तो 18 जुलाई को गिर जाएगी कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की सरकार। 

तो 18 जुलाई को गिर जाएगी कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की सरकार।
क्या इसके लिए राहुल गांधी जिम्मेदार नहीं?

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17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के जिन 16 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष आरके रमेश को इस्तीफा सौंप दिया है उन पर अब पार्टी का व्हिप का नियम लागू नहीं होगा। ऐसे 16 विधायक विधानसभा में नहीं जाने के लिए स्वतंत्र हैं। चीफ जस्टिस रंगन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि विधायकों के इस्तीफे के बारे में विधानसभा अध्यक्ष जो भी फैसला करें, उससे कोर्ट को अवगत करवाया जाए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब साफ हो गया है कि 18 जुलाई को कर्नाटक में कांग्रेस गठबंधन की सरकार गिर जाएगी। जेडीएस के नेता और सीएम कुमर स्वामी ने सरकार के विश्वास मत के लिए जो प्रस्ताव रखा है उस पर 18 जुलाई को ही मत विभाजन होना है। कर्नाटक में 224 विधायक हैं। कांग्रेस और जेडीएस के पास 114 का बहुमत था, लेकिन 15 विधायकों के इस्तीफे के बाद बहुतम के लिए 105 विधायक चाहिए। लेकिन फ्लोर पर कांग्रेस-जेडीएस के पास 105 विधायको का जुगाड़ नहीं है। कांग्रेस को उम्मीद थी कि इस्तीफा देने वाले विधायकों को दल बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित करवा कर विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया जाएगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के मंबूसों पर पानी फेर दिया। अब कर्नाटक में सरकार गिरने के अलावा कोई रास्ता हीं है। कुमार स्वामी की सरकार गिरते ही कर्नाटक में भाजपा की सरकार बनने का रास्ता साफ हो जाएगा, क्योंकि भाजपा के विधायकों की संख्या 107 हैं, जबकि बहुत के लिए 105 विधायक चाहिए।
राहलु गांधी जिम्मेदार:
कर्नाटक में जिस तरह कांग्रेस गठबंधन की सरकार का पतन हो रहा है उसके लिए राहुल गांधी जिम्मेदार हैं। असल में लोकसभा चुनाव की हार के बाद जब से राहुल गांधी ने कांगे्रस के अध्यक्ष पद को छोडऩे की जिद की है, तब से राज्यों में कांग्रेस को भारी नुकसान हो रहा है। कांग्रेस संगठन पर राष्ट्रीय स्तर पर किसी एक नेता का नियंत्रण नहीं होने से राज्यों में भगदड़ मची हुई है। तेलंगाना से लेकर गोवा तक में कांग्रेस के विधायक भाजपा में शामिल हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक में राहुल गांधी ने ही बोल्ड निर्णय लेते हुए मात्र 37 विधायकों वाले जेडीएस को सरकार की कमान सौंपी थी। कांग्रेस के 75 विधायक होने के बाद भी जेडीएस के कुमार स्वामी को मुख्यमंत्री बनवाया। तब पूर्व सीएम सिद्धारमैया, मल्लिकार्जुन खडग़े जैसे नेताओं को चुप करने में राहुल गांधी का ही दबाव काम में आया, लेकिन राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ते ही सिद्धारमैया जैसे नेताओं ने अपने समर्थक विधायकों को छूट दे दी। यदि राहुल गांधी कांग्रेस की कमान अपने पास रखते तो कर्नाटक में कांग्रेस के 12 विधायक इस्तीफा देने की हिम्ममत नहीं करते। यदि राहुल गांंधी ने फिर से कांग्रेस की कमान नहीं संभाली तो कर्नाटक के बाद मध्यप्रदेश का नम्बर है। मध्यप्रदेश में भी कमलनाथ की सरकार बहुमत के किनारे पर हैं। जो रणनीति कर्नाटक में अपनाई गई है वहीं रणनीति मध्यप्रदेश में भी अपनाई जा सकती है। कांग्रेस के कुछ नेता समझते हैं कि मुकुल वासनिक, एके एंथोनी, अहमद पटेल, सचिन पायलट जैसे किसी कांग्रेसी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस को मजबूत कर लिया जाएगा, वो गलत फहमी में हैं। कांग्रेस का वजूद तो गांधी परिवार से ही है। गांधी परिवार के डंडे से ही कांग्रेसी एकजुट रह सकते हैं।
एस.पी.मित्तल) (17-07-19)
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