आखिर यह विदेशी मीडिया हिन्दुस्तान को किधर ले जाएगा।

आखिर यह विदेशी मीडिया हिन्दुस्तान को किधर ले जाएगा।
अब हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद से भी परहेज।
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14 अप्रैल को दैनिक भास्कर में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एक एनालिसिस छपा है। अखबार में बताया गया कि इस विश्लेषण को लिखने वाले पत्रकार रुचिर शर्मा विश्व के 50 प्रभावशाली लोगों में शामिल है। अब यदि देश के पहले नम्बर का अखबार कह रहा है तो सही ही होगा। इस एनालिसिस का शीर्षक है ‘दक्षिण भारत में हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद की अपील बेअसरÓ। इस विश्लेषण में हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद को भाजपा के साथ जोड़ दिया गया। यानि दक्षिण भारत में भाजपा की हार होगी और वे राजनीतिक दल जीतेंगे जो हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद में विश्वास नहीं रखते हैं। दुनियाभर में भारत ही ऐसा मुल्क होगा, जहां के लोग राष्ट्रवाद से भी एकतरफ रखते हैं। सवाल उठता है जिस देश के कुछ नागरिकों को राष्ट्रवाद से ही मोहब्बत नहीं है, वह मुल्क अखंड कैसे रह सकता है? राष्ट्रवाद का मतलब भाजपा का समर्थन करना  नहीं है, बल्कि अपने देश हिन्दुस्तान से प्यार करना है जो लोग राष्ट्रवाद से नफरत करते हैं उन्हें तो इस देश में रहने का हक नहीं है। हिन्दुस्तान में तो वहीं रह सकता है, जिसे अपने देश से प्यार हो। क्या दक्षिण भारत में हिन्दुस्तानी नहीं रहते? असल में अब हमारे मीडिया में विदेशी मीडिया ने घुसपैठ कर ली है। न्यूज चैनलों और बड़े अखबारों ने विदेशी मीडिया घरानों से विशेष अनुबंध कर लिए है। विदेशी पत्रकारों की खबरें छापने पर अनेक आखबार मालिक स्वयं को गौरवांवित महसूस करते हैं। मुझे नहीं पता कि भारत अखबारों के पत्रकारों के लेख आदि का पाकिस्तान, इंग्लैंड आदि के अखबारों में कितने छपते हैं, लेकिन ये विदेशी पत्रकार हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इसी का नतीजा है कि जब अखबारों में हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद की अपील बेअसर शीर्षक से खबरें छपती हैं। भारतीय मीडिया को ज्यादा दूर जाने की जरुरत नहीं है। चीन और पाकिस्तान के हालात देखे जा सकते हैं। पाकिस्तान के किसी भी अखबार अथवा न्यूज चैनल पर इस्लाम की अपील बेअसर जैसी खबर छापने की हिम्मत नहीं हो सकती। इसी प्रकार चीन में कोई भी पत्रकार अपने देश के खिलाफ एक लाइन लिखने की हिमाकत नहीं कर सकता है। भारत में जो मीडिया घराने स्वयं को बहुत बड़ा और सरकार पलटने का दावा करते हैं उन्हें एक बार पाकिस्तान और चीन के हालात समझ लेने चाहिए। असल में पाकिस्तान में जहां मुसलमान अपने धर्म से मोहब्बत करते हैं, वहीं चीन में लोगों को अपने देश से भी बेहद प्यार है। चीन के लोगों के लिए सबसे पहले राष्ट्रवाद है। राष्ट्रवाद की वजह से ही चीन आज दुनिया की महाशक्ति बना हुआ है। माना कि भारत में लोकतंत्र हैं और वह भी धर्मनिरपेक्ष वाला। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मीडिया अपने ही देश की एकता और अखंडता को खतरे में डाले। विचारों की अभिव्यक्ति के नाम पर विदेशी मीडिया की घुसपैठ को उचित नहीं माना जा सकता। भारतीय मीडिया के मालिक कुछ अपनी अक्ल से भी काम लें।
एस.पी.मित्तल) (14-04-19)
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