ब्रह्मा मंदिर का महंत योग्य व्यक्ति बने, लेकिन प्रबंधन सरकार के पास ही रहे। 

ब्रह्मा मंदिर का महंत योग्य व्यक्ति बने, लेकिन प्रबंधन सरकार के पास ही रहे। 
पुष्कर के भाजपा विधायक सुरेश रावत ने चढ़ावे की लूट की ओर ध्यान आकर्षित किया।
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अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर तीर्थ के भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत ने कहा है कि विश्व विख्यात ब्रह्मा मंदिर के महंत की गद्दी पर कोई योग्य व्यक्ति को बैठना चाहिए, लेकिन मंदिर के प्रबंधन का कार्य सरकार द्वारा गठित प्रबंध समिति के पास ही रहना चाहिए, ताकि मंदिर में आने वाले चढ़ावे को लूट से बचाया जा सके। रावत ने बताया कि ब्रह्मा मंदिर के चढ़ावे को लेकर उनके सवालों पर राज्य सरकार ने 11 फरवरी को विधानसभा में जो जवाब दिए हैं वे चैंकाने वाले हैं। सरकार की ओर से बताया गया कि जब सोमपुरी मंहत गद्दी पर बैठे थे, तब वर्ष 2013 से 2016 तक कोई तीन वर्ष में मंदिर की आय एक करोड़ 34 लाख रुपए की रही। इस अवधि में मंदिर ट्रस्ट और उसके तथा कथित सदस्यों ने दान पेटियां भी रखी थी, लेकिन 11 जनवरी 2017 को एक हादसे में महंत सोमपुरी के निधन के बाद उनके प्रयासों से राज्य सरकार ने अजमेर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक प्रबंध कमेटी का गठन किया। शुरुआती दौर में तत्कालीन कलेक्टर गौरव गोयल ने मंदिर के चढ़ावे को लेकर जो पुख्ता इंतजाम किए उसी का परिणाम है कि दो वर्ष 9 माह की अवधि में पांच करोड़ 41 लाख रुपए की आय हुई है। महंत के कार्यकाल के तीन वर्षों में एक करोड़ 34 लाख तथा सरकारी कमेटी के पैसे तीन वर्ष में पांच करोड 41 लाख रुपए की आय होने से प्रतीत होता है कि ब्रह्मा मंदिर के चढ़ावे में पूर्व में जमकर लूट हुई है। रावत ने कहा कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ चढ़ावा चढ़ाते हैं, ऐसे में यदि चढ़ावे में से लूट होती है तो यह श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ है। अब जब मंदिर के चढ़ावे की सच्चाई सामने आ गई है तो सरकार को मंदिर प्रबंधन का कार्य यथावत रखना चाहिए। आज मंदिर के चढावे से ही श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में अनेक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है। केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं में ब्रह्मा मंदिर के परिसर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है। विधायक रावत ने कहा कि महंत सोमपुरी के कार्यकाल में जिन लोगों ने चढ़ावे में लूट की उनके विरुद्ध अब कार्यवाही होनी चाहिए।
सरकार बदले ही पुरानी व्यवस्था पर जोरः
राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही ब्रह्मा मंदिर में पुरानी व्यवस्था को लागू करवाने के प्रयास शुरू हो गए हैं। महंत सोमपुरी के कार्यकाल में जो लोग मालामाल हुए हैं वे चाहते है कि मंदिर पहले की तरह महंत की नियुक्ति हो जाए और प्रबंधन का कार्य फिर से महंत के पास ही हो। ऐसे लोगों का तर्क है कि महंत के द्वारा समय समय पर धार्मिक आयोजन किए जाते है जिन पर चढ़ावे की राशि ही खर्च होती है। सरकार की कमेटी के समय मंदिर में भंडारों का आयोजन भी बंद हो गया है, जबकि साधु संतों को भोजन और दक्षिणा देने की परंपरा रही है।
एस.पी.मित्तल) (12-02-19)
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