वैभव की हार जीत का असर अशोक गहलोत की राजनीति पर पड़ेगा।

वैभव की हार जीत का असर अशोक गहलोत की राजनीति पर पड़ेगा। 
यही हाल झालावाड़ में वसुंधरा-दुष्यंत का है।
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इस बार लोकसभा चुनाव के परिणाम राजस्थान के दो बड़े राजनेताओं के भविष्य पर भी असर डालेंगे। मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत जोधपुर से कांग्रेस के उम्मीदवार है तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह झालावाड़ से भाजपा के उम्मीदवार हैं। पिछले 25 वर्षों से ये दोनों ही पांच पांच वर्ष के लिए मुख्यमंत्री बन रहे हैं। लेकिन पहला अवसर है कि अशोक गहलोत ने अपने गृह नगर जोधपुर से बेटे वैभव को उम्मीदवार बनवाया है। वसुंधरा राजे ने तो अपने बेटे दुष्यंत को  दस वर्ष पहले ही झालावाड़ के मैदान में उतार दिया है। यूं ये दोनों नेता भले ही प्रदेशभर में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को जीताने के लिए दौरे कर रहे हों, लेकिन दोनों ने अपने अपने गृह जिलों से ही बेटों को उतारा है। गहलोत की तरह राजे भी झालावाड़ से सांसद रह चुकी हैं। कांग्रेस की राजनीति में गहलोत के सामने सचिन पायलट चुनौती बन कर खड़े हैं तो भाजपा में अब वसुंधरा राजे का पहले जैसा रुतबा नहीं रहा है। मौजूदा लोकसभा चुनाव में तो राजे अलग-थलग हैं। संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर ने जो रणनीति बनाई है उसमें राजे की भूमिका बहुत कम हो गई है। वैसे भी राजे का ध्यान झालावाड़ में अपने बेटे को जीताने में लगा हुआ है। राजे को भी पता है कि यदि दुष्यंत हार गए तो फिर प्रदेश की राजनीति में प्रभाव को बनाए रखना मुश्किल होगा। यही हाल कांग्रेस की राजनीति का है। अशोक गहलोत को भी पता है कि तीन माह पहले सचिन पायलट के मुकाबले में वे किस प्रकार मुख्यमंत्री बने हैं। ऐसे में यदि वैभव की हार होती है तो प्रदेश की राजनीति में उनका असर कम होगा। यही वजह है कि वैभव को जीताने के लिए गहलोत ने पूरी सरकार को जोधपुर में लगा दिया है। पर्दे के पीछे से कई आईएएस, आरएएस इंजीनियर आदि भी जोधपुर में सक्रिय हैं। वैभव के लिए यह भी चुनौती है कि उनका मुकाबला मौजूदा सांसद और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से है। भले ही अशोक गहलोत की छवि                                            मारवाड़ के गांधी की हो, लेकिन मधुर व्यवहार में शेखावत भी पीछे  नहीं है। पिछले पांच वर्ष शेखावत ने जोधपुर का चहुंमुखी विकास भी करवाया। मोदी लहर से जोधपुर भी अछूता नहीं है। भाजपा की नजर में जोधपुर की सीट कितनी मायने रखती है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी की सभा और अमितशाह का रोड शो हो चुका है। वैभव को हराने के लिए जोधपुर की सड़कों पर भीषण गर्मी में ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी का रोड शो भी हो रहा है। भाजपा के चौतरफा हमले को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को वार्ड वार दौरे करने पड़ रहे हैं। कोई पांच बार जोधपुर के सांसद रह चुके अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री के पाद पर रहते हुए वार्ड स्तर पर चुनावी सभाएं करनी पड़ रही है। तो मुकाबले का अंदाला लगाया जा सकता है।
जोधपुर को सूर्य नगरी भी कहा जाता है। 27 अप्रैल को जब तापमान 45 डिग्री के पार था, तब भीषण गर्मी में जोधपुर की सड़कों पर अशोक गहलोत अपने बेटे वैभव के लिए घर घर जाकर वोट मांग रहे थे। सूत्रों की माने तो जोधपुर के जातीय समीकरणों को देखते हुए ही वैभव को जालौर, सिरोही संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाने पर विचार हुआ था, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के हस्तक्षेप की वजह से वैभव को जोधपुर से ही चुनाव लडऩा पड़ा। अब पायलट कहते हैं कि वैभव को जीतवाने की जमानत राहुल गांधी के सामने मैंने दी है। इसलिए मैं वैभव को जोधपुर का सांसद बनवा कर रहूंगा। राजनीति में जमानत कैसे दी जाती है, यह अशोक गहलोत को भी पता है। वैभव गहलोत और दुष्यंत सिंह की हार जीत राजस्थान में भाजा और कांग्रेस की राजनीति का असर डालेगी। फिलहाल 23 मई तक इन दोनों बड़े  नेताओं को नींद आना मुश्किल है।
एस.पी.मित्तल) (27-04-19)
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