घर के बाहर भी अब वाहन नजर आने लगे हैं। हर दावेदार चाहता है कि फीडबैक देने वाला कार्यकर्ता उसी के साधनों का उपयोग करें। तय प्रक्रिया के अनुसार एक कार्यकर्ता को अपने विधानसभा क्षेत्र के तीन दावेदारों के नाम पर्ची में लिखकर देने हैं। यही वजह है कि सभी दावेदार अपना नाम पर्ची में लिखवाना चाहते हैं। सब जानते हैं कि अधिकांश मंडल अध्यक्ष भाजपा विधायकों की सिफारिश से बने हैं। ऐसे में मंडल अध्यक्ष तो अपने विधायक के प्रति वफादारी दिखाएंगे ही। ऐसी वफादारी पर प्रहार करने के लिए पूर्व मंडल अध्यक्षों को भी फीडबैक की प्रक्रिया में शामिल किया गया है। फीडबैक में बड़े नेताओं के सामने सबसे बड़ी समस्या उन दावेदारों की है जो स्वयं फीडबैक की प्रक्रिया में शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा जिलाध्यक्ष हैं। हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि जिलाध्यक्षों को उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा, लेकिन इसके बावजूद भी अनेक जिलाध्यक्ष पर्ची में अपना नाम लिखवा रहे हैं। कुछ जिलाध्यक्ष तो चाहते है कि कार्यकर्ता पर्ची में तीन के बजाए सिर्फ एक  नाम उनका ही लिखे। ऐसा ही दबाव विधायकों का भी है। जो मंडल अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी विधायक की मेहरबानी से बने हैं उन पर अब पूरा दबाव है। यही वजह है कि जिन विधायकों की ईमेज खराब बताई जा रही है उनके नाम भी पर्ची में लिखे जा रहे हैं। कहा तो यही जा रहा है कि पर्चियों में लिखे नामों के आधार पर ही उम्मीदवारों का चयन होगा, लेकिन भाजपा में ऐसे दावेदार भी हैं जो ऐसी पर्चियों से कहीं ऊपर हैं। इनमें दिग्गज नेताओं के पुत्र पुत्रियां और अन्य रिश्तेदार शामिल हैं। अब जब मतदान में मात्र 52 दिन शेष है, तब फीडबैक की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह प्रक्रिया भी तब हो रही है, जब भाजपा के 163 विधायकों में से करीब 100 के टिकिट कटने की चर्चा है।
एस.पी.मित्तल) (15-10-18)
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