आईएएस पवन अरोड़ा को हटाने पर ही सुधेरेंगे राजस्थान में स्थानीय निकायों के हालात।

आईएएस पवन अरोड़ा को हटाने पर ही सुधेरेंगे राजस्थान में स्थानीय निकायों के हालात।
भाजपा शासन में खुद सीएम राजे ने बचाया, पर अब कांग्रेस के शासन में कौन बचा रहा है?
अजमेर का है मजबूत उदाहरण।
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दिसम्बर में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद राजस्थान के आईएएस और आरएएस के तबादले बड़े पैमाने पर हुए। सरकार बदलने के साथ ऐसा प्रशासनिक फेरबदल होता ही है। कई अफसरों के तीन माह में चार बार तबादले हो चुके हैं। राजस्थान में शायद ही कोई आईएएस अथवा आरएएस होगा, जो भाजपा शासन वाले पद पर ही नियुक्त हो। लेकिन स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक पवन अरोड़ा अभी तक भी भाजपा शासन वाले पद से चिपके पड़े हैं। पूरा प्रदेश जनता है कि वसुंधरा राजे के गुणगान करने में पवन अरोड़ा ने कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि चर्चा होने लगी है कि राजे को अपने पुत्र दुष्यंत सिंह से ज्यादा पवन अरोड़ा पर लाड़ आता है। यही वजह रही कि विपक्ष में रहते अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने स्थानीय निकायों में भ्रष्टाचार होने के आरोप लगाए। ऐसे आरोपों को देखते हुए यह उम्मीद थी कि कांग्रेस का शासन आने पर सबसे पहले पवन अरोड़ा को ही हटाया जाएगा। प्रदेश में कांग्रेस का शासन ही नहीं आया, बल्कि अशोक गहलोत सीएम और सचिन पायलट डिप्टी सीएम बने। लेकिन पवन अरोड़ा आज भी स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक बने हुए हैं। इसलिए यह सवाल पूछा जा रहा है कि कांग्रेस के शासन में पवन अरोड़ा को कौन बचा रहा है? गहलोत और पायलट बताए कि क्या अब स्वायत्त शासन विभाग में भ्रष्टाचार समाप्त हो गया है? जिन लोगों को पवन अरोड़ा वाले विभाग से काम पड़ा, उन्हें पता है कि किस तरह काम हुआ। नगर निगम, नगर परिषद और पालिकाएं जब किसी अवैध निर्माण को सीज करती है तो अरोड़ा के आदेश से एक माह के अंदर अंदर सीज मुक्ति हो जाती है। पवन अरोड़ा के आदेश से जिन हजारों अवैध निर्माणों की सीज मुक्ति हुई है यदि उनकी जांच ईमानदारी के साथ करवा ली जाए तो अशोक गहलोत और सचिन पायलट की आंखों पर लगा चश्मा हट जाएगा। आखिर पवन अरोड़ा के पास ऐसा कौन सा शहद है जिस पर हर राज की मक्खियां भिनभिनाती है। क्या स्थानीय निकाय विभाग का कार्य पवन अरोड़ा के बगैर नहीं चल सकता? गहलोत और पायलट माने या नहीं लेकिन पवन अरोड़ा की स्थानीय निकाय में मौजूदगी से कई सवाल उठ रहे हैं।
अजमेर में मजबूत उदाहरणः
अजमेर शहर के 13 काॅमर्शियल नक्शों का सबसे मजबूत उदाहरण है। भाजपा के शासन में पवन अरोड़ा ने इन विवादित 13 नक्शों की फाइल अपने पास मंगवा ली, ताकि कथित तौर पर हुए भ्रष्टाचार की जांच करवाई जा सके। नक्शा स्वीकृति में अनियमितता हुई यह आरोप निगम के तबके आयुक्त और वर्तमान में जैसलमेर के कलेक्टर हिमांशु गुप्ता ने लगाए थे। चार माह तक अरोडा ने फाइलों को अपने दफ्तर में पटके रखा और फाइलों को वापस लौटा दिया और फिर निर्देशों के बाद नक्शों को निगम की साधारण सभा में स्वीकृत करवा दिया। लेकिन इस बार नई आयुक्त चिन्मय गोपाल ने भी 13 नक्शों पर आपत्ति कर दी। मजे की बात यह है कि जिन पवन अरोड़ा ने चार माह तक इन फाइलों को अपने पास रखा, अब उन्हीं के आदेश से अजमेर के सिटी मजिस्ट्रेट अशोक नाथ योगी की अध्यक्षता में कमेटी बनवा कर जांच करवाई जा रही है। यदि अकेले अजमेर प्रकरण की जांच हो जाए तो अरोड़ा के काम काज की पोल खुल सकती है।
एस.पी.मित्तल) (07-03-19)
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