हारने वाले दल 23 मई तक इंतजार करेंगे।

हारने वाले दल 23 मई तक इंतजार करेंगे। अब सवाल भाजपा को अकेले बहुमत मिलने का है। माया-अखिलेश का गठबंधन भी क्या धरा रह जाएगा? एमपी में कांग्रेस की सरकार अल्पमत में।

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लोकसभा चुनाव के परिणाम को लेकर 19 मई को न्यूज चैनलों के जो सर्वे सामने आए हैं, उन पर 20 मई को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि हमें 23 मई तक इंतजार करना चाहिए। मालूम हो कि लोकसभा की 542 सीटों का परिणाम 23 मई को ही घोषित होगा। स्वाभाविक है कि परिणाम पूर्व आंकलन में जिन राजनीतिक दलों की हार हो रही है उनके नेता कभी भी ऐसे आंकलन को अधिकृत घोषणा से पूर्व स्वीकार नहीं करेंगे। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने तो आरोप लगाया है कि चैनल वालों ने भाजपा से पैसे लेकर सर्वे के आंकड़े जारी किए हैं। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आंकड़ों को गॉशिप कर दिया है। जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देखना होना कि 23 मई को पृथ्वी अपनी धूरी पर घूमेगी या नहीं। सर्वे से चिंतित होकर 20 मई को यूपी में अखिलेश यादव मायावती से मिलने के लिए उनके निवास पर पहुंच गए। सवाल यह नहीं है कि चैनलों के सर्वे में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दोबारा से एनडीए की सरकार बनने जा रही है अहम सवाल यह है कि क्या भाजपा को अपने अकेले दम पर बहुमत मिलने जा रहा है? कुछ सर्वे में भाजपा को 285 से 300 सीटे मिलना बताया गया है, जबकि कुछ ने भाजपा की गाड़ी को 250 सीट पर ही रोक दिया है। पूर्ण बहुमत के लिए भाजपा को 272 सीटे चाहिए। भाजपा का कोई भी सहयोगी दल यह नहीं चाहेगा कि भाजपा को अपने बूतें पर बहुमत मिले। यदि भाजपा को पहले की तरह 282 सीटे मिल जाएंगी तो फिर शिवसेना, जेडीयू, लोजपा आदि के नेता विभागों को लेकर सौदेबाजी नहीं कर सकेंगे। तीन-चार सांसदों वाली पार्टी के नेता रामविलास पासवान केबिनेट स्तर के मंत्री रहे, लेकिन उनके विभाग के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है, 2014 में समर्थन देने के बाद शिवसेना से भाजपा के कैसे संबंध रहे। यह सबको पता है, अब यदि नरेन्द्र मोदी को सरकार बनाने के लिए शिवसेना की जरुरत पड़ी तो सौदेबाजी का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसलिए मोदी ने अपनी चुनावी सभाओं में भाजपा को 300 सीटे मिलने का दावा किया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह भी जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी तभी प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं, जब 272 से ज्यादा सांसद भाजपा के हो। न्यूज चैनलों के जो आंकलन सामने आए हैं उनमें भाजपा को भरोसा है कि अकेले दम पर बहुमत मिल जाएगा। चुनावी सर्वे से सबसे बड़ा झटका यूपी में अखिलेश और मायावती के गठबंधन को लगा है। लोकसभा के आम चुनाव से पहले यूपी में दो उपचुनावों में जिस तरह से सपा-बसपा के गठबंधन ने भाजपा को हराया उससे उम्मीद भी कि आम चुनावों में यह गठबंधन भाजपा का सूपड़ा साफ कर देगा, लेकिन सर्वे के आंकडे बताते हैं कि कमजोर से कमजोर स्थिति में भी यूपी में भाजपा को पचास सीटे मिलेंगी ही। अब यदि गठबंधन को 25 से 30 सीटे मिलती है तो फिर माया-अखिलेश को अपने गठबंधन पर विचार करना होगा। चैनलों का मानना है कि भाजपा को 2014 के मुकाबले में सीटों का नुकसान होगा, उसकी भरपाई ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल से होगी। यदि बंगाल में भाजपा बीस सीट भी ले जाती है तो यह ममता बनर्जी की बुरी हार होगी। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो राजस्थान, मयप्रदेश और छत्तसीगढ़ में कांग्रेस की स्थिति बहुत खराब है। भले ही इन तीनों राज्यों में पांच माह पहले कांग्रेस ने सरकार बना ली हो, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि कांगे्रस की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। यदि सर्वे के मुताबिक मध्य प्रदेश में भाजपा को 23 सीट मिलती है तो कमलनाथ की सरकार को भी खतरा हो जाएगा।
कांग्रेस की सरकार अल्पमत में:
सर्वे से उत्साहित भाजपा ने अब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को गिराने का काम शुरू कर दिया है। 20 मई को विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा का सत्र तत्काल बुलाने की मांग की है। भार्गव ने कांग्रेस सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने की चुनौती दी है। भार्गव ने कहा कि कई निर्दलीय विधायकों ने कमलनाथ सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। ऐसे में कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई है। वहीं पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार तो अपने आप गिर जाएगी। उन्होंने कहा कि कमलनाथ अपने कृत्यों से मध्यप्रदेश में पश्चिम बंगाल जैसा माहौल बना रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (20-05-19)
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