सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के साथ हमेशा मध्यस्थ की तरह रहते हैं प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे।

सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के साथ हमेशा मध्यस्थ की तरह रहते हैं प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे। क्या किसी विवाद की आशंका है? अपने गृहप्रदेश महाराष्ट्र से दूर क्यों।
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16 मार्च को भी राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने दौसा जिले के भांडारेज (सिकराय) में एक चुनावी सभा को संबोधित किया। इस सभा में हमेशा की तरह प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे भी मौजूद रहे। राजनीतिक नजरिए से पांडे चुनावी सभाओं में उपस्थित रह सकते हैं, लेकिन हर सभा और हर अवसर पर पांडे की उपस्थिति इन दिनों कांग्रेस संगठन में चर्चा का विषय बनी हुई है। चर्चा इसलिए भी है कि मंच पर पांडे गहलोत और पायलट के बीच में बैठते हैं। पांडे गत वर्ष से ही राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हुए हैं और यह माना जाता है कि पांडे अपने व्यवहार से गहलोत और पायलट के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं। जिन परिस्थितियों में विधानसभा चुनाव के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री का निर्णय हुआ उसको लेकर कांग्रेस हाईकमान भी चिंतित है। ऐसे में पांडे को विशेष हिदायत देकर गहलोत और पायलट के साथ रहने के लिए कहा गया है। पिछले कई दिनों से ऐसा कोई अवसर नहीं रहा, जब गहलोत और पायलट के साथ पांडे की उपस्थिति नहीं हुई हो। पांडे राजस्थान में कोई लोकप्रिय नेता भी नहीं है। लेकिन हर सभा में पांडे गहलोत और पायलट के बीच वाली कुर्सी पर बैठते हैं और भाषण भी देते हैं। अपने भाषण में पांडे गहलोत और पायलट दोनों को बराबर महत्व देते हैं। इसे पांडे की राजनीति कुशलता ही कहा जाएगा कि वे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का श्रेय गहलोत के साथ साथ पायलट को भी देते हैं। यह बात अलग है कि गत पांच वर्षों से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की हैसियत से पायलट की कांगे्रस का चेहरा थे। शायद पायलट की पीड़ा को समझते हुए ही पांडे हमेशा दोनों के बीच बैठते हैं। इन दिनों पांडे की जो भूमिका सामने आ रही है उसको लेकर कांग्रेस में अनेक चर्चाएं व्याप्त है। यह भी देखा गया है कि चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा भी अब पांडे के साथ रहने लगे हैं। जिन क्षेत्रों में रघु शर्मा का कोई प्रभाव नहीं है वहां की सभाओं में भी शर्मा से भाषण करवाया जाता है। शर्मा इतनी तवज्जों मिलने से गहलोत सरकार के अन्य मंत्रियों के बीच भी चर्चा होने लगी है। पांडे महाराष्ट्र के नेता है और लोकसभा के चुनाव महाराष्ट्र में भी हो रहे हैं, लेकिन महाराष्ट्र की कांग्रेस की राजनीति में अब पांडे की कोई भूमिका नजर नहीं आ रही है। पांडे का सारा ध्यान राजस्थान में लगा हुआ है। राजस्थान में पांडे की सक्रियता से महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता खुश हैं। सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पांडे को राजस्थान के संदर्भ में विशेष अधिकार दे रखे हैं। सरकार और संगठन के अधिकांश महत्वपूर्ण निर्णय पांडे की सहमति के बाद ही हो रहे हैं। पांडे ने गहलोत और पायलट के बीच जो तालमेल बैठा रखा है उसकी अब दिल्ली में प्रशंसा भी होने लगी है। यही वजह है कि राष्ट्रीय महासचिव होने के बाद भी पांडे गांव ढाणी की चुनावी सभाओं में भी पायलट और गहलोत के साथ रहते हैं। गहलोत और पायलट के बीच वाली कुर्सी पर पांडे की मौजूदगी कांग्रेस की राजनीति में कई संकेत दे रही है।
एस.पी.मित्तल) (16-03-19)
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