आतंकी को जी कह कर संबोधित करने वाले राहुल गांधी बताएं तो क्या 190 विमान यात्रियों को कंधार में मरवा दिया जाता?

आतंकी को जी कह कर संबोधित करने वाले राहुल गांधी बताएं तो क्या 190 विमान यात्रियों को कंधार में मरवा दिया जाता? पायलट अभिनंदन एक दिन पाकिस्तान में रहे तो राहुल चिंतित हो गए। जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह भी अब कांग्रेस में हैं। 
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सब जानते हैं कि 1999 में अपहृत भारतीय विमान आईसी 814 के 190 यात्रियों को जिंदा बचाने के लिए तबकी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने मसूद अजहर सहित तीन आतंकियों को छोड़ा था। आतंकियों को भारत से अफगानिस्तान के कंधार में ले जाने में अजीत डोभाल की भी भूमिका थी। डोभाल वर्तमान में मोदी सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। यही वजह है कि अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी मसूद को छोड़े जाने को लोकसभा चुनाव में मुद्दा बना रहे हैं। किसी भी सरकार के लिए आतंकी को छोड़ा जाना आसान नहीं होता है। अपहर्ताओं ने जब कंधार में एक-एक विमान यात्रियों की लाशें बाहर फेंकना शुरू किया, तब सरकार पर दबाव बना। अपहृत यात्रियों के रिश्तेदार प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के घर के बाहर धरने पर बैठ गए। पूरा देश चाहता था कि 190 यात्री जिंदा वापस आएं। ऐसे माहौल में मसूद और उसके दो साथियों को छोड़ना पड़ा। यदि उस समय मसूद नहीं छोड़ा जाता तो 190 विमान यात्री मर जाते। राहुल गांधी बताएं कि क्या विमान यात्रियों को मरने दिया जाता? अभी गत माह ही जब हमारा एक पायलट गलती से पाकिस्तान चला गया तो पूरे देश में उसे वापस लाने की मांग उठने लगी। खुद राहुल गांधी ट्विट कर अभिनंदन के पाकिस्तान में होने पर चिंता प्रकट कर दी। टीवी चैनलों में दिन भर पायलट की वापसी पर चर्चा होती रही। देश का हर नागरिक चाहता था कि पायलट अभिनंदन जिंदा वापस आ जाए। यह तो अच्छा हुआ कि अगले दो दिन पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने पायलट को छोड़ने की घोषणा कर दी। यदि भारत की कूटनीति सफल नहीं होती तो पायलट का पाकिस्तान से वापस आना मुश्किल था। राहुल गांधी भी जानते हैं कि हमारा पायलट तब पाकिस्तान में फंसा जब उसने एफ16 जैसे आधुनिक विमान से टक्कर ली। अभिनंदन के पास तो पुराना मिग 21 विमान ही था। जब अभिनंदन के एक दिन पाकिस्तान में रहने पर इतना दबाव बन गया था, तब 190 यात्रियों को छह दिनों तक कंधार में रहने की स्थितियों का अंदाजा लगाया जा सकता है। राहुल गांधी को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि तब मसूद को छोड़ने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका विदेश मंत्री जसवंत सिंह की थी। अब जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह कांग्रेस में हैं। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के सामने विधानसभा का चुनाव लड़वा कर कांग्रेस एक बार तो मानवेन्द्र का इस्तेमाल कर चुकी हैं। अब मानवेन्द्र को बाड़मेर से उम्मीदवार बनाया जा रहा है। यदि मसूद को छोड़ने में राहुल को अजीत डोभाल दोषी नजर आ रहे हैं तो फिर मानवेन्द्र को बाड़मेर से कांग्रेस का उम्मीदवार क्यों बनाया जा रहा है? मानवेन्द्र भी तो उन्हीं जसवंत सिंह के पुत्र हैं, जिन्होंने मसूद को छोड़ने का निर्णय लिया। असल में मसूद के नाम के साथ जी लगा कर तो राहुल गांधी हमदर्दी जता रहे हैं। हालांकि राजनीति में सब जायज है, लेकिन राष्ट्रीय और देश की सुरक्षा के मुद्दों पर सोच समझ कर टिप्पणी करनी चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (12-03-19)
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