रावत और जाट जातियों में फंसे हैं अजमेर में भाजपा के उम्मीदवार।

रावत और जाट जातियों में फंसे हैं अजमेर में भाजपा के उम्मीदवार। कांग्रेस में जातीय समीकरण ठीक-ठाक।
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7 दिसम्बर को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा में मंडल स्तर तक के पदाधिकारियों के साथ रायशुमारी हो चुकी है। प्रदेश स्तर पर तीन-तीन नामों का पैनल भी बन चुका है और अब एक दो नामों की सूची दिल्ली भेजी जा रही है। इसी प्रकार कांग्रेस में उम्मीदवारों का अंतिम फैसला प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट को ही करना है। शायद अशोक गहलोत भी खामोश रहेंगे। लेकिन अजमेर जिले में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा के सामने उम्मीदवारों के चयन की ज्यादा चुनौतियां हैं। 20 अक्टूबर की रायशुमारी में भी यह बात सामने आई कि जाट और रावत समुदाय वर्ष 2013 वाला अपना हक छोड़ना नहीं चाहता है। गत बार भाजपा ने 8 में से 2-2 सीटों पर रावत और जाट समुदाय के उम्मीदवार खड़े किए। इस फार्मूले से जिले की आठों सीटे भाजपा की झोली में आ गईं, लेकिन अब 2018 में यही फार्मूला भाजपा के लिए मुसीबत बना हुआ है। भाजपा ने गत बार पुष्कर और ब्यावर से रावत तथा नसीराबाद व किशनगढ़ से जाट समुदाय के उम्मीदवार मैदान में उतरे। अजमेर उत्तर क्षेत्र में सिंधी उम्मीदवार उतार कर भाजपा ने वैश्य, गुर्जर जैसे बड़े समुदायों की उपेक्षा की। हालांकि मुस्लिम उम्मीदवार में भाजपा की ज्यादा रुचि नहीं होती है, लेकिन फिर भी कई मुस्लिम नेता अजमेर से टिकिट की मांग कर रहे हैं। जाट और रावत समुदाय के नेता जहां किशनगढ़, नसीराबाद, पुष्कर और ब्यावर में अपना हक बराबर रखने का दबाव बनाएं हुए हैं, वहीं इन चारों सीटों पर वैश्य, गुर्जर और मुसलमानों का दबाव भी है। देखना होगा कि भाजपा के बड़े नेता जाट और रावत समुदाय से एक-एक सीट वापस ले पाते हैं या नहीं। जातीय समीकरण बैठाने वाले नेताओं का मानना है कि इस बार गुर्जर और वैश्य समुदाय को भी प्रतिनिधित्व दिया जावे। चूंकि कांग्रेस सचिन पायलट के सीएम बनने की चर्चा है, इसलिए भाजपा के सामने गुर्जर समुदाय को संतुष्ट रखने का भी दबाव होगा। यदि भाजपा जाट और रावत समुदाय से एक-एक सीट वापस लेने में सफल होती है तो वैश्य और गुर्जर समुदाय को उम्मीदवारी मिल सकती है। यही वजह है कि नसीराबाद, पुष्कर और किशनगढ़ में गुर्जर, वैश्य आदि के दावेदार उत्साहित हैं। अब यह भी देखना होगा कि किन सीटों को जाट और रावतों से वापस लिया जाता है। वैसे इन दोनों ही समुदाय के वोट अजमेर जिले की अधिकांश सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं।
कांग्रेस में ठीक ठाकः
जातीय समीकरण के हिसाब से कांग्रेस में स्थिति ठीक ठाक है। गत बार कांग्रेस ने सभी प्रमुख जातियों को प्रतिनिधित्व दिया, इसलिए कांग्रेस के सामने किसी जाति के हक को कम करने का दबाव नहीं है। गत बार कांग्रेस ने पुष्कर से नसीम अख्तर इंसाफ के तौर पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारा तो अजमेर उत्तर से वैश्य के तौर पर डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती। किशनगढ़ में जाट उम्मीदवार नाथुराम सिनोदिया तो नसीराबाद में महेन्द्र सिंह गुर्जर उम्मीदवार रहे। केकड़ी में ब्राह्मण रघु शर्मा तो मसूदा से ओबीसी ब्रह्मदेव कुमावत। ब्यावर में मनोज च ौहान के तौर पर रावत तथा अजेमर दक्षिण में हेमंत भाटी को एससी उम्मीदवार रहे। कांग्रेस का जातीय समीकरण इसी प्रकार से रहने की उम्मीद है। जनवरी में हुए लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस ने ब्राह्मण जाति के रघु शर्मा को उम्मीदवार बनाया और जीत दर्ज की। उपचुनाव की जीत से भी कांग्रेस उत्साहित हैं। हालांकि सीएम वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही पूरी भाजपा सरकार लगी हुई थी, लेकिन फिर भी रामस्वरूप लाम्बा की जीत नहीं हो सकी।
एस.पी.मित्तल) (25-10-18)
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