तो क्या मीडिया घरानों के एग्जिट पोल से राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बन जाएगी?

तो क्या मीडिया घरानों के एग्जिट पोल से राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बन जाएगी?
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राजस्थान में विधानसभा चुनावों के लिए 7 दिसम्बर को मतदान हुआ और शाम 5 बजे बाद मतदान समाप्त होते ही टीवी चैनलों पर एग्जिट पोल शुरू हो गए। हालांकि मतदाताओं ने ईवीएम का जो बटन दबाया है, उसके अनुरूप तो परिणाम 11 दिसम्बर को आएगा, लेकिन मीडिया वालों ने मतदाताओं के मन को टटोलकर जो अनुमान लगाया, उसके मुताबिक राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। विभिन्न मीडिया घरानों के एक्जिट पोल का औसत निकाला जाए तो कांग्रेस को 100 भाजपा को 78 तथा अन्य को 11 सीटें मिल रही हैं। सब जानते हैं कि इस बार 200 में से 199 सीटों पर मतदान हुआ है और बहुमत के अब 100 विधायक ही चाहिए। इस लिहाज से कांग्रेस की सरकार बन सकती है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या मीडिया घरानों के एग्जिट पोल पर भरोसा किया जा सकता है? पूरे चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी इसी मीडिया को कोसते रहे। राहुल का हर सभा और हर प्रेस काॅन्फ्रेंस में कहना रहा कि मीडिया घरानों पर दबाव है, इसलिए सच्चाई सामने नहीं आती। राजस्थान की एक सभा में तो जिन 15 उद्योगपतियों के लोन माफ किए हैं उन्हीें उद्योगपतियों के इशारे पर अखबार और टीवी चैनल चलते हैं। सोशल मीडिया पर तो अखबारों और न्यूज चैनलों को गोदी मीडिया कहा जाता रहा। सवाल उठता है कि जो मीडिया इतना झूठा है, उसके एग्जिट पोल पर भरोसा क्यों किया जा रहा है? क्या यह मीडिया नरेन्द्र मोदी की गोद से उतर गया है? कांग्रेस के अनेक नेता मीडिया के एग्जिट पोल को लेकर उत्साहित हैं और ख्वाब देखने लगे हैं लेकिन एग्जिट पोल पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने सदे हुए शब्दों में प्रतिक्रिया दी है। पायलट का कहना रहा कि हमें 11 दिसम्बर तक का इंतजार करना चाहिए। इतना जरूर है कि मतदाताओं ने भाजपा सरकार के खिलाफ गुस्से में अपने मताधिकार का उपयोग किया है।
जरूरी नहीं एग्जिट पोल सही हो:
यह जरूरी नहीं कि एग्जिट पोल के अनुरूप ही कांग्रेस को 100 सीटें मिल जाएं। यदि मतदाताओं में वाकई गुस्सा था तो फिर कांग्रेस की सीटों पर आंकड़़ा 120 के पार जा सकता है, लेकिन यदि सामान्य मतदान रहा तो फिर कांग्रेस का आंकड़ा 85-90 भी हो सकता है। ऐसे में परिणाम के बाद दोनों ओर तोड़फोड़ होगी। मई 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा हर हालत में सरकार बनाने की कोशिश करेगी। जोड़ तोड़ की राजनीति में फिलहाल भाजपा का कोई मुकाबला नहीं हंै। राजस्थान के हालातों की तुलना कनार्टक से नहीं की जा सकती है। कनार्टक में कांग्रेस के गठबंधन की सरकार इसलिए बनी कि वहां एक मुश्त 40 विधायक देवगौड़ा वाले सैक्यूलर जनता दल के पास थे। हालांकि राज्यपाल के सहयोग से एक बार येदुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने शपथ ले ली थी, लेकिन बाद में येदुरप्पा विधानसभा में बहुमत नहीं दिखा सके। ऐसे में राज्यपाल को देवगौड़ा के पुत्र कुमार स्वामी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवानी पड़ी। राजस्थान में भाजपा-कांग्रेस के बाद ऐसा कोई दल नजर नहीं आ रहा, जिसके पास 6 विधायक भी होंगे। स्वाभाविक दो-चार निर्दलीय, दो तीन बसपा, एक दो आरएलडी, आदि के विधायकों के बीच ही खींचतान हो। 2008 में कांग्रेस को करीब 90 सीटें मिली थी, तब अशेक गहलोत ने बड़ी मुश्किल से सरकार बनाई। एग्जिट पोल के परिणाम से तो राजस्थान में 11 दिसम्बर को रोचक स्थिति हो सकती है। कांग्रेस को अभी भी उम्मीद है कि 120 से भी ज्यादा सीटें मिलेंगी।
एस.पी.मित्तल) (08-12-18)
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