राधा स्वामी सत्संग और फोर्टिस अस्पताल के मालिक करोड़ों सेवादारों की धार्मिक भावनाओं का भी ख्याल रखें।

राधा स्वामी सत्संग और फोर्टिस अस्पताल के मालिक करोड़ों सेवादारों की धार्मिक भावनाओं का भी ख्याल रखें।
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मीडिया रिपोर्टों पर भरोसा किया जाए तो फोर्टिस अस्पताल के मालिक रहे मलिंदर सिंह ने अपने छोटे भाई और वर्तमान में फोर्टिस हेल्थ केयर का प्रबंधन देख रहे शिविंदर सिंह और राधा स्वामी सत्संग के प्रमुख बाबा गुरविंदर सिंह के खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया है। आरोपियों में गुरकीरत सिंह ढिल्लन, गुरप्रीत सिंह, शबनम ढिल्लन भी शामिल हैं। इन सभी पर आर्थिक धोखाधड़ी करने का आरोप है। आरोप है कि फोर्टिस अस्पताल से होने वाली आय का उपयोग राधा स्वामी सत्संग और राधा स्वामी की सम्पत्तियों का उपयोग फोर्टिस हेल्थकेयर के लिए किया गया। फोर्टिस अस्पताल और राधा स्वामी संस्थान के बीच हो रहे घालमेल की पोल अब परिवार के लोग ही खोल रहे हैं। हालांकि चिकित्सा का कार्य सेवा का माना जाता है, लेकिन सब जानते हैं कि फोर्टिस अस्पताल में सेवा की कोई भावना नहीं है। फोर्टिस के देशभर के अस्पतालों में जो लूट मची है वो किसी से भी छिपी नहीं है। भले ही फोर्टिस के राधा स्वामी मालिक सरकार से अनेक सुविधाएं लेने के नाम पर फोर्टिस को सेवाभावी अस्पताल बताया जाता है, लेकिन वहीं मरीज को महंगा इलाज करवाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जिन लोगों का फोर्टिस अस्पताल में काम पड़ा है उन्हें पता है कि यहां के मालिक और चिकित्सा कर्मी किस तरह का व्यवहार करते हैं। यदि अस्पताल भुगतान नहीं किया तो शव तक नहीं देते हैं। माना कि फोर्टिस अस्पताल तो कमाई का धंधा है, लेकिन राधा स्वामी सत्संग तो पूरी तरह श्रद्धा और भरोसे का संस्थान है। संस्था के आरबों रुपए की जो सम्पत्तियां दिख रही हैं वे सब सेवादारों के सहयोग से खरीदी गई है। सेवादार पूरी श्रद्धा के साथ सत्संग में अपनी सेवाएं देते हैं। महिलाएं तो घर का काम काज छोड़कर सत्संग में मौजूद रहती है। ऐसे में यदि सेवादारों की भावनाएं आहात हो तो संस्थान के क्रिया कलापों पर प्रश्न चिन्ह लगता है। परिवार के सदस्य ही एक दूसरे पर धोखाधड़ी और सम्पत्तियों को खुर्दबुर्द करने का आरोप लगाएं तो यह शोभनीय नहीं है। जब बाबाजी सत्संग में मोह माया त्यागने का प्रवचन देते हैं, तब परिवार में अरबों रुपयों को लेकर विवाद हो तो फिर ऐसे प्रवचनों का क्या फायदा? सत्संग से जुड़े लोगों की कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। यह मामला करोड़ों लोगों के भरोसे का भी है। इसमें कोई दो राय नहीं कि समाज को शराब जैसी बुराइयों से बचाने में राधा स्वामी सत्संग की महत्वपूर्ण भूमिका है। जो व्यक्ति राधा स्वामी बन जाता है फिर वो सिगरेट, शराब, तम्बाकू जैसे पदार्थों का सेवन नहीं करता है।
एस.पी.मित्तल) (18-02-19)
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