जब अच्छें दिन आए तो शान से चले गए मदनलाल सैनी। 

जब अच्छें दिन आए तो शान से चले गए मदनलाल सैनी।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि ने जताया शोक।

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25 जून को राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सांसद मदनलाल सैनी का अंतिम संस्कार सीकर स्थित पैतृक गांव में कर दिया गया। इस अवसर पर भाजपा के दिग्गज नेता उपस्थित थे। सुबह जब भाजपा मुख्यालय से शव यात्रा शुरू हुई तो कंधा देने वालों में केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर आदि शामिल थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री  सचिन पायलट ने भी शव पर पुष्प चक्र अर्पित किए। 25 जून को जब दिल्ली के एम्स अस्पताल में सैनी ने अंतिम श्वास ली तो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला आदि ने श्रद्धांजलि दी। यानि सैनी ने जीवन की विदाई बहुत शान से ली। राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वाले ऐसे कम लोग होते हैं जो इस तरह विदाई लें। किसी समय शिखर पर रहने वाले गुमनामी के साथ विदा हो जाते हैं। यह समाज की कड़वी सच्चाई है कि पावर में रहने वाले को ही सलाम किया जाता है। जहां तक 78 वर्षीय मदनलाल सैनी की राजनीति का सवाल है तो जब अच्छे दिन आए तो सैनी चले गए। सैनी कोई 60 वर्ष तक राजनीति में सक्रिय रहे। लेकिन वर्ष 90 से 93 तक मात्र एक बार विधायक रहे। 93 के बाद सैनी ने 2018 से पहले तक राजनीति में वनवास ही काटा। हालांकि इस अवधि में वे तीन बार प्रदेश महामंत्री भी रहे, लेकिन उन्हें कभी भी सत्ता का सुख प्राप्त नहीं हुआ। वर्ष 2018 के आरंंभ में जब उन्हें राजस्थान से राज्यसभा का सदस्य बनाया गया, तब सैनी ने स्वयं कहा कि वे तो अपने गृह जिले सीकर में चुपचाप बैठे थे। उन्होंने सत्ता में वापसी की सभी उम्मीदें छोड़ दी थी। वैसे भी जो व्यक्ति लगातार 25 वर्षों तक चुनाव की राजनीति से दूर रहे उसका कोई भविष्य नहीं होता है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर सैनी को सीकर से उठा कर सीधे राज्यसभा में पहुंचा दिया गया। सांसद बनते ही सैनी के शरीर में भी जान आ गई। जब प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व में विवाद हुआ तो समझौतें के अंतर्गत जून 2018 में सैनी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। सैनी की नियुक्ति से तब की सीएम वसुंधरा राजे कितनी खुश थीं, इसका अंदाजा राजे की काली ड्रेस से लगाया जा सकता है। सैनी ने जब भाजपा मुख्यालय में अध्यक्ष का पद संभाला तब राजे ने गहरे काले रंग का सलवार सूट पहन रखा था। असल में राजे के भरोसेमंद अशोक परनामी को हटा कर सैनी को अध्यक्ष बनाया गया था। सैनी को विधानसभा चुनाव में छह माह पहले प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था, तब सैनी ने कहा था कि उन्होंने अपनी खाट जयपुर स्थित भाजपा के मुख्यालय में लगा ली है। अब वे अपने घर तभी जाएंगे जब प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार बनेगी। हालांकि प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं बनी, लेकिन सैनी के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को सभी 25 सीटों पर जीत हासिल हुई। जयपुर ग्रामीण से भाजपा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को दोबारा से केन्द्र में मंत्री बनाए जाने के बाद से ही माना जा रहा था कि सैनी के स्थान पर राठौड़ अध्यक्ष होंगे। इन्हीं राजनीतिक चर्चाओं के बीच सैनी को भरोसा था कि यदि अध्यक्ष पद लिया जाता है तो उन्हें केन्द्र में मंत्री बनाया जाएगा। सैनी शुरू से ही अनुशासित कार्यकर्ता रहे इसलिए उन्हें भाजपा की अनुशासन समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया था।
एस.पी.मित्तल) (25-06-19)
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