फाइनल की जीत पर नजर न लगे, इसलिए टीम इंडिया ने लगवाया काला टीका। 

फाइनल की जीत पर नजर न लगे, इसलिए टीम इंडिया ने लगवाया काला टीका।
पाकिस्तान भी तो बाहार हो रही है। 

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जब कोई बच्चा खूबसूरत होता है तो मां उसके माथे पर काला टीका लगा देती हैं, ताकि बच्चे को नजर नहीं लगे। यह मां का ही विश्वास और भरोसा है कि काला टीका हर मुसीबत से बच्चे की रक्षा करेगा। कुछ ऐसी ही भावना विश्व कप प्रतियोगिता में 30 जून को टीम इंडिया की इंग्लैंड से मात्र 31 रनों से हार में देखी जा रही है। 30 जून से पहले इंडिया ने 6 मैच खेले लेकिन किसी में भी हार नहीं हुई, जबकि ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम ने भी हार का स्वाद चख लिया था। ऐसे में टीम इंडिया अपराजित टीम माना जा रहा था, लेकिन यह बात अलग है कि टीम इंडिया को अफगानिस्तान से जीतने में पसीने आ गए थे। टीम इंडिया की क्षमता का अंदाजा तो इसे से लगाया जा सकता है कि इंग्लैंड के 337 रनों के मुकाबले में 306 रन बना लिए। एमएस धोनी, विराट कोहली जैसे स्टार खिलाडिय़ों का प्रयास भी नजर से बचने वाला काला टीका लगवाने के प्रयास में ही रहा। मैं कोई पूरे मैच की समीक्षा नहीं कर रहा, लेकिन अधिकांश क्रिकेट प्रेमी मानते हैं कि विराट और धोनी चाहते तो मैच जीता जा सकता था, लेकिन इसके साथ ही यह भी समझना होगा कि टीम इंडिया के काला टीका लगवाने का असर सबसे ज्यादा पाकिस्तान पर हुआ है। इंडिया को तो 2 जुलाई को बांग्लादेश तथा 6 जुलाई को श्रीलंका से खेलना है, जबकि पाकिस्तान तो सेमीफाइनल की दौड़ से लगभग बाहर हो गया है। काला टीका लगवा कर टीम इंडिया ने पाकिस्तान से एक और मौका छीन लिया है। जहां तक 2 व 6 जुलाई के मैचों का सवाल है तो दोनों में टीम इंडिया की जीत होगी। हालांकि एक मैच की जीत के बाद ही इंडिया तो सेमीफाइल में प्रवेश कर जाएगी, लेकिन पाकिस्तान की टीम को इस्लामाबाद का जहाज पकडऩा पड़ेगा। सवाल खेल में राजनीति घुसेडऩे का नहीं है, लेकिन जब हम पाकिस्तान को आतंक का पोषक मानते हैं तो फिर क्रिकेट मैच भी क्यों खेला जाए? क्या हमें कश्मीर के आतंकवाद की चिंता नहीं है। यदि आज पाकिस्तान आतंकवादियों को मदद करना बंद कर दे तो हमारे कश्मीर में शांति हो जाए। हमारे जवान भी शहीद नहीं हो। संबंध सुधारने की उम्मीद में ही तो 50 वर्षों से क्रिकेट खेल रहे हैं। थोड़े दिन पहले ही पुलवामा जैसा हादसा पाकिस्तान ने करवाया हैै। जो लोग क्रिकेट से संबंध सुधारने की दुहाई देते हैं उनका मकसद मैच की आड़ में सिर्फ पैसा कमाना है। हमें वाकई उस पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलना चाहिए जो हमारे जवानों को शहीद कर रहा है। जब लोकसभा में केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की बात कह ही दी है और फिर पाकिस्तान से क्रिकेट न खेलने का कड़ा निर्णय भी राजनीतिक स्तर पर ले लेना चाहिए। क्रिकेट की ट्रॉफी से जरूरी है हमारे जवानों की जान बचाना।
एस.पी.मित्तल) (01-07-19)
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