आचार संहिता के उल्लंघन वाले नोटिस को मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने असत्य और भ्रमक बताया।

आचार संहिता के उल्लंघन वाले नोटिस को मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने असत्य और भ्रमक बताया। मंत्रियों की हो रही है वीडियोग्राफी।
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19 अक्टूबर को अजमेर के पटेल मैदान पर नगर निगम द्वारा आयोजित रावण दहन के कार्यक्रम में एक धर्मगुरु को माला पहनाने को लेकर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का निर्वाचन अधिकारी ने जो नोटिस दिया, उसे मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने अस्पष्ट, असत्य और भ्रमक बताया है। 22 अक्टूबर को नोटिस का जवाब देते हुए अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी को गहलोत ने लिखा है कि वे गत 25 वर्षों से जनसामान्य की हैसियत से रावण दहन के कार्यक्रम में उपस्थित हो रहे हैं। 19 अक्टूबर को भी इसी हैसियत से वे उपस्थित थे। उन्होंने रावण दहन के दौरान ऐसा कोई कृत्य नहीं किया, जिससे आचार संहिता का उल्लंघन होता हो। उन्होंने कोई भाषण नहीं दिया। समारोह स्थल पर न तो कोई मंच था और न ही वे मंचासीन थे। ऐसी स्थिति में मंचासीन होने का आरोप ही गलत है। नोटिस के जवाब में मेयर ने लिखा कि आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य जनसामान्य में भय मुक्त चुनाव संपादन कराने का है न कि प्रशासन द्वारा आदर्श आचार संहिता के नाम पर भययुक्त वातावरण उत्पन्न करने का है। आचार संहिता कहीं भी          धार्मिक आस्था व्यक्त करने पर नहीं रोक सकती है। इस संबंध में आदर्श आचार संहिता विधानसभा आम चुनाव निर्वाचन विभाग राजस्थान द्वारा जारी निर्देश के पृष्ठ संख्या 26 पर उदरित एवं निर्वाचन आयोग पत्र संख्या 437 के संदर्भ में ऐसा कोई कृत्य नहीं किया गया है। मेयर ने यह भी लिखा कि वे कई बार विधानसभा उम्मीदवार के अभिकर्ता रह चुके है और स्वयं ने भी तीन बार चुनाव लड़ा है। ऐसे में उन्हें आचार संहिता के उल्लंघन की पूर्ण जानकारी है। उन्होंने हमेशा नियमों का पालन किया है। गहलोत ने कहा कि नोटिस प्रथमदृष्टया व्यक्ति एवं राजनीतिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला है। नोटिस भी नगर निगम के पते पर भेजा गया है, जबकि 19 अक्टूबर से ही निगम में अवकाश चल रहा है। मुझे नोटिस दिए जाने की जानकारी समाचार पत्रों के माध्यम से हुई है। जवाब में गहलोत ने नोटिस की कार्यवाही को निरस्त करने की बात कही है। निर्वाचन विभाग ने गहलोत को भले ही मेयर के तौर पर नोटिस दिया हो, लेकिन गहलोत ने स्वयं को प्रगति नगर कोटड़ा अजमेर का निवासी बताते हुए जवाब प्रेषित किया है।
मंत्रियों की वीडियो ग्राफीः
निर्वाचन विभाग के सूत्रों के अनुसार स्कूली शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल आदि जनप्रतिनिधियों के विभिन्न कार्यक्रमों की वीडियोग्राफी करवाई जा रही है। 21 अक्टूबर की शाम को जब सिंधी समाज के एक कार्यक्रम में देवनानी भाग ले रहे थे, तब निर्वाचन विभाग का वीडियो ग्राफ्तर पहुंच गया। इस पर देवनानी ने कड़ा ऐतराज जताया। उल्लेखनीय है कि श्रीमती भदेल को भी आचार संहिता के उल्लंघन का नोटिस दिया जा चुका है। वहीं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. लाल थदानी के निलंबन के लिए पत्र लिखा गया है। इसी प्रकार डाॅ. हरचंदानी की अनुबंध की सेवाओं को समाप्त करने की कार्यवाही भी की गई है। इन दोनों डाॅक्टर पर कांग्रेस के समर्थन में प्रचार करने का आरोप है। निर्वाचन विभाग ने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ जो सख्त कार्यवाही की है उससे भाजपा के जनप्रतिनिधियों में बेचेनी है।
एस.पी.मित्तल) (22-10-18)
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