अजमेर नगर निगम में अब पचास करोड़ रुपए का भूमि घोटाला उजागर।

अजमेर नगर निगम में अब पचास करोड़ रुपए का भूमि घोटाला उजागर।
फिर आया उपायुक्त रलावता का नाम।
पत्रावलियों में मौजूदा मुख्य सचिव डीबी गुप्ता के नाम का भी उल्लेख।
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अजमेर नगर निगम पहले ही भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोपों के दौर से गुजर रहा है, आरोपों के मद्देनजर निलंबन की कार्यवाही से बचने के लिए मेयर धर्मेन्द्र गहलोत हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। ऐसे माहौल में अब पचास करोड़ रुपए की कीमत की भूमि से जुड़ा एक और घोटाला सामने आया है। गंभीर बात यह है कि ताजा आरोपा भाजपा के पार्षद चन्द्रेश सांखला ने ही लगाया है। निगम पर भाजपा का ही कब्जा है। यह भी गंभीर बात है कि अजमेर विकास प्राधिकरण की आनासागर सर्कुलर योजना से जुड़े इस मामले में अनेक आईएएस अफसरों के साथ प्रदेश के मौजूद मुख्य सचिव डीबी गुप्ता के नाम का भी उल्लेख है। पार्षद सांखला ने इस घोटाले की शिकायत डीबी गुप्ता के साथ साथ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भी की है। ब्यूरो के तेज तर्रार आईजी दिनेश एनएम को यह शिकायत सांखला ने स्वयं व्यक्तिगत तौर पर दी है। आईजी ने भरोसा दिलाया है कि प्राथमिक परीक्षण में शिकायत सही पाई गई तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
यह है मामलाः
अजमेर विकास प्राधिकरण ने पूर्व में आनासागर सर्कुलर रोड की योजना में थोक तेलियान के खसरा नम्बर 370 मिन का भी विधिवत अधिग्रहण किया था। इस अधिग्रहण से बचने के लिए ही ऋषभ गृह निर्माण सहकारी समिति ने खातेदारों से भूमि ले ली। हालांकि जब भूमि का बेचान हुआ तब यह समिति रजिस्टर्ड नहीं थी। समिति के आवेदन पर भूमि नियमन की फाइल वर्षों तक जयपुर के स्वायत्त शासन विभाग और अजमेर के बीच घूमती रही। बाद में यह योजना अजमेर नगर निगम को स्थानांतरित हो गई। निगम के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीआर मीणा ने 27 जुलाई 2014 को नगरीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा। इस पत्र में मीणा ने स्वयं स्वीकार किया कि 23 मई 2013 को निगम के मेयर कमल बाकोलिया ने आपत्ति दर्ज कराई और भूमि के नियमन नहीं होने की बात कही। मेयर की आपत्ति के बाद समिति के अध्यक्ष ने एक बार फिर तब के प्रमुख शासन सचिव स्वायत्त शासन विभाग डीबी गुप्ता के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। गुप्ता के निर्देशों के बाद प्राधिकरण ने विचाराधीन पत्रावलियों को निगम के पास भिजवाया था।  इस पत्र में भी यह माना गया कि खसरा संख्या 370 मिन आवाप्तशुदा है। भूमि पर खातेदार अथवा सहकारी समिति के कब्जे की बात भी स्पष्ट नहीं होती है। इतना सबकुछ होने के बाद भी संबंंिधत भूमि राजस्व रिकाॅर्ड में ऋषभ गृह निर्माण सहकारी समिति के नाम दर्ज हो गई। इस बीच समिति की ओर से नियमन के लिए हाईकोर्ट में भी याचिका दायर हुई, लेकिन यह याचिका भी खारिज हो गई। मीणा द्वारा वस्तुस्थिति बताए जाने के बाद भी नगर निगम ने सहकारी समिति को भूमि के पट्टे जारी कर दिए। इसके लिए मेयर की अध्यक्षता में गठित एम्पावर्ड कमेटी की मदद भी ली गई। हालांकि यह निर्णय पूरी तरह नियमों के विपरीत था। भूउपयोग परिवर्तन के जो मापदंड निर्धारित है उनकी भी पालना नहीं हुई। कृषि भूमि की एवज में आवासीय भूखंड आवंटित कर दिए गए। पार्षद सांखला का आरोप रहा कि सहकारी समिति की ओर से बीस पदाधिकारियों को पट्टे देने का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन इसे निगम के अधिकारियों की मिली भगत ही कहा जाएगा कि मात्र पांच व्यक्तियों को 18 प्लाटों का आवंटन कर दिया गया। निगम के रिकाॅर्ड के मुताबिक श्रीमती मीनाक्षी गोयल, श्रीमती अनुपमा माहेश्वरी, मधुर गोयल व दीपा इक्यानी को 213 वर्गगज के चार-चार प्लाट आवंटित किए गए। इसी प्रकार मधुर गोयल को 248 वर्गगज के दो प्लाट  दिए गए। निगम का रिकाॅर्ड यह भी बताता है कि मधुर गोयल को 213 वर्गगज के चार तथा 248 वर्गगज के दो प्लाट आवंटित गए हैं। सवाल यह भी है कि जब 20 सदस्यों के नाम से चैक जमा हुए तो फिर भूखंडों का आवंटन मात्र पांच व्यक्तियों को ही क्यों किया गया।
रलावता के हस्ताक्षरः
नियमों के मताबिक किसी भी भूखंड के पट्टे पर निगम के आयुक्त और प्राधिकृत अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं। लेकिन इन पट्टों पर उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता के हस्ताक्षर हैं। यह उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने हाल ही में जिन 13 व्यवसायिक नक्शों को त्रुटिपूर्ण माना है उन पर भी उपायुक्त के तौर पर रलावता के ही हस्ताक्षर हैं। पार्षद सांखला ने मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करवा कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाए और भूमि आवंटन को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जावे। आज की स्थिति में आवंटित भूमि करीब पचास करोड़ रुपए की है। समिति का अध्यक्ष प्रकाश चंद जैन को बताया गया है, जबकि सभी पत्रों पर जैन के हस्ताक्षर अलग-अलग हैं। इससे प्रतीत होता है कि इस घोटाले में भू माफिया सक्रिय हैं।
एस.पी.मित्तल) (01-04-19)
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