सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग राजस्थान में कांग्रेस के झगड़े को और बढ़ाएगी।

सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग राजस्थान में कांग्रेस के झगड़े को और बढ़ाएगी।
क्या गहलोत समर्थक विधायक, पायलट को सीएम स्वीकार करेंगे?

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कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी माने या नहीं, लेकिन राजस्थान में कांगे्रस मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच विभाजित हो गई है। 3 जून को एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में सीएम गहलोत ने कहा कि सचिन पायलट को जोधपुर से उनके पुत्र वैभव गहलोत की हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। गहलोत का यह भी कहना रहा कि जब हम जीत का श्रेय लेते हैं तब हार में भी हिस्सेदारी होनी चाहिए। मालूम हो कि लोकसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस को सभी 25 सीटों पर हार मिली। यहां तक कि सीएम के पुत्र वैभव भी जोधपुर से तीन लाख मतों से हार गए। गहलोत के इंटरव्यू के बाद 5 जून को टोंक-सवाईमाधोपुर संसदीय क्षेत्र के टोडा भीम के कांग्रेस विधायक पृथ्वीराज मीणा ने अशोक गहलोत को हटा कर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर दी। मीणा का कहना रहा कि पायलट की वजह से ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला था। पूर्वी राजस्थान में 46 में से 43 सीटें कांग्रेस ने जीती। इसका पायलट को ही है। पार्टी जब विपक्ष में होती है तो हार जीत की जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष की होती है, लेकिन जब सत्ता में होती है तो हार जीत की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की होती है। मुख्यमंत्री गहलोत के इंटरव्यू और विधायक मीणा की मांग से साफ जाहिर है कि राजस्थान में कांग्रेस गहलोत और पायलट के बीच विभाजित है। 23 मई के परिणाम के बाद 26 मई को जब कांगे्रस की वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी ने सीएम गहलोत को लेकर प्रतिकूल टिप्पणी की तो केबिनेट मंत्री लालचंद कटारिया ने इस्तीफा दे दिया था। कटारिया को गहलोत का समर्थक माना जाता है। यही वजह रही कि गहलोत ने कटारिया का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया।
क्या पायलट को स्वीकार करेंगे? :
कटारिया का इस्तीफा और फिर स्वीकार नहीं होने की घटना गहलोत समर्थकों की भावनाओं को प्रकट कर रही है। सवाल उठता है कि क्या सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के तौर पर गहलोत के समर्थक विधायक स्वीकार करेंगे? पायलट के मुख्यमंत्री बनने की जल्दबाजी के संदर्भ में गहलोत ने अपने तीन जून के इंटरव्यू में कहा था कि मैं तीन बार प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद सीएम बन सका था। सब जानते है कि पायलट तो पहली बार प्रदेशाध्यक्ष बने हैं। राजस्थान की राजनीति की सच्चाई यह भी है कि सचिन पायलट के कुछ समर्थक विधायकों ने अभी तक भी अशोक गहलोत को मन से मुख्यमंत्री स्वीकार नहीं किया है। परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा जैसे मंत्री तो पायलट को सीएम मानते हैं। गहलोत इस सच्चाई को समझते हैं, लेकिन राजनीतिक अनुभव से गहलोत तो सरकार चला रहे हैं।
पीआर मीणा को दिल्ली बुलाया :
प्राप्त जानकारी के अनुसार पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग करने वाले कांग्रेस विधायक पृथ्वीराज मीणा को दिल्ली तलब कर लिया गया है। कांगे्रस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मीणा को दिल्ली पहुंचने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस हाईकमान ने मीणा के बयान को पार्टी के अनुशासन के विपरीत माना है।
बूथ स्तर पर होगी हार की समीक्षा:
सीएम गहलोत के इंटरव्यू के बाद प्रदेश अध्यक्ष पायलट ने कहा है कि किसी एक संसदीय क्षेत्र की समीक्षा करने के बजाए पूरे प्रदेश में मिली हार की समीक्षा होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी 51 हजार बूथों की रिपोर्ट मंगवाई गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर बूथवार समीक्षा होगी।
एस.पी.मित्तल) (06-06-19)
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