दरगाह में टोपी पहनने से परहेज तो राहुल गांधी ने भी किया।

दरगाह में टोपी पहनने से परहेज तो राहुल गांधी ने भी किया।
जियारत के समय सिर पर टोपी के बजाए रूमाल रखा।
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एक समारोह में जब नरेन्द्र मोदी ने एक मौलाना से टोपी नहीं पहनी तो मीडिया में जोरदार हंगामा हुआ। इस हंगामे की गूंज आज तक होती है, लेकिन टोपी से परहेज तो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी 26 नवम्बर की अपनी अजमेर यात्रा में किया। राहुल गांधी ने 26 नवम्बर को अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में जियारत की। दरगाह की परंपरा के अनुसार आमतौर पर जियारत करने वाला अकीदतमंद टोपी पहनता है। इस पंरपरा को देखते हुए गांधी परिवार के खादिम सैय्यद अब्दुल गनी गुर्देजी ने जियारत के सामान में फूल, चादर, इत्र आदि के साथ टोपी भी रख दी, लेकिन टोपी को देखते ही राहुल गांधी की सुरक्षा में लगे एसपीजी के अधिकारियों ने एतराज जता दिया। जब खादिम गुर्देजी ने टोपी पहनना दरगाह की परंपरा बताया, तब अधिकारियों ने फोन पर बात की और साफ कहा कि टोपी का विकल्प तलाशा जाए। इस पर गुर्देजी का कहना रहा कि राहुल गांधी अपने सिर पर रूमाल भी रख सकते हैं। बाद में यही हुआ कि जब राहुल गांधी दरगाह पहुंचे तो सिर पर रूमाल बांधा गया। रूमाल बांध कर ही राहुल गांधी ने दरगाह में जियारत की। खादिम गुर्देजी के यह समझ में नहीं आ रहा कि राहुल गांधी ने टोपी क्यों नहीं पहनी? जबकि दस वर्ष पहले जब वे जियारत के लिए दरगाह आए थे, तब टोपी पहनी थी। खादिम गुर्देजी ने बताया कि वे राहुल गांधी के लिए शानदार चिश्तियां टोपी लाए थे। यदि राहुल गांधी चिश्तियां टोपी पहनते तो अच्छा रहता। जियारत के समय कोई मेहमान टोपी नहीं पहने तो खादिम को एतराज भी नहीं होता।
जस्टर को पहनाई थी चिश्तिया टोपीः
भारत स्थित अमरीका के राजदूत केनथ जस्टर ने भी गत 18 नवम्बर को ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत करवाई थी। जस्टर को भी गुर्देजी परिवार की ओर से ही जियारत करवाई गई। तब जस्टर को यासिर गुर्देजी और जकरिया गुर्देजी ने चिश्तिया टोपी पहनाई थी। इस टोपी को पहन कर ही जस्टर की जियारत की।
पुष्कर में केसरिया साफा बंधवायाः
राहुल गांधी ने भले ही दरगाह में जियारत के मौके पर टोपी न पहनी हो, लेकिन पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में केसरिया साफा बंधवाया। विधानसभा चुनाव के मौके पर मंदिर परिसर में केसरिया साफा बंधवाने के लिए कांगे्रस की ओर से विशेष इंतजाम किए गए। असल में मंदिर जाकर कांग्रेस अपनी पुरानी छवि में बदलाव करना चाहती है। दरगाह-पुष्कर की धार्मिक यात्रा में भले ही राहुल गांधी ने एक शब्द भी नहीं बोला हो, लेकिन मंदिर परिसर में पूजा के बाद केसरिया साफा बंधवा कर राहुल गांधी ने बहुत कुछ कह दिया। इतना ही नहीं जिस व्यक्ति ने राहुल के सिर पर साफा बांधा, उसने टीवी चैनलों पर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना की।
एस.पी.मित्तल) (28-11-18)
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