लोकसभा चुनाव के मौके पर आखिर कहां हैं वसुंधरा राजे और सचिन पायलट।

लोकसभा चुनाव के मौके पर आखिर कहां हैं वसुंधरा राजे और सचिन पायलट।
विधानसभा चुनाव से पहले तक तो दोनों की तूती बोलती थी।
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राजस्थान में लोकसभा के चुनाव 29 अप्रैल और 6 मई को होने हैं। चुनावों की घोषणा हो जाने के बाद भी भाजपा में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट की प्रभावी सक्रियता नजर नहीं आई है। जबकि ढाई माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में इन दोनों नेताओं की अपनी अपनी पार्टी में तूती बोलती थी। सचिन पायलट के बगैर कांगे्रस में और वसुंधरा राजे के बगैर भाजपा में कुछ भी संभव नहीं था। दोनों ही पार्टियां इन दोनों नेताओं तक सीमित थी। पार्टी के किसी दूसरे नेता की नीतिगत मुद्दों पर बोलने की हिम्मत नहीं थी। पूरा प्रदेश जानता है कि विधानसभा चुनाव में पायलट और वसुंधरा राजे अपनी अपनी पार्टी में कितना सक्रिय थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के मौके पर इन दोनों नेताओं की उतनी सक्रियता नजर नहीं आ रही है। पहले बात कांग्रेस और पायलट की। पायलट के समर्थक माने या नहीं, लेकिन अब कांग्रेस में अशोक गहलोत प्रभावी और प्रमुख भूमिका में है। पायलट भले ही अभी भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हों, लेकिन अब विधानसभा चुनाव वाली बात नहीं है। कांग्रेस की सारी राजनीति सीएम गहलोत के इर्दगिर्द घूम रही हैं। गहलोत ही कांग्रेस अध्यक्ष की भूमिका में नजर आ रहे हैं। संगठन और सरकार दोनों का मोर्चा गहलोत ने संभाल रखा है। विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत बहुत सोच समझ कर बोलते थे, लेकिन अब धड़ल्ले और पूरे आत्मविश्वास से अपनी बात को रखते हैं। हो सकता है कि पायलट अंदर ही अंदर तैयारियों में जुटे हों, लेकिन चेहरा तो अशोक गहलोत का ही सामने है। कांग्रेस सरकार की  उपलब्धियों के जो विज्ञापन अखबारों और चैनलो पर जारी हुए, उनमें सीएम की हैसियत से गहलोत ही छाए रहे। सरकार बनने के बाद पायलट की कोई प्रभावी भूमिका सामने नहीं आई है। हालांकि पायलट डिप्टी सीएम है और पांच विभागों के केबिनेट मंत्री है, लेकिन सरकार में सक्रियता नहीं है। पायलट से ज्यादा तो चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की चर्चा हो रही है। विधानसभा चुनाव में पायलट स्वयं का हेलीकाॅप्टर लेकर पूरे उत्साह के साथ भाग दौड़ कर रहे थे। लेकिन अब लोकसभा चुनाव में देखना होगा कि पायलट की भूमिका कैसी रहती है। यह बात अलग है कि विधानसभा चुनाव में पायलट मुख्यमंत्री बनने के लिए भागदौड़ कर रहे थे, जबकि लोकसभा चुनाव में पायलट का अपना कोई लक्ष्य नहीं है।
भाजपा में वसुंधरा राजे:
विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी के बाद वसुंधरा राजे ही प्रदेश में भाजपा की स्टार प्रचारक थीं। वसुंधरा भी सचिन पायलट की तरह हेलीकाॅप्टर से प्रचार कर रही थीं। वसुंधरा को भी पता था कि भाजपा को बहुमत मिलने पर वे ही मुख्यमंत्री बनेगी। लेकिन अब लोकसभा चुनाव में राजे की सक्रियता नहीं के बराबर है। राजे के सामने भी पायलट की तरह कुछ बनने का लक्ष्य नहीं रहा है। वैसे भी राजे को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना कर चार राज्यों की जिम्मेदारी सौंप दी है। यह बात अलग है कि नई जिम्मेदारियां राजे को रास नहीं आ रही हैं। यही वजह है कि राजे ने अभी तक भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद भी नहीं संभाला है। सूत्रों की माने तो हाईकमान ने राजे के समक्ष लोकसभा का चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन राजे ने इंकार कर दिया। राजस्थान में भाजपा की ओर से फिलहाल केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मोर्चा संभाल रखा है। राजे तो कांग्रेस की आलोचना करने से भी बच रही हैं। टिकिट के इच्छुक भाजपाई वसुंधरा राजे से मिलने को उत्सुक हैं। लेकिन फिलहाल राजे टिकिटार्थियों से भी नहीं मिल रही है। गजानंद शर्मा, कमठान जैसे निजी सहायक भी मिलवाने में कोई मदद नहीं कर पा रहे है। देखना होगा कि लोकसभा चुनाव में राजे की क्या भूमिका होती है।
एस.पी.मित्तल) (11-03-19)
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