कर्ज में डूबे किसान ने आत्महत्या की।

कर्ज में डूबे किसान ने आत्महत्या की।
27 हजार पंचायत सहायकों की नौकरी दांव पर।
आखिर राजस्थान में कांग्रेस सरकार राहुल गांधी के शब्दों का मान कैसे रखेगी?

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लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजस्थान की सभाओं में बार बार कहा कि अब किसी भी किसान को बैंक कर्ज की वजह से आत्महत्या नहीं करनी पड़ेगी और न ही लोन नहीं चुकाने पर किसी किसान को जेल जाना पड़ेगा। इसी प्रकार राहुल ने कहा था कि नरेन्द्र मोदी ने दो लाख रिक्त पदों पर भर्तियां नहीं की। कांग्रेस ने राहुल गांधी के कथनों से जुड़े विज्ञान भी जारी किए। चूंकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है ऐसे उम्मीद रही कि राजस्थान में तो राहुल गांधी के शब्दों और वायदों का मान रखा ही जाएगा। लेकिन राजस्थान पत्रिका  ने 21 मई के अजमेर संस्करण में अंतिम पृष्ठ भूमि पर बैंक कर्ज में डूबे किसान ने खुदकुशी शीर्षक से एक खबर प्रकाशित की है। इस खबर में बताया गया कि अजमेर जिले के मसूदा विधानसभा क्षेत्र के भिनाय थानांर्गत तेलाड़ा गांव के चालीस वर्षीय किसान लादू सिंह ने विषाक्त पदार्थ खाकर खुदकुशी कर ली। भारतीय स्टेट बैंक की भिनाय शाखा की ओर से लादू सिंह को 6 लाख रुपए के कर्ज की वूसली का नोटिस 19 मई को प्रात: 11 बजे मिला और लादू सिंह ने दोपहर एक बजे विषाक्त पदार्थ खा लिया। बैंक अधिकारी स्वीकार करते हैं कि लादू सिंह के घर पर नोटिस चस्पा किया गया था। अब सवाल उठता है कि राहुल गांधी के कथन का क्या होगा? जब कांगे्रस के शासन में कर्ज में डूबा किसान खुदकुशी कर रहा है तो फिर आम किसान को राहत कैसे मिलेगी? हालांकि मसूदा के कांग्रेस विधायक राकेश पारीक ने किसान की खुदकुशी से इंकार किया है। पारीक का कहना है कि लादू सिंह बीमार था और उसने गलती से दवाई की जगह विषाक्त पदार्थ का सेवन कर लिया। विधायक के दावे में कितना दम है यह जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन यह सही है कि लादू सिंह ने 6 लाख रुपए की वसूली का नोटिस मिलने के बाद ही विषाक्त पदार्थ खाया।
27 हजार युवाओं की नौकरी दांव पर:
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार में 27 हजार ग्राम पंचायत सहायकों की नौकरी भी दांव पर लग गई है। पिछली भाजपा सरकार ने पंचायत सहायकों की सेवा की अवधि 18 मई तक बढ़ा दी थी, लेकिन 21 मई गुजर जाने के बाद भी सेवा विस्तार नहीं किया गया है, जबकि ऐसे पंचायत सहायक 2007 से लगातार काम कर रहे हैं। इन्हीं युवाओं ने पहले विद्यार्थी मित्र के रूप में कार्य किया। भाजपा की सरकार ने 2017 में इन्हें ग्राम पंचायत सहायक के तौर पर नियुक्त कर दिया। प्रति वर्ष सेवा विसतार किया जाता है, लेकिन इस बार कांग्रेस के शासन में सेवा विस्तार नहीं हुआ। 18 मई के बाद से ही 27 हजार ग्राम पंचायत सहायकों के सिर पर तलवार लटक गई है। राहुल ने तो कहा कि राजस्थान के हजारों युवाओं को भी सरकारी स्थायी तौर नौकरी मिलेगी, लेकिन राजस्थान में उल्टा हो गया। जो 27 हजार युवा पहले से नौकरी कर रहे थे, उनकी नौकरी भी छीनी जा रही है। आखिर परेशान लोग हां जाएं? ग्राम पंचायत सहायकों के प्रतिनिधि कमल टेलर ने बताया कि कांग्रेस भी अपने घोषणा पत्र में अस्थायी कार्मिकों को सायी करने का वायदा किया था, लेकिन हमारी तो अस्थायी नौकरी पर भी खतरा हो गया है। ग्राम पंचायत सहायक की समस्याओं के संबंध में मोबाइल  नम्बर 9413894235 पर कमल टेलर से जानकारी ली जा सकती है।
एस.पी.मित्तल) (21-05-19)
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