काश! यौन शोषण के प्रकरणों में सीजेआई वाली जांच की प्रक्रिया देशभर में नजीर बने। 

काश! यौन शोषण के प्रकरणों में सीजेआई वाली जांच की प्रक्रिया देशभर में नजीर बने। 
देश के सरकारी दफ्तरों में यह बहुत बड़ी समस्या है।
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सुप्रीम कोर्ट के जज एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली इन हाउस जांच कमेटी ने यौन शोषण के प्रकरण में सीजेआई रंजन गोगोई को जो क्लीन चिट दी है उस पर मेरी कोई टिप्पणी नहीं है, लेकिन इन दिनों जिस दौर से सीजेआई गोगोई को गुजरना पड़ा, उन्हीं हालातों से देश के सरकारी दफ्तरों के अनेक कार्मिकों को भी गुजरना पड़ता है। लेकिन अधिकांश मामलों में आरोपी अफसर को ही दोषी माना जाता है। अधीनस्थ न्यायालयों का भी दबाव रहता है कि महिला के आरोपों की निष्पक्ष जांच हो। यदि कोई महिला इन हाउस जांच कमेटी का बहिष्कार करती हैं तो जांच में शामिल रखने के लिए उसकी हर शर्त मानी जाती है। आरोपी अफसर को तत्काल प्रभाव से हटाया ही जाता है, साथ ही जांच कमेटी में शिकायतकर्ता महिला के सुझाव पर सदस्यों की नियुक्ति होती है। शिकायकर्ता को अपने प्रतिनिधि के माध्यम से सबूत रखने की झूठ होती है। भले ही पुख्ता सबूत न हो, लेकिन महिला के कथन को काफी हद तक सही माना जाता है। कई मामलों में अधिकारी का कहना होता है उसने तो सिर्फ कार्य के लिए ऊंची आवाज में बोला था, लेकिन ऐसे अधिकारी की कोई सुनवाई नहीं होती। थोड़े बहुत भी सबूत होने पर तो आरोपी कार्मिक को नौकरी से ही हटा दिया जाता है। आरोप लगते ही कार्मिक और उसके परिवार के सदस्यों खास पत्नी और पुत्री को समाज में जिन हालातों का सामना करना पड़ता है, उसका दर्द वो ही समझ सकते हैं। ऐसा नहीं हो सकता कि आरोपी अधिकारी पहले स्वयं सुनवाई करे और स्वयं को निर्दोष होने का प्रमाण पत्र दे दें। स्वयं के पद पर बने रहते इन हाउस जांच भी संभव नहीं है। यदि जांच के दौरान आरोपी अफसर को नहीं हटाया जाता है तो अनेक महिला संगठन झंडा लेकर खड़े हो जाते हैं। यानि हर हाल में महिला को सही माना जाता है। कई बार ऐसे हालातों और सामाजिक दबावों की वजह से आरोपी अधिकारी आत्महत्या भी कर लेता है। असल में ऐसी सख्त व्यवस्था इसलिए की गई है कि कोई भी पुरुष अपनी साथी महिला कर्मचारी का शोषण नहीं कर सके। सीजेआई के कथित यौन शोषण प्रकरण में जांच की जो प्रक्रिया अपनाई गई है उससे देशभर में ऐसे आरोप झेल रहे कार्मिकों को राहत मिलनी चाहिए। अब देखना है कि सीजेआई पर यौन शोषण का आरोप लगानी वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी का अगला कदम क्या होता है। हालांकि शिकायतकर्ता महिला जस्टिस बोबड़े की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी से पहले ही अलग हो गई थी।
एस.पी.मित्तल) (07-05-19)
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