तो कांग्रेस में आस्तीन के सांपों से राय ली जा रही है उम्मीदवारों के बारे में।

तो कांग्रेस में आस्तीन के सांपों से राय ली जा रही है उम्मीदवारों के बारे में।
अजमेर डीसीसी के उपाध्यक्ष यादव के गंभीर आरोप।
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लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार तय करने के लिए कांग्रेस के बड़े नेता अजमेर के उन नेताओं से राय ले रहे हैं जो आस्तीन के सांप हैं। राय देने वाले ऐसे नेताओं की कोई राजनीतिक जमीन नहीं है। ऐसे नेताओं का धोखेबाजी का इतिहास रहा है। जिलाध्यक्ष और ब्लाॅक अध्यक्ष ही सब कुछ नहीं होते। सत्ता का सुख भोगने की वजह से नेताओं का सम्पर्क कार्यकर्ताओं से कट गया है। ऐसे गंभीर आरोप किसी विरोधी दल के नेताओं ने नहीं बल्कि अजमेर शहर कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष और कई बार पार्षद रह चुके प्रताप यादव ने लगाए हैं। यादव लगातार सोशल मीडिया पर सक्रिय है। पांच मार्च को यादव ने फेसबुक पर अपने विचार सांझा किए हैं। यादव ने लिखा कि जनवरी 2018 के लोकसभा उपचुनाव में सभी आठों विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज करवाने वाली कांग्रेस मात्र दास माह बाद विधानसभा के चुनाव में छह सीटों पर हार गई। बड़े नेताओं को ऐसे आस्तीन के सांपों से सावधान रहना चाहिए। यादव की इस पोस्ट को कांग्रेस में ही चटकारे लेकर पढ़ा जा रहा है। आपनी पोस्ट में यादव ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट आदि नेताओं के फोटो लगाए हैं। पोस्ट पर रोचक कमेंटस भी आ रहे हैं। मालूम हो कि विगत दिनों दिल्ली में प्रदेश प्रभारी अविनाश राय पांडे, प्रदेशाध्यक्ष पायलट आदि बड़े नेताओं ने अजमेर के नेताओं को बुलाकर लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार के बारे में राय जानी थी। इन नेताओं में विधायक, जिलाध्यक्ष, ब्लाॅक अध्यक्ष, विधानसभा चुनाव के पराजित उम्मीदवार आदि शामिल थे। यादव वर्षों से कांग्रेस में सक्रिय हैं और उन्हें पिछले वर्ग का चेहरा माना जाता है। लेकिन कांग्रेस गत दो बार से अजमेर दक्षिण सुरक्षित सीट से बीड़ी उद्योगपति हेमंत भाटी को उम्मीदवार बना रही है। हालांकि भाटी हर बार चुनाव हार रहे हैं। लेकिन कांग्रेस में प्रताप यादव जैसे पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं हो रहा है। यादव की पोस्ट को उपेक्षित कार्यकर्ताओं की भावना माना जा रहा है। जानकारों की माने तो संगठन और विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों  के बीच भी खींचतान चल रही है। शहर के दोनों पराजित उम्मीदवारों ने संगठन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यहां तक कहा गया कि संगठन ने बीएलओ की जो सूची दी, उसमें से अधिकांश नाम फर्जी थे। इसका चुनाव में प्रतिकूल असर पड़ा।
एस.पी.मित्तल) (06-03-19)
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