मरते दम तक देश और राजनीति की जरुरत बने रहे मनोहर पर्रिकर।

मरते दम तक देश और राजनीति की जरुरत बने रहे मनोहर पर्रिकर।
इसे कहते हैं ईश्वर की कृपा होना।
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18 मार्च को देश के पूर्व रक्षा मंत्री और अंतिम सांस तक गोवा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर जीवन के अंतिम सफर पर रवाना हो गए। पर्रिकर जैसी सादगी और ईमानदारी तो कई राजनेताओं में मिल जाएगी, लेकिन ऐसे भाग्यशाली नेता कम ही होते हैं, जिनकी जरुरत मरते समय तक देश को हो। इसे पर्रिकर पर ईश्वर की कृपा ही कहा जाएगा कि वे अंतिम सांस लेने तक देश और राजनीति की जरूरत बने रहे। भाजपा को जब गोवा में सरकार बनाने की जरूरत पड़ी तो पर्रिकर ही काम आए। केन्द्र में पीएम नरेन्द्र मोदी को जब रक्षा मंत्री जरूरत हुई तो पर्रिकर को पणजी से दिल्ली लाया गया। जब गोवा विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिला तो पर्रिकर को फिर पणजी भेज दिया गया। कांग्रेस को भी पता था कि पर्रिकर के जिंदा रहते गोवा में सरकार नहीं बन सकती। इसलिए अंतिम संस्कार से पहले ही सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के समक्ष पेश कर दिया। यानि पर्रिकर जब तक जिंदा रहे तब देश की जरूरत बने रहे। राजनीति में ऐसे कई लोग होते हैं और शीर्ष पद पर रहने के बाद गुमनामी में ही मर जाते हैं। आमतौर पर राजनेताओं की छवि अच्छी नहीं होती, लेकिन पर्रिकर अपवाद रहे। पर्रिकर पर कभी भी कोई आरोप नहीं लगा। पर्रिकर के जीवन को देखते हुए ही नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने 18 मार्च को राष्ट्रीय शोक घोषित किया। इतना ही नहीं पीएम मोदी स्वयं पर्रिकर के अंतिम संस्कार में शरीक हुए। पर्रिकर अपने साधारण जीवन के लिए लम्बे समय तक याद किए जाएंगे। मात्र 63 वर्ष की उम्र में चले जाना पर्रिकर के परिवार वालों के लिए कष्ट दायक है। पर्रिकर अभी ओर जिंदा रह सकते थे, लेकिन लाइलाज रोग कैंसर ने उन्हें जल्द मौत की नींद सुला दिया। पूरा देश पर्रिकर के निधन पर शोक में डूबा हुआ है।
एस.पी.मित्तल) (18-03-19)
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