तो क्या अशोक गहलोत के इशारे पर दिया है लालचंद कटारिया ने इस्तीफा।

तो क्या अशोक गहलोत के इशारे पर दिया है लालचंद कटारिया ने इस्तीफा। बसपा विधायक भी राज्यपाल से मिलेंगे। आतंरिक कलह से खुद गिर जाएगी राजस्थान में कांग्रेस की सरकार-सैनी। 

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27 मई को दिन भर राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में उथल-पुथल होती रही। तेजी से बदलते घटनाक्रम और मंत्रियों के इस्तीफे की चर्चाओं की वजह से दिल्ली में होने वाली समीक्षा बैठक नहीं हो सकी। सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट, प्रदेश प्रभारी अविनाश राय पाण्डे आदि नेता दिल्ली में ही जमे हुए है। इस बीच कृषि मंत्री कटारिया के इस्तीफे ने अब तूल पकड़ लिया है। माना जा रहा है कि 25 मई को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में जिस तरह सीएम अशोक गहलोत पर हमला किया गया, उसी का परिणाम है कि 26 मई को कटारिया ने कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। कटारिया को गहलोत का खास समर्थक माना जाता है। सब जानते है कि विधानसभा चुनाव के दौरान कटारिया ने गहलोत को सीएम बनाने की खुली वकालत की थी। तब कटारिया ने कहा था कि गहलोत के बगैर राजस्थान में कांग्रेस का कोई वजूद नहीं है। कटारिया ने प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को लेकर भी प्रतिकूल टिप्पणी की थी, तब पायलट ने कटारिया को पार्टी का गद्दार तक कहा। पायलट की इतनी नाराजगी के बाद भी गहलोत ने कटारिया को केबिनेट मंत्री बनाया। अब जब लोकसभा चुनाव के परिणाम को लेकर गहलोत को घेरा जा रहा है तब बचाव में कटारिया ही सबसे आगे हैं। कटारिया का इस्तीफा यह दर्शाता है कि यदि गहलोत के साथ कोई छेड़छाड़ की गई तो अनेक मंत्री इस्तीफा दे देंगे और कांग्रेस की सरकार गिर सकती है। इस्तीफा देने की पुष्टि 27 मई को कटारिया ने कर दी है, लेकिन अभी गहलोत की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है यानि इस्तीफे को गहलोत ने अपने पास रखा हुआ है। राजभवन के सूत्रों ने कटारिया का इस्तीफा नहीं मिलने की बात कही है। यदि इस्तीफा राज्यपाल को भेजा जाता है तो आने वाले दिनों में कांग्रेस में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा। कटारिया के इस्तीफा प्रकरण को गहलोत और पायलट के बीच चल रही खींचतान के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 25 सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। यहां तक की सीएम गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत भी जोधपुर से चुनाव हार गए है।
वैभव को जालौर से टिकट क्यों नहीं दिया: कटारिया
लालचंद कटारिया ने अपने इस्तीफे की पुष्टि करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों के गलत चयन की वजह से भी कांग्रेस को इतनी बुरी हार का सामना करना पड़ा है। आज वैभव गहलोत की हार को लेकर सीएम अशोक गहलोत पर अंगुली उठाई जा रही है। कटारिया ने सवाल किया कि वैभव को जालौर सिरोही संसदीय क्षेत्र से टिकट क्यों नहीं दिया गया ? यदि वैभव को जालौर से उम्मीदवार बनाया जाता तो आज परिणाम कुछ और होते। उन्होंने कहा कि यह समय आरोप-प्रत्यारोप का नहीं है बल्कि सबको साथ लेकर काम करने का है।
बसपा के विधायक राज्यपाल से मिलेंगें:
कांग्रेस की राजनीति में उठा-पटक के बीच बसपा के सभी 6 विधायक 27 मई को शाम को राज्यपाल कल्याण सिंह से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि बसपा अब कांग्रेस से समर्थन वापस ले सकती है। विधानसभा में बसपा के 6 विधायक है। 200 विधायकों में से 100 कांग्रेस के है जबकि 73 विधायक भाजपा के है। गहलोत सरकार को 12 निर्दलीय विधायकों ने भी समर्थन दे रखा है, लेकिन यह समर्थन मौखिक है। दल-बदल कानून की वजह से निर्दलीय विधायक किसी भी राजनीतिक दल में शामिल नहीं हो सकते है, लेकिन विधानसभा में जरूरत पड़ने पर सरकार के पक्ष या विपक्ष में वोट दे सकते है। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को तभी खतरा है जब कांग्रेस के विधायकों में बगावत हो।
अपने आप गिर जाएगी सरकार:

कांग्रेस में जो खींचतान चल रही है उसे देखते हुए प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मदनलाल सैनी ने कहा है कि अपने आंतरिक कलह की वजह से राजस्थान में कांग्रेस की सरकार अपने आप गिर जाएगी। कांग्रेस में कलह का मामला उनका आंतरिक मामला है, लेकिन भाजपा राजनीतिक नजरिए से सभी घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है।
एस.पी.मित्तल) (27-05-19)
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