राजस्थान में कांग्रेस का राज आते ही ख्वाजा साहब की दरगाह में उठा पटक।

राजस्थान में कांग्रेस का राज आते ही ख्वाजा साहब की दरगाह में उठा पटक।
अब अमन की चादर पर भी विवाद।
हज कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान विवादों में आए।
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राजस्थान में कांग्रेस का शासन आते ही अजमेर स्थित संसार प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में उठा पटक शुरू हो गई है। केन्द्र सरकार के अधीन चलने वाली दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान की अब तक दरगाह में एक तरफा चल रही थी। यहां तक कि दरगाह के खादिमों की दोनों संस्थाएं भी पठान के साथ थीं, लेकिन 17 दिसम्बर को प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही अब पठान का विरोध शुरू हो गया है। खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के पूर्व सचिव सरवर चिश्ती ने कश्मीर स्थित चरारे शरीफ की दरगाह में चढ़ाए जाने वाली चादर को अमीन पठान के साथ भेजे जाने पर एतराज जताया है। चिश्ती का कहना है कि अमीन पठान को ख्वाजा साहब की  दरगाह की चादर देकर खादिमों के अधिकारों का हनन भी किया गया है। मालूम हो कि ख्वाजा साहब की दरगाह से चरारे शरीफ की दरगाह में चादर भेजने की परंपरा है। इसे अमन की चादर कहा जाता है। ख्वाजा साहब की मजार पर पेश हुई चादर को दरगाह कमेटी को दिए जाने पर पूर्व सचिव सरवर चिश्ती ने कड़ा एतराज जताते हुए मौजूदा सचिव हाजी सैय्यद वाहिद हुसैन को कठोर भाषा में पत्र भी लिखा है। इस पत्र के बाद खादिमों में आपसी विवाद भी बढ़ गया है। हालांकि खादिमों का विवाद जनवरी में होने वाले अंजुमन के चुनाव से भी जुड़ा है, लेकिन जिस तरह से अमीन पठान का विरोध हो रहा है, उससे प्रतीत होता है कि आने वाले दिनों में दरगाह कमेटी और खादिमों के बीच विवाद और बढ़ेगा। अमीन पठान वर्तमान में राजस्थान हज कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। गत भाजपा के शासन में मजबूत पकड़ होने की वजह से ही पठान  दो महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त हुए थे। लेकिन अब दरगाह में उनके सामने विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न हो गई है। पठान को अब राज्य सरकार का समर्थन भी नहीं मिलेगा। वहीं अंजुमन के मौजूदा सचिव वाहिद हुसैन भी बचाव की मुद्रा में आ गए हैं। वाहिद का कहना है कि गत 20 दिसम्बर को चरारे शरीफ के लिए जो चादर भेजी गई, वह खादिमों की तरफ से नहीं थी। 20 दिसम्बर को दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान अपने साथ दो चादर लाए थे। एक चादर को मजार शरीफ पर पेश किया गया था। पठान चरारे शरीफ के लिए दरगाह कमेटी की चादर ही ले गए। वाहिद ने बताया कि ख्वाजा साहब की मजार पर जो चादरें पेश होती है उन्हें अंजुमन के खजाने में भी रखा जाता है तथा अनेक चादर खादिम अपने पास रख  लेते हैं। बाद में ऐसी चादरों को ही पवित्र स्थानों पर भेजा जाता है। दरगाह में यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
पठान ने जताया था शुक्रिया:
20 दिसम्बर को दरगाह में जो समारोह हुआ था, उसमें दरगाह कमेटी के अध्यक्ष पठान ने अंजुमन सैय्यद जादगान का शुक्रिया किया था। तब यही बात सामने आई थी कि अंजुमन की ओर से अमन की चादर दी जा रही है।
एस.पी.मित्तल) (25-12-18)
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