पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के समर्थकों ने एक-दूसरे पर बम फेंके।

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के समर्थकों ने एक-दूसरे पर बम फेंके।
देश के लिए यह महत्वपूर्ण घटना है।
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राजस्थान में विधानसभा चुनाव के शोर गुल के बीच मेरा यह ब्लाॅग कितना असर कर पाएगा यह तो वक्त ही बता पाएगा, लेकिन देश हित में मैं चुनावी माहौल में भी यह ब्लाॅग लिखना जरूरी समझता हंू। सब जानते है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और वामपंथी दलों को पछाड़ कर ममता बनर्जी मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं। ममता की तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता कितने ताकतवर और निडर है, इसका अंदाजा वर्दमान जिले में पंचायत चुनाव के दौरान मिला। पंचायत पर काबिज होने के लिए ममता के समर्थकों ने एक-दूसरे पर बम फेंके। इस बमबारी में 7 लोग बुरी तरह जख्मी हो गए। ममता के समर्थक जब आपस में ही बमबारी कर रहे हैं तो कांगे्रस और वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं को मारने और भगाने में क्या किया होगा, इसका भी अंदाजा लगाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के नेता भी अब चिल्ला रहेे हैं कि पश्चिम बंगाल में उनके कार्यकर्ताओं की हत्याएं हो रही हैं। विरोधियों के आरोपों के जवाब में ममता का हमेशा यही कहना होता है कि कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। ममता ने अब तक जो इंतजाम किए उसी का नतीजा है कि अब तृणमूल के कार्यकर्ता आपस में ही बमबारी कर रहे हैं। यदि तृणमूल के कार्यकर्ताओं को कांग्रेस, भाजपा, वामपंथियों से मुकाबला करने पड़े तो हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। असल में सत्ता पर काबिज रहने के लिए ममता ने जो राजनीति की, उसी का परिणाम है कि हालात बद से बदत्तर हो गए हैं। आज हम कश्मीर के हालात देख रहे हैं। पाकिस्तान से प्रशिक्षित होकर आए आतंकी कश्मीरियों की मदद से सुरक्षा बलों पर हमले कर रहे हैं। आतंकियों से निपटने में पुलिस की कोई भूमिका नहीं है। देश की आजादी में बंगाल के क्रांतिकारियों का विशेष योगदान रहा है। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने राजनीतिक स्वार्थों के खातिर बंगाल के क्रांतिकारियों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगी। मुख्यमंत्री बने रहने से ज्यादा जरूरी है कि देश की एकता और अखंडता कायम रहे। भारत अभी धर्म निरपेक्ष राष्ट्र बना हुआ है, जहां सभी धर्मों के लोग अमनचैन से रह सकते हैं, इसलिए ममता बनर्जी जैसी नेता सभी दलों को पछाड़ते हुए मुख्यमंत्री बनी हुई हैं, लेकिन इस धर्म निरपेक्ष राष्ट्र में यह भी देख रहे हैं कि कश्मीर से चार लाख हिन्दुओं को पीट पीट कर भगा दिया गया। देश के अनेक नेता उन तत्वों के साथ खड़े हैं जिन्होंने हिन्दुओं को कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर किया। आज कश्मीर में एक तरफा माहौल हो गया है। ममता बनर्जी ऐसा कोई कार्य नहीं करें, जिससे पश्चिम बंगाल कश्मीर की राह पर चले। कांग्रेस और वामपंथी दलों को भी राजनीति से ऊपर उठ कर देश हित में सोचना चाहिए। बईपान जिले की घटना पश्चिम बंगाल के हालात समझने के लिए काफी हैं।
एस.पी.मित्तल) (02-12-18)
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