तो कांग्रेस राज में भी शकुन एडवर्डटाइङ्क्षजग के मालिकों की दबंगई है।

तो कांग्रेस राज में भी शकुन एडवर्डटाइङ्क्षजग के मालिकों की दबंगई है। 
वसुंधरा के राज में तो एक तरफा चली। 2 हजार करोड़ के कारोबारी माहेश्वरी बंधुओं पर आईएएस के प्लांट पर कब्जे का आरोप।
============ 
राजस्थान के राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्र के लोग सुविख्यात शकुन एडवर्डटाईजिंग कंपनी के मालिक गोकुल माहेश्वरी और वल्लभ माहेश्वरी को अच्छी तरह जानते हैं। ऐसे लोग यह भी जानते हैं कि वसुंधरा राजे के राज में माहेश्वरी बंधुओं की एक छत्र चली। सरकार का जो काम लेना चाह वो मिला। चाहे प्रदेशभर में शहरी क्षेत्र में प्राइम जगहों पर गेन्ट्री बोर्ड हो या विज्ञापन का अन्य कार्य। मुझे पता है कि 1995 में जब दैनिक भास्कर का प्रकाशन जयपुर से शुरू हुआ तब माहेश्वरी बंधुओं को भी भोपाल से जयपुर बुलाया गया, ताकि राजस्थान के विज्ञापनों का बंटवारा हो सके। जिस प्रकार 95 के बाद भास्कर ने बेमिशाल तरक्की की उसी प्रकार शकुन एडवर्डटाईङ्क्षजग कंंपनी ने भी जयपुर में जायदाद एकत्रित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। माना जाता है कि आज माहेश्वरी बंधु दो हजार करोड़ रुपए के कारोबारी है। भाजपा के शासन में सीएम राजे के अधिकांश कार्यक्रम माहेश्वरी बंधुओं की पांच सितारा सुविधायुक्त होटल शकुन में ही होते थे। सरकार की बैठकें भी इसी होटल में होती थी। आईएएस व आईपीएस भी माहेश्वरी बंधुओं की दबंगाई को जानते थे। लेकिन अब भी ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस के शासन में भी माहेश्वरी बंधुओं की पूरी दबंगाई है कि यही वजह है कि राजस्थान सिविल सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष गिरिराज सिंह को भी न्याय के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। वरिष्ठ आईएएस सिंह प्राधिकरण के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर पीडि़त अफसरों को न्याय प्रदान करते हैं। लेकिन एक बेशकीमती प्लाट पर कब्जे को लेकर आईएएस सिंह माहेश्वरी बंधुओं की ताकत के आगे कमजोर साबित हो रहे हैं। सिंह ने अजमेर रोड स्थित सुंदर नगर के 1200(बाहर सौ) वर्गगज के प्लाट पर माहेश्वरी बंधुओं के द्वारा कब्जा किए जाने का आरोप लगाया है। सिंह को इस बात पर आश्चर्य है कि माहेश्वरी बंधुओं के खिलाफ जो रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करवाई थी उसे उच्च स्तरीय दबाव में सीआईडी सीबी को जांच के लिए भेज दिया गया।
हालांकि माहेश्वरी बंधुओं ने गिरिराज सिंह के आरोपों से इंकार किया है उनका कहना है कि गिरिराज सिंह की पत्नी दलबीर कौर ने दिनेश नाम के व्यक्ति को जो पावर ऑफ अर्टोनी दी थी उसे के आधार पर प्लाट को खरीदा गया है। पुलिस चाहे तो दलबीर कौर के हस्ताक्षर की जांच करवा सकती है। वहीं गिरिराज सिंह ने प्लाट बेचान के कागजातों को फर्जी बताया है। गिरिराज सिंह का कहना है कि माहेश्वरी बंधु अपनी दबंगाई की वजह से बेशकीमती प्लाट को हड़पना चाहते हैं।
एस.पी.मित्तल) (15-05-19)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
===========
Print Friendly, PDF & Email

You may also like...