तो गांधीवादी सीएम अशोक गहलोत की शराब पाॅलिसी फेल हो जाएगी

तो गांधीवादी सीएम अशोक गहलोत की शराब पाॅलिसी फेल हो जाएगी। लाइसेंस फीस और बिक्री के टारगेट बढ़ाने से ठेकेदरों में रुचि नहीं।
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माना तो यही गया था कि अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने पर राजस्थान में शराब की बिक्री को हतोउत्साहित किया जाएगा। राजनीति में गहलोत को महात्मा गांधी का अनुयायी माना जाता है और महात्मा गांधी शराब की बिक्री के सख्त खिलाफ थे, लेकिन अशोक गहलोत ने वित्त मंत्री की हैसियत से राजस्थान में वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए शराब की जो पाॅलिसी बनाई उससे ठेकेदारों की रुचि समाप्त हो गई है। नए वित्तीय वर्ष में शराब की दुकान लेने के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 26 फरवरी हैं। लेकिन जानकारों के अनुसार गत वर्ष के मुकाबले अभी तक 25 प्रतिशत आवेदन भी प्राप्त नहीं हुए हैं। असल में गांधीवादी सीएम गहलोत ने प्रदेश में शराब की बिक्री को 15 प्रतिशत अधिक कर दिया यानि गत वर्ष किसी दुकान पर दो हजार शराब की बोतले बिकी तो इस बार उसी दुकान पर ढाई हजार बोतले बेचना अनिवार्य हैं। यनि कोई ठेकेदार लक्ष्य के मुताबिक शराब की बिक्री नहीं करता है तो उसे एक पेटी पर 280 रुपए का जुर्माना देना होगा, जबकि जुर्माने की राशि पहले 180 रुपए की थी, इसी प्रकार सरकार ने लाइसेंस फीस में भी 10 प्रतिशत की वृद्धि कर दी। ठेकेदारों का कहना है कि भाजपा की सरकार ने पहले ही बिक्री के टारगेट को बहुत बढ़ा दिया था, पुलिस की सख्ती की वजह से बिक्री लगातार घट रही थी। लेकिन कांग्रेस सरकार ने शराब की बिक्री में जो 15 प्रतिशत की वृद्धि की है उससे आर्थिक नुकसान होने की पूरी उम्मीद है। ऐसे में अधिकांश ठेकेदार दुकान लेने के लिए आवेदन नहीं कर रहे हैं। अब जब आवेदन में एक दिन शेष रहा है तब आबकारी विभाग के अधिकारी चाहते हैं कि दुकानों के लिए आवेदन किए जाए। इसको लेकर विभाग के अधिकारियों ने अनेक ठेकेदारों से सम्पर्क किया है। लेकिन अधिकारियों को सफलता नहीं मिल रही है। माना जा रहा है कि सीएम अशोक गहलोत ने शराब की जो पाॅलिसी बनाई है वह फेल हो जाएगी।
बिक्री का लक्ष्य क्यों बढ़ाया:
कांग्रेस राजनीति में यह सवाल उठ रहा है कि गांधी वादी सीएम अशोक गहलोत ने प्रदेश में शराब की बिक्री का लक्ष्य क्यों बढ़ाया। गहलोत को तो ऐसे निर्णय लेने चाहिए थे, जिससे शराब की बिक्री को हतोउत्साहित किया जाए।  लेकिन बिक्री का लक्ष्य बढ़ा कर गहलोत ने प्रदेश में शराब के सेवन को अधिक करने का प्रयास किया है। कोई भी ठेकेदार तभी शराब बेचेगा जब पीने वाले ज्यादा पिएंगे। सामाजिक दृष्टि से शराब का सेवन बहुत ही बुरा माना जाता है। यह बात अलग है कि आदतन शराब पीने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। शराब के सेवन से अनेक प्रकार की बीमारियां होती है।
एस.पी.मित्तल) (25-02-19)
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